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मध्य प्रदेश में नतीजों से पहले कमजोर कड़ी पर सभी दलों की नजर

मध्य प्रदेश में नतीजों से पहले कमजोर कड़ी पर सभी दलों की नजर

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने से पहले ही सियासी दलों ने कमजोर कड़ी की तलाश शुरू कर दी है। इसके पीछे बड़ी वजह किसी भी राजनीतिक दल को पूर्ण बहुमत न मिलने का अनुमान है।

राज्य की 230 विधानसभा सीटों के लिए 17 नवंबर को मतदान हो चुका है और नतीजा तीन दिसंबर को आने हैं। किसी भी दल को सरकार बनाने के लिए 116 विधायकों की जरूरत होगी। बहुमत का आंकड़ा यही है।

अब तक यही अनुमान लगाया जा रहा है कि दोनों दलों के बीच कड़ी टक्कर है और चुनावी नतीजे एक तरफ नहीं रहने वाले। दोनों दलों में पांच से 10 सीटों का ही अंतर रहेगा।

सट्टा बाजार भी लगभग यही कहानी कह रहा है और इसी का नतीजा है कि दोनों दल आगामी स्थितियों को लेकर चिंतित है।

बात अगर पिछले विधानसभा चुनाव की करें तो किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला था। कांग्रेस 114 सीट लेने के साथ बढ़त में थी, जबकि भाजपा को 109 स्थान पर ही जीत मिली थी। सात स्थानों पर सपा, बसपा और निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे। अन्य का कांग्रेस को साथ मिला था और उसकी सरकार भी बनी।

कांग्रेस की सरकार कमलनाथ के नेतृत्व में 15 महीने ही चल पाई और ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी के चलते 22 विधायकों ने बगावत की और कमलनाथ की सरकार गिर गई । यह घटनाक्रम दोनों ही राजनीतिक दलों को बेहतर तरीके से याद है लिहाजा किसी भी दल को पूर्ण बहुमत न मिलने की स्थिति में उन्होंने दूसरे दल के अलावा अन्य में कमजोर कड़ी की तलाश तेज कर दी है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बहुमत न मिलने या बहुमत से कुछ अंक ज्यादा निकलने के बाद भी राजनीतिक दलों की कमजोर कड़ी या यूं कहें विभीषण की तलाश में कोई पीछे नहीं रहने वाला। यह बात अलग है कि कमलनाथ लगातार दावा करते रहे हैं कि अगर वह चाहते तो अपनी सरकार बचा लेते। उनके पास भी सौदेबाजी के अवसर थे, परंतु इस बार लगता है कि वे कोई भी मौका अपने हाथ से जाने नहीं देंगे।

इसके बावजूद आने वाले दिन राज्य की सियासत में बड़े घटनाक्रम का गवाह बनेंगे, इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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