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भाजपा ने देश को दिया ओबीसी पीएम, राहुल को नहीं है ओबीसी की चिंता : डॉ के. लक्ष्मण (आईएएनएस साक्षात्कार)

भाजपा ने देश को दिया ओबीसी पीएम, राहुल को नहीं है ओबीसी की चिंता : डॉ के. लक्ष्मण (आईएएनएस साक्षात्कार)

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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भाजपा संगठन में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च ईकाई भाजपा संसदीय बोर्ड के सदस्य और पार्टी के ओबीसी मोर्चे के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ के. लक्ष्मण ने राहुल गांधी और उनके सहयोगी दलों द्वारा किए जा रहे जातीय जनगणना और ओबीसी आरक्षण की मांग को चुनावी नाटक बताते हुए कहा है कि भाजपा देशभर में जनता के पास जाकर इनका पर्दाफाश करेगी। आईएएनएस के वरिष्ठ सहायक संपादक संतोष कुमार पाठक के साथ खास बातचीत के दौरान देशभर में ओबीसी समुदाय के बीच जाकर पार्टी की तरफ से अभियान चलाने वाले लक्ष्मण ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखने, राहुल गांधी की जातीय जनगणना की मांग, नीतीश सरकार की पहल, रोहिणी आयोग की रिपोर्ट और ओबीसी राजनीति के 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव पर पड़ने वाले प्रभाव सहित तमाम मुद्दों पर खुल कर बातचीत की।

पेश है बातचीत के अंश:

सवाल : राहुल गांधी जोर-शोर से जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं और ओबीसी आरक्षण को लेकर आपकी सरकार पर हमला बोल रहे हैं। भाजपा इसे कैसे देख रही है?

जवाब : राहुल गांधी को ओबीसी के बारे में बात करने का कोई हक नहीं है। कांग्रेस नेहरू के जमाने से लेकर इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और आज राहुल गांधी तक, हमेशा ओबीसी विरोधी रही है। इन लोगों ने कभी भी ओबीसी के हित के लिए कोई पॉलिसी नहीं बनाई, कोई निर्णय नहीं लिया। नेहरू ने काका कालेलकर के पिछड़े वर्ग के लिए की गई सिफारिश पर संसद में चर्चा तक नहीं कराई और उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया। नेहरू 17 साल तक देश के पीएम रहे, बाद में इंदिरा गांधी पीएम बनी लेकिन उन्होंने भी ओबीसी के लिए कुछ नहीं किया। गैर कांग्रेसी जनता पार्टी सरकार के दौरान मंडल कमीशन बना और जनता दल की सरकार ने मंडल कमीशन की रिपोर्ट को लागू किया। राजीव गांधी ने संसद के अंदर भी मंडल कमीशन की सिफारिश को लागू करने का विरोध किया था और वीपी सिंह को जातिवादी नेता तक कह दिया था। बाद में दस साल तक यूपीए सत्ता में रही लेकिन उन्होंने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के बारे में सोचा तक नहीं। आज जो क्षेत्रीय दल ओबीसी की बात कर रहे हैं वो मनमोहन सरकार को उस समय समर्थन दे रहे थे, लेकिन उन्होंने भी ओबीसी के लिए कुछ नहीं किया। यहां तक कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद जब पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का प्रस्ताव रखा गया तब भी संसद में कांग्रेस, वामपंथी और क्षेत्रीय दलों ने विरोध किया था।

सवाल : लेकिन अब राहुल गांधी जोर-शोर से इस मुद्दे को उठाकर आपकी सरकार को घेर रहे हैं ?

जवाब : राहुल गांधी चुनाव आते ही कभी ओबीसी बन जाते हैं तो कभी एससी बन जाते हैं तो कभी एसटी बन जाते हैं तो कभी जनेऊधारी बन जाते हैं। यह पूरा नाटक है। उनके मन में ओबीसी को लेकर कोई हमदर्दी नहीं है। जब से मोदी प्रधानमंत्री बने हैं राहुल गांधी लगातार उनकी जाति को लेकर अपशब्द बोलते रहते हैं, ओबीसी समाज का अपमान करते रहते हैं और इसके लिए अदालत उन्हें सजा तक सुना चुका है। भाजपा देशभर में जनता के बीच जाकर राहुल गांधी का पर्दाफाश करेगी।

सवाल : कैसे पर्दाफाश करेंगे ?

जवाब : हम ( भाजपा) जनता के बीच जाकर उनको तथ्यों और आंकड़ों सहित सच बताएंगे कि पिछले 9 सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओबीसी समाज के लिए ऐसे-ऐसे निर्णय लिए हैं जो इससे पहले की सरकारों ने सोचा तक नहीं था। देश भर में ओबीसी समाज के बुद्धिजीवियों का सम्मलेन कर उन्हें बताएंगे कि ओबीसी समाज के 27 नेताओं को केंद्र में मंत्री बनाकर प्रधानमंत्री ने हमारा मान, सम्मान और गौरव बढ़ाया। केंद्रीय शिक्षण संस्थानों और नीट में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया। मत्स्य संपदा योजना लेकर आए और अभी हाल ही में सरकार ने विश्वकर्मा योजना को भी लांच लॉन्च किया। यह सब सिर्फ और सिर्फ पीएम मोदी के कारण ही संभव हो पाया।

सवाल : लेकिन राहुल गांधी समेत पूरा विपक्ष जातीय जनगणना को लेकर गोलबंदी कर रहा है ?

जवाब : उन्हें ( राहुल गांधी ) पहले देश के ओबीसी समाज से माफी मांगते हुए यह बताना चाहिए कि जब 60 साल तक उनकी पार्टी सत्ता में थी तो उन्होंने इसे क्यों नहीं करवाया ? उन्हें यह भी बताना चाहिए कि कर्नाटक की उनकी सिद्धारमैया सरकार ने सर्वे करवा कर आंकड़ा क्यों नहीं जारी किया? वह हमेशा इस पर सिर्फ राजनीति करते हैं।

सवाल : नीतीश-तेजस्वी सरकार आंकड़े जारी करने का श्रेय ले रही है।

जवाब : नीतीश कुमार ने जो सर्वे कराया है, वह एनडीए सरकार का फैसला था। जिस समय भाजपा बिहार सरकार में शामिल हुआ करती थी। यह भाजपा-जेडीयू गठबंधन की संयुक्त सरकार का निर्णय था, भाजपा उसमें भागीदार थी और यह नीतीश कुमार के अकेले का फैसला नहीं था। अब चुनाव के समय राहुल गांधी और उनके साथी जाति का मुद्दा उठाकर लोगों को भड़काना चाहते हैं लेकिन जनता सब जानती है।

सवाल : आप उन पर भड़काने का आरोप लगा रहे हैं लेकिन वो इसे आने वाले पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव में और अगले साल होने वाले लोक सभा चुनाव में बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने का प्रयास कर रहे हैं। क्या यह भाजपा के लिए चिंता की बात नहीं है?

जवाब : हमें कोई चिंता नहीं है। हमारी सरकार ने काम किया है। हम ओबीसी समाज के लोगों के पास जाकर बताएंगे कि हमारी सरकार ने उनके लिए क्या-क्या काम किया है। हमारे लिए सबका साथ-सबका विकास सिर्फ एक नारा नहीं है। हमने 27 ओबीसी को केंद्र में मंत्री बनाया है, देश में पहली बार आदिवासी महिला को राष्ट्रपति बनाया है। यह हमारा सामाजिक न्याय है। हम समाज को जाति के नाम पर, मजहब के नाम पर तोड़ना नहीं चाहते, बल्कि जोड़ना चाहते हैं। हम उनसे (विपक्ष) निपट लेंगे और हम अपना एजेंडा जो कि विकास और गरीबों के कल्याण का है, वह लोगों के सामने रखेंगे। लेकिन वे लोग विकास और गरीब कल्याण पर चर्चा के लिए तैयार नहीं है। मोदी सरकार ने संसद में संविधान संशोधन कर राज्य सरकारों को यह अधिकार भी दे दिया है कि वह जिन जातियों को ओबीसी समाज में जोड़ना चाहते हैं जोड़े, निकालना चाहते हैं निकालें, उन्हें ऐसा करने का पूरा अधिकार है। इसलिए हमारा मानना है कि पहले राज्यों को गिनती करने दीजिए।

सवाल : लेकिन विपक्ष सिर्फ राज्यों की गिनती से संतुष्ट नहीं है। राहुल गांधी ने सदन में कहा था कि मोदी सरकार में केवल तीन यूनियन सेक्रेटरी ही ओबीसी से हैं।

जवाब : इसके लिए जिम्मेदार कौन है, राहुल गांधी को यह बताना चाहिए। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राज्य सभा में तथ्यों के साथ उनका जवाब दिया था। राहुल गांधी जवाब दें कि 1992 से पहले देश में सरकार किसकी थी ?

सवाल : क्या विपक्षी घेरेबंदी को तोड़ने के लिए आपकी सरकार रोहिणी कमीशन की सिफारिशों को ट्रंप कार्ड के तौर पर इस्तेमाल करने जा रही है ?

जवाब : देखिए, रोहिणी कमीशन ने तो अभी अपनी रिपोर्ट दी है। सदन में जब इसे रखा जाएगा, तब देखेंगे कि रिपोर्ट में क्या-क्या सिफारिशें की गई हैं। लेकिन हमारा स्पष्ट तौर पर यह मानना है कि ओबीसी समुदाय के जिन जातियों को अभी आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाया है उन तक इसका लाभ पहुंचाया जाए। विश्वकर्मा जैसी योजनाओं से यह पता चलता है कि मोदी सरकार उनके हितों की रक्षा के लिए कितनी गंभीर है।

सवाल : राजनीतिक गोलबंदी के दौर में क्या ओबीसी वोटरों में भी बिखराव होने जा रहा है? क्या आपको लगता है कि ओबीसी समाज से आने वाली दबंग जातियां भले ही उनके साथ हो लेकिन इसका एक बड़ा हिस्सा भाजपा के साथ है ?

जवाब : विभाजन जैसी कोई बात नहीं है, ओबीसी का पूरा समाज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ है।

सवाल : यादव भी ?

जवाब : पूरा ओबीसी समाज पीएम मोदी के साथ है, सब यादव भी हमसे जुड़े हुए हैं और लगातार जुड़ रहे हैं। यादवों को भी सच पता लग गया है कि जो नेता उनके नाम पर राजनीति कर रहे हैं, उन्होंने सिर्फ और सिर्फ अपने परिवारों को ही फायदा पहुंचाने का काम किया है। उन्होंने कभी यादव के हितों के लिए काम नहीं किया चाहे वह मुलायम सिंह यादव रहे हो या लालू प्रसाद यादव।

सवाल : क्या आपको लगता है कि पीएम मोदी का ओबीसी समाज से ताल्लुक रखना भाजपा का सबसे बड़ा प्लस पॉइंट है?

जवाब : बीजेपी ने ओबीसी समाज से आने वाले गरीब परिवार से जुड़े व्यक्ति नरेंद्र मोदी को देश का प्रधानमंत्री बनाया है और निश्चित तौर पर यह हमारी पार्टी के लिए एक बहुत बड़ा प्लस पॉइंट है। वह ओबीसी समाज से जुड़े एक विजनरी नेता हैं, उन्होंने पूरी दुनिया को दिखा दिया है कि एक गरीब परिवार से आया हुआ व्यक्ति किस तरह से भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए काम कर रहा है। आज पूरे विश्व के नेता हमारे प्रधानमंत्री मोदी का गुणगान कर रहे हैं और हम इससे गौरवान्वित महसूस करते हैं कि वह हमारे ओबीसी समाज के हैं और देश के प्रधानमंत्री हैं। ओबीसी समाज के समर्थन से ही मोदी दो बार पीएम बने हैं और 2024 में तीसरी बार बनने जा रहे हैं। इसलिए विपक्ष लोगों को खासकर ओबीसी लोगो को भड़काने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन लोग उनके जाल में फंसने वाले नहीं है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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