एनसीआर की हवा में बारिश होने के बाद थोड़ा सा सुधार होता दिखाई दे रहा है, लेकिन हालात अभी भी बदतर बने हुए हैं। एक्यूआई में गिरावट बहुत ज्यादा दर्ज नहीं की गई है। मौसम साफ और खुला जरूर लग रहा है लेकिन हवा अभी भी जहरीले बनी हुई है। बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा इस प्रदूषण के चलते स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और खास तौर से यह अस्थमा के मरीजों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है।
अस्पताल से मिले आंकड़ों के मुताबिक, रोजाना ओपीडी में करीब 200 से 250 बच्चों को उनके परिजन प्रदूषण के चलते होने वाली बीमारियों को लेकर पहुंच रहे हैं। वहीं महिला पुरुष और बुजुर्गों का आंकड़ा अगर देखा जाए तो संख्या 450 मरीज प्रतिदिन पहुंच रही है। यह आंकड़ा सिर्फ जिला अस्पताल के हैं अगर अन्य सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों के आंकड़ों को जोड़ा जाए तो संख्या प्रतिदिन हजारों में पहुंच जाएगी।
डॉक्टरों से मिली जानकारी के मुताबिक, गर्भवती महिला के लिए भी यह प्रदूषण काफी नुकसानदेह है। नोएडा के प्राधिकरण और गाजियाबाद के नगर निगम लाख दावे और वादे करें और मुस्तैदी के लिए अफसर की तैनाती की भी बात बताते रहे, लेकिन उससे सड़कों पर उड़ती धूल, निर्माण कार्यों से होने वाला नुकसान और अन्य वजह जिससे प्रदूषण फैलता है, उनमें कोई भी रूकावट या गिरावट देखने को नहीं मिल रही है। जिला अस्पताल से मिले आंकड़ों के मुताबिक, इस बढ़ते प्रदूषण के चलते बच्चों और बुजुर्गों को काफी ज्यादा दिक्कत हो रही है। इन दिक्कतों में सांस लेने की परेशानी, आंखों में जलन और स्किन इन्फेक्शन जैसे रोगों से लोग परेशान हो रहे हैं। डॉक्टर से मिली जानकारी के मुताबिक, यह प्रदूषण अस्थमा के मरीजों के लिए बेहद खतरनाक होता है। उन्हें बाहर निकलने के बाद अटैक भी आ सकता है।
एक डॉक्टर ने बताया कि गर्भवती महिलाओं के लिए भी यह काफी ज्यादा दिक्कत का वक्त होता है। इस प्रदूषण के चलते अगर वह बाहर बहुत ज्यादा अपना समय बिता रही है तो उनके बच्चे की डिलीवरी प्री मच्योर हो सकती है और उस बच्चे को काफी दिक्कतें आ सकती है।
गौतमबुद्ध नगर जिले के 11 हॉट स्पॉट चिन्हित किए गए हैं जिनमें यमुना पुश्ता रोड, सेक्टर-115, 116, 74 से 79, नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस वे, सेक्टर-150, दादरी रोड, सेक्टर-62 से 104, सेक्टर-62, ग्रेटर नोएडा वेस्ट, यूपीएसआईडी, सूरजपुर साइट सी, तिलपता, परी चौक, कासना, पुलिस लाइन सूरजपुर से गौर चौक शामिल हैं। इन हॉटस्पॉट पर कंस्ट्रक्शन साइट के कारण होने वाली धूल से यह इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। इनमें यमुना पुश्ता व पुश्ता रोड है। कंस्ट्रक्शन साइट के कारण उड़ने वाली धूल के कारण सेक्टर-115, सेक्टर-116, सेक्टर-150, दादरी रोड, नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस-वे, सेक्टर-125 एमिटी यूनिवर्सिटी, सेवन एक्स और ग्रेटर नोएडा वेस्ट का इलाका सबसे अधिक प्रभावित होता है।
ग्रेटर नोएडा में एक्यूआई पिछले कई दिनों 400 के पार पहुंच गया और वह डेंजर जोन में बना हुआ है। एक तरफ जिम्मेदार अफसर मुस्तैद रहने का दावा कर रहे हैं, लेकिन उसका कोई भी असर नहीं दिख रहा। जगह-जगह ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के नियमों का उल्लंघन हो रहा है। निर्माण सामग्री के आवागमन, सड़क पर धूल और निर्माण कार्य लगातार चल रहे हैं। इन पर लगाम लगा पाने में अधिकारी और प्रदूषण विभाग के लोग भी असमर्थ नजर आ रहे हैं। इसके कारण इतनी तेजी से एक्यूआई बढ़ता जा रहा है और आम आदमी को दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। एनसीआर समेत पूरे नोएडा और गाजियाबाद में स्मॉग की चादर ने पूरे वातावरण को ढक रखा है। लोगों को सांस लेने में काफी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
गाजियाबाद का लोनी सबसे ज्यादा प्रदूषित है। यहां पर आंकड़ा 500 के पास पहुंच गया। लोनी से एक वीडियो भी सामने आया है जिसमें एक्यूआई सेंटर के बाहर ही वॉटर स्प्रिंकलर चलता हुआ दिखाई दे रहा है। इसके जरिए कोशिश की जा रही है कि एक्यूआई को मापने वाली मशीन आसपास के प्रदूषण को साफ कर बढ़ते आंकड़ों को कम करता हुआ दिखाई दे। लोनी में नगर पालिका कार्यलय पर एक्यूआई मॉनिटरिंग सिस्टम लगा है, उसी के पास लगातार वाटर कैनन चलाकर मशीन को बेवकूफ बनाया जा रहा है ताकि आंकड़े सही दिखे।
बढ़ते प्रदूषण को लेकर अगर आपको घर से बाहर निकलना है तो तमाम तरह की सावधानियों का पालन करने के साथ ही बाहर निकलना होगा। नहीं तो आप कई बीमारियों का शिकार हो सकते हैं।
सीनियर फिजिशियन डॉक्टर अमित के मुताबिक अगर आपको मजबूरी बस ऐसे स्मॉग के माहौल में बाहर निकलना भी पड़ रहा है तो कुछ जरूरी बातें हैं जिनका विशेष ध्यान रखें। सबसे अहम है अपने चेहरे और आंखों को काफी बचा के रखें। इसके लिए आपको मास्क का प्रयोग करना होगा। मास्क लगाने से आप प्रदूषण से कुछ हद तक बच पाएंगे।
उन्होंने बताया कि थोड़ी-थोड़ी देर पर ठंडे पानी से अपने आंखों को धोते रहें ताकि अगर उनमें जलन हो रही है तो वह शांत हो सके। अपने ट्रैवल टाइम को काफी कम करिए ताकि आप अपने गंतव्य पर पहुंचकर अपने आप को सुरक्षित कर सकें। ऐसे स्मॉग के मौसम में सांस लेने में भी काफी परेशानी होती है। इसीलिए कोशिश करें कि ज्यादा देर आपको बाहर न रहना पड़े। गले के सुधार के लिए काढ़ा और अन्य सिरप का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पर ही करें।
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Source : IANS