2023 विश्व कप के शुरुआती 11 दिनों में आईसीसी के मैच रेफरी द्वारा चेन्नई और अहमदाबाद की पिचों को औसत रेटिंग दी गई है। भारतीय टीम के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ ने इन पिचों को औसत रेटिंग दिए जाने के फ़ैसले पर अपनी असहमति जताई है।
यह दोनों ही वैसी पिच थीं जहां भारत ने विपक्षी टीम को 200 रनों के भीतर ही ऑल आउट कर दिया था। 8 अक्तूबर को चेन्नई में ऑस्ट्रेलिया 199 जबकि पाकिस्तान 191 के स्कोर पर ही सिमट गया।
धर्मशाला में न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ मुक़ाबले से पहले द्रविड़ ने कहा, अगर आप सिर्फ़ 350 रन के मुक़ाबले ही देखना चाहते हैं तो मैं इस सोच से सहमति नहीं रखता। अगर आप सिर्फ़ चौके और छक्के लगते देखना चाहते हैं उसके लिए हमारे पास टी20 क्रिकेट है। फिर हमें किसी और चीज़ की ज़रूरत ही क्यों है?
द्रविड़ ने कहा, अगर पिच स्पिनर को मदद पहुंचाती या पिच में ऐसा कुछ होता है जिससे गेंदबाज़ गेम में वापस आ जाते हैं तो इसमें ग़लत क्या है? सिर्फ़ इस आधार पर पिच को औसत बताना कहां तक सही है? हमें पिच को औसत और अच्छा बताने के लिए बेहतर मापदंड तलाशने की ज़रूरत है।
पिचों को औसत या औसत से थोड़ा नीचे की रेटिंग मिलने पर कोई ख़ास प्रभाव नहीं पड़ता। पिच को जब ख़राब और अनफ़िट घोषित किया जाता है तब उस वेन्यू की मेज़बानी ख़तरे में पड़ जाती है। हालांकि औसत रेटिंग पिच क्यूरेटर्स के लिए संकेत होता है कि आख़िर आईसीसी किस तरह की पिच तैयार किए जाने की अपेक्षा रखता है। 15 अक्तूबर तक विश्व कप में खेले गए सभी मैचों की पिच को अच्छा और बहुत अच्छा रेट किया गया।
द्रविड़ ने कहा कि भारत में विभिन्न प्रकार की पिचों होंगी और सभी टीमों को इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। द्रविड़ ने कहा, मैं सिर्फ़ कुछ वैरायटी देखना चाहूंगा। कुछ जगहों की विकेट अच्छी होंगी और हाई स्कोरिंग मुक़ाबले भी होंगे। तो कुछ मैचों में गेंद टर्न भी होगी जबकि कुछ मैचों में गेंद को सीम भी प्राप्त होगी। यह एक लंबा टूर्नामेंट है और आप भारत के अलग अलग हिस्से में खेलेंगे। इसलिए अलग विकेट होंगे और अलग चुनौतियां होंगी। जो टीम इन चुनौतियों से पार पाने में सफल होंगी वही अंत में क़ामयाबी भी हासिल करेंगी।
भारत ने अफ़ग़ानिस्तान के ख़िलाफ़ दिल्ली में मुक़ाबला खेला था जहां अफ़ग़ानिस्तान ने आठ विकेट के नुकसान पर 272 रन बनाए थे। जबकि पुणे में बांग्लादेश ने आठ विकेट के नुकसान पर 256 रन बनाए। द्रविड़ ने कहा कि वनडे क्रिकेट में अलग तरह की स्किल की ज़रूरत है।
द्रविड़ ने कहा, हमने पुणे और दिल्ली में मैच खेले जहां 350 रन वाली पिच थी। वनडे क्रिकेट में अलग तरह की स्किल की ज़रूरत होती है जिन्हें खिलाड़ियों को अपने भीतर तैयार करना होता है। स्ट्राइक को रोटेट करना और स्पिन को खेलने की कला खिलाड़ियों को आनी चाहिए। रविंद्र जडेजा, मिचेल सैंटनर, एडम ज़म्पा की गेंदबाज़ी को देखिए। केन विलियमसन के स्ट्राइक रोटेट करने की कला को देखिए और जिस तरह से विराट कोहली और के एल राहुल ने ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ बल्लेबाज़ी की, यह सभी वैसी ही कलाएं हैं जिसकी मांग वनडे क्रिकेट आपसे करता है।
द्रविड़ ने कहा, अगर आप चाहते हैं कि स्पिनर 10 ओवर की गेंदबाज़ी करे और 60 रन देकर चला जाए और अगर कहीं एक या दो गेंद स्पिन हो जाए और आप उसे एवरेज रेट कर दें तो मैं इस पर अपनी असहमति जताता हूं।
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Source : IANS