झारखंड हाईकोर्ट ने जेपीएससी (झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन) सिविल सर्विस की फर्स्ट और सेकंड बैच की परीक्षा में गड़बड़ियों के लिए जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई के बारे में राज्य सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। मामले की अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी।
कोर्ट ने गुरुवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से पूछा है कि सीबीआई ने जिन आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए स्वीकृति आदेश मांगा था, उस पर क्या हुआ? कितने और किन-किन अफसरों पर अभियोजन चलाने की मंजूरी दी गई? सरकार को इन सवालों पर शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है।
उल्लेखनीय है कि कोर्ट ने इससे पूर्व हुई सुनवाई में सीबीआई को रिपोर्ट फाइल कर यह बताने को कहा था कि मामले की जांच के बाद केस किस स्टेज में है? अगर चार्जशीट फाइल की गई है तो इसके बाद किन-किन आरोपियों के खिलाफ प्रॉसिक्यूशन की इजाजत मांगी गई है और उसका स्टेटस क्या है?
कोर्ट में बुद्धदेव उरांव नामक व्यक्ति की ओर से दायर जनहित याचिका और राज्य सरकार की अपील याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। बुद्धदेव उरांव ने यह याचिका 2008 में दाखिल की थी। इसमें जेपीएससी सेकंड बैच की परीक्षा में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी और अंकों में हेराफेरी का आरोप लगाया गया था।
इस परीक्षा के जरिए कुल 172 पदों पर बहाली हुई थी। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने 12 जून 2012 को जेपीएससी सेकंड बैंच सहित कुल 12 परीक्षाओं की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
कोर्ट ने सेकंड बैच के जरिए नियुक्त अधिकारियों के काम करने और उनके वेतन भुगतान पर रोक का भी आदेश दिया था। इसके खिलाफ सरकार और प्रभावित अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी।
सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों के काम करने और वेतन पर लगी रोक को हटा लिया था। इसके बाद बुद्धदेव उरांव ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दाखिल किया था, जिस पर 2017 में कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश को फिर से बहाल रखा था।
अब झारखंड हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र और आनंदा सेन की खंडपीठ इस पूरे मामले में कराई गई सीबीआई जांच को लेकर राज्य सरकार की ओर से दायर अपील याचिका पर सुनवाई कर रही है। मामले की अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को मुकर्रर की गई है।
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Source : IANS