असम में लोकसभा की 14 सीट है, जिसमें से इंडी गठबंधन के घटक दलों के बीच उम्मीदवारों के नाम को लेकर जंग छिड़ी हुई है।
दरअसल, यहां कांग्रेस की तरफ से 12 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी गई है। जबकि, इस गठबंधन के घटक दलों में से एक आम आदमी पार्टी (आप) ने यहां पहले से ही तीन उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी थी।
इसके साथ ही यहां ममता बनर्जी की टीएमसी (तृणमूल कांग्रेस) ने भी कोकराझार (एसटी), बारपेटा, लखीमपुर और सिलचर (एससी) सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान पहले ही कर दिया है। मतलब यहां विपक्षी गठबंधन के दलों के बीच सीटों को लेकर सिर-फुटव्वल वाली स्थिति बन गई है। ऐसे में कांग्रेस द्वारा यहां से 12 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा से आम आदमी पार्टी आहत हो गई है।
कांग्रेस के द्वारा उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के बाद आम आदमी पार्टी की तरफ से पत्र लिखकर कहा गया कि असम की तीन गुवाहाटी, डिब्रूगढ़ और सोनितपुर सीटों पर पहले से ही पार्टी ने अपने उम्मीदवार घोषित किए थे और शेष 11 सीटों पर यूनाइटेड अपोजीशन फोरम के उम्मीदवारों को समर्थन देने की घोषणा की थी। लेकिन, कांग्रेस की तरफ से 12 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के साथ एक सीट एजेपी (असम जातीय परिषद) के लिए छोड़ दिया गया है। इसके साथ ही कांग्रेस ने उन सीटों पर भी उम्मीदवार उतार दिए हैं, जिन पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा आप की तरफ से एक महीने पहले ही कर दी गई थी।
आम आदमी पार्टी की तरफ से आगे लिखा गया है कि पार्टी जानती है कि 2024 का लोकसभा चुनाव ऐतिहासिक होने वाला है। यह भारतीय लोकतंत्र की रक्षा करने वाला होगा, क्योंकि भाजपा भारत के लोकतंत्र को समाप्त करना चाहती है। ऐसे में आम आदमी पार्टी ने इंडी अलायंस के साथ आकर कभी नहीं सोचा की उसके हिस्से में कितनी कम या ज्यादा सीटें आ रही हैं। बल्कि उसका एक और एकमात्र उद्देश्य है कि वह भाजपा के उम्मीदवारों को हराए।
आम आदमी पार्टी की तरफ से आगे लिखा गया है कि देश में विपक्षी गठबंधन के तहत असम में भी सीट शेयरिंग को लेकर खूब प्रयास किए गए लेकिन, जब कुछ भी नतीजा नहीं निकला तो पार्टी ने तीन सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी।
आम आदमी पार्टी की तरफ से कहा गया कि कांग्रेस की तरफ से असम की 12 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा से पार्टी आश्चर्यचकित है, क्योंकि हम वोट बांटकर भाजपा की सहायता नहीं कर सकते हैं।
आम आदमी पार्टी की तरफ से कहा गया कि हम गुवाहाटी से अपने उम्मीदवार को चुनाव मैदान से हटा रहे हैं। हम भाजपा को मात देने के लिए ये बलिदान देने को तैयार हैं। जबकि, गुवाहाटी नगरपालिका चुनाव में हमारी पार्टी को भाजपा के बाद सबसे ज्यादा वोट मिले थे। ऐसे में कांग्रेस को भी सोनितपुर और डिब्रूगढ़ से अपने उम्मीदवारों के नाम वापस लेने चाहिए, नहीं तो भाजपा को जीतने से कोई रोक नहीं पाएगा और इस गठबंधन का कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
अगर कांग्रेस ऐसा नहीं करती है तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि यहां भाजपा को जीत दिलाने के लिए कांग्रेस की सेटिंग हो गई है। जिसे असम की जनता कभी नहीं बर्दाश्त करेगी।
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Source : IANS