कोरोना को लेकर स्वास्थ्य विभाग काफी सतर्क हो चुका है। सरकार से आदेश मिले हैं कि कोरोना को लेकर टेस्टिंग शुरू की जाए और साथ-साथ तैयारियां मुकम्मल रखी जाए। कोरोना के नए वेरिएंट जेएन.1 के संक्रमण का खतरा बढ़ता जा रहा है। स्वास्थ्य महकमा सतर्क है।
स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल की फ्लू, वायरल ओपीडी में श्वसन तंत्र में संक्रमण (एसएआरआइ) और इन्फ्लूएंजा लाइक इलनेस (आइएलआइ) के मरीज की कोविड जांच प्राथमिकता पर करने के निर्देश जारी किए हैं। इसको लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। पॉजिटिव नमूनों को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए लखनऊ स्थित किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में भेजने का निर्देश मिला है।
मार्च 2020 को जिले में कोरोना का पहला मरीज मिला था। तब से मई 2022 तक शहर ने कोरोना की तीन लहरों को झेला। एक लाख से अधिक लोग संक्रमित हुए थे और 490 लोग काल के गाल में समा गए थे। अब तक 35 लाख लोगों की एंटीजन और आरटीपीसीआर जांच की जा चुकी है। अभी तक की जांच में पता चला है कि कोरोना का जेएन-1 स्वरूप ओमिक्रान से निकला है। इसके चपेट में आने पर तेज बुखार, नजला, गले में खराश, सिर और पेट में दर्द, दस्त के लक्षण उभरते हैं। हालांकि, यह कितनी तेजी से फैलता है और यह कितना घातक है, यह अभी स्पष्ट नहीं है।
संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी है कि प्रभावित राज्य में यात्रा से बचें। मास्क पहनने के साथ ही भीड़ वाले इलाकों में जाने से बचें। स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों को जरूरत का सामान जुटाने, उपकरणों को चलाकर देखने, ऑक्सीजन का प्रबंध करने के निर्देश दिए हैं। केरल में सब वेरिएंट के नए मामले आने के बाद देश भर में सतर्कता बढ़ा दी गई है। राज्यों के लिए निर्देश भी आ गए हैं। शासन ने सीएमओ से वीडियो कांफ्रेंसिंग में फौरी तैयारियों पर चर्चा की।
इसके मुताबिक सभी बड़े सरकारी अस्पतालों में जल्द इंतजाम कर लिए जाएं। इसमें संक्रमितों के लिए अलग से वार्ड, डॉक्टर और स्टाफ की रोस्टर वाइज टीम, ऑक्सीजन के साथ जरूरी दवाओं की उपलब्धता शामिल है। इलाज में काम आने वाले सभी उपकरणों को चलाकर देखने को भी कहा गया है। विशेषकर जिला अस्पताल में वार्ड बनाए जाएंगे। जबकि, सीएचसी-पीएचसी को ऑक्सीजन प्लांट चलाकर देखने और जरूरत की स्थिति में वार्ड तैयार रखने को कहा गया है। विभाग में आरटीपीसीआर जांच की भी तैयारी शुरू हो सकती है। मास्क समेत प्रतिबंध लौटने की संभावना है।
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Source : IANS