आईआईएम-रोहतक ने रविवार को 74वां राष्ट्रीय संविधान दिवस मनाया। समारोह में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति आलोक जैन की मौजूदगी में आईआईएम के निदेशक प्रोफेसर धीरज शर्मा ने 5,000 या 6,000 साल पहले के समय पर विचार करते हुए कहा कि उस युुुुग में राष्ट्रों के पास शासन के लिए बाध्यकारी दस्तावेजों का अभाव था।
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि व्यक्तिगत नैतिक विचारधारा और सामाजिक न्याय की समझ किसी के दृष्टिकोण को आकार देने में महत्वपूर्ण कारक हैं। कानून की अदालतें बाध्यकारी कानूनी निर्णय प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, इस विश्वास से निर्देशित होकर कि व्यक्ति निष्पक्ष निर्णय ले सकता है।
समसामयिक चुनौतियों की तुलना करते उन्होंने दो प्रमुख मुद्दों की ओर इशारा किया- जवाबदेही की कमी और जिम्मेदारियों के आवंटन के आसपास अस्पष्टता। उन्होंने इन चुनौतियों से निपटने में संविधानों द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि संविधान एक मार्गदर्शक शक्ति के रूप में कार्य करता है, जो दैनिक जीवन में आने वाली जटिलताओं के लिए दिशा, उपचार और संभावित परिणाम प्रदान करता है। प्रोफेसर शर्मा ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान अंतिम मार्गदर्शक के रूप में सामने आता है। विभिन्न स्थितियों की जटिलताओं से निपटने में ये संवैधानिक दस्तावेज़ मूलभूत संदर्भ, प्रतिक्रियाओं को आकार देने और समाधान प्रदान करने के रूप में कार्य करते हैं।
वहीं न्यायमूर्ति आलोक जैन ने संविधान को हमारे देश के शासन को निर्देशित करने वाले एक मात्र कानूनी दस्तावेज से कहीं अधिक माना। उन्होंने हमारे विशाल और विविध देश के हर कोने से दूरदर्शी लोगों की 7 सदस्यीय समिति के गहन महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनका ध्यान लोगों को स्वतंत्रता का सही अर्थ समझाने के उद्देश्य से अपने समय के असंख्य मुद्दों को संबोधित करना था।
न्यायमूर्ति जैन ने कहा, हमारे विविध सांस्कृतिक परिदृश्य के लिए दुनिया के विभिन्न हिस्सों से प्राप्त कानूनों के कार्यान्वयन की आवश्यकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह विविधता संविधान के उद्देश्य को रेखांकित करती है। उन्होंने इस शाश्वत मंत्र को दोहराया कि संविधान लोगों का, लोगों के लिए और लोगों द्वारा है - इसके व्यापक लक्ष्य पर प्रकाश डालते हुए - एक संरचनात्मक ढांचा प्रदान करना जो हमारे समाज के भीतर विविध आवश्यकताओं और दृष्टिकोणों को समायोजित करता है।
इसके अलावा, उन्होंने इस धारणा पर विस्तार से प्रकाश डाला कि हमारा संविधान परिवर्तनकारी है, इस बात पर जोर देते हुए कि यह हमें नए कानूनों, उभरती परिस्थितियों और देश भर में होने वाले परिवर्तनों को नया आकार देने की स्वतंत्रता देता है। हमारा संविधान हमें परिवर्तन करने की क्षमता प्रदान करता है, यह प्रसिद्ध कहावत के अनुरूप है कि “परिवर्तन ही जीवन में एकमात्र स्थायी चीज है”।
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Source : IANS