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समुद्री डाकुओं से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग कर रहे हैं तटरक्षक

समुद्री डाकुओं से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग कर रहे हैं तटरक्षक

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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भारतीय तटरक्षक, एशिया में जहाजों के खिलाफ समुद्री डाकुओं और सशस्त्र लूटपाट से निपटने के लिए कदम उठा रहे हैं। भारत के साथ इस पहल में 15 विभिन्न राष्ट्र शामिल हैं। यह सभी देश समुद्री डाकुओं और लूटपाट से निपटने में एक-दूसरे का सहयोग करने के लिए आगे आए हैं।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस सहयोग के अंतर्गत 15 दिसंबर तक गुजरात के गांधीनगर में क्षमता निर्माण से संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों की 15वीं बैठक का आयोजन किया गया है। इसमें भारत के अलावा अन्य देशों के एक्सपर्ट भी शामिल हैं।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक बैठक का उद्देश्य एशिया में समुद्री डाकुओं और जहाजों के खिलाफ सशस्त्र लूटपाट की स्थिति को समझना है। इसके साथ ही एक-दूसरे के अनुभवों का आदान-प्रदान करना और सभी अनुबंधित पक्षों के सहयोगात्मक दृष्टिकोण के साथ ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए उत्कृष्ट व्यवहारों को विकसित करना भी इसका उद्देश्य है।

रीजनल को-ऑपरेशन एग्रीमेंट ऑन कॉम्बेटिंग पायरेसी एंड आर्म्ड रोबरी अगेन्स्ट शिप्स इन एशिया (रीकैप) बैठक की जा रही है। इसमें 15 देशों के कुल 19 अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इसके अलावा, भारतीय नौसेना, प्रमुख बंदरगाहों, राज्य समुद्री बोर्ड, नौवहन महानिदेशालय सहित अन्य समुद्री संगठनों जैसे राष्ट्रीय हितधारकों के वरिष्ठ अधिकारी इस बैठक में भाग ले रहे हैं।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक रीकैप समुद्री डाकुओं को कुचलने के लिए सहयोग बढ़ाने वाला पहला और एकमात्र क्षेत्रीय सरकार-से-सरकार समझौता है। भारत रीकैप को मंजूरी देने वाला 10वां देश बन गया और यह 4 सितंबर, 2006 को लागू हुआ था।

अब, रीकैप में 21 देश अनुबंधित पक्ष हैं। भारत सरकार ने सदस्य देशों के साथ समुद्री डकैती के बारे में जानकारी साझा करने के लिए आईसीजी और सिंगापुर के आरईसीएएपी सूचना साझाकरण केंद्र को जिम्मेदारी सौंपी है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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