मध्य प्रदेश में चुनाव होने से पहले ही इंडिया गठबंधन के हाथ निराशा लगी है। समझौते के तहत समाजवादी पार्टी को दी गई खजुराहो सीट से उम्मीदवार का नामांकन खारिज हो जाने के बाद सबसे ज्यादा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में निराशा है। इस क्षेत्र में कांग्रेस का अपना जन आधार रहा है।
राज्य में लोकसभा की 29 सीटें हैं, इनमें से कांग्रेस को 28 पर चुनाव लड़ना है और उसके उम्मीदवार भी घोषित किए जा चुके हैं।
समझौते के तहत कांग्रेस ने खजुराहो सीट समाजवादी पार्टी को दी थी। यहां से सपा की उम्मीदवार मीरा दीपक यादव ने नामांकन भी दाखिल किया, मगर वह निरस्त हो गया।
सपा और कांग्रेस के नेता जिला निर्वाचन अधिकारी को घेरने में लगे हैं, मगर कांग्रेस के जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ता इस पूरे घटनाक्रम से निराश हैं।
खजुराहो में भाजपा की ओर से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा लगातार दूसरी बार उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं। पिछला चुनाव उन्होंने लगभग पौने पांच लाख वोटो के अंतर से जीता था।
अब सपा और कांग्रेस के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है कि आखिर वह किसका साथ दे, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर के दल के तौर पर बहुजन समाज पार्टी के कमलेश पटेल ही मैदान में हैं।
भोपाल और दिल्ली में बैठे कांग्रेस के नेता एक ऐसे उम्मीदवार की तलाश में जुटे हैं जिसका उनकी पार्टी समर्थन कर सके। उनकी कोशिश है कि ऑल इंडिया फारवर्ड ब्लाक के प्रत्याशी पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी राजा भैया प्रजापति को समर्थन दिया जाए।
इस बात से खजुराहो संसदीय क्षेत्र के नेता इत्तेफाक नहीं रखते और वह चुनाव प्रचार के लिए ही तैयार नहीं हैं।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि खजुराहो संसदीय सीट वह सीट है जहां किसी दौर में कांग्रेस के प्रत्याशी चुनाव जीतते रहे हैं, मगर दिल्ली में बैठे हुए नेताओं ने बड़ा अजब फैसला कर यह सीट समाजवादी पार्टी को दे दी। अब समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार का ही पर्चा खारिज हो गया है। यह चुनाव तो कांग्रेस मतदान से पहले ही हार गई है। ऐसे में अगर किसी को नुकसान सबसे बड़ा होगा तो वह कांग्रेस को। लोकसभा चुनाव में जब हम जनता के बीच जाएंगे नहीं, तो आने वाले समय में जो भी चुनाव होंगे, उसमें हम जनता के बीच कैसे जाएंगे। कुल मिलाकर कांग्रेस ने अपना बड़ा नुकसान कर लिया है बुंदेलखंड में।
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Source : IANS