(रिपोर्ट- मधुरेंद्र कुमार)
मोदी सरकार के 100 दिनों के कार्यकाल में विदेश मंत्रालय ने कई महत्वपूर्ण कूटनीतिक सफलताएं हासिल की हैं, जिनसे भारत का वैश्विक प्रभाव बढ़ा है. लेकिन साथ हीं पड़ोसी देश बांग्लादेश में हुआ सत्ता परिवर्तन भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभर रहा है. इन 100 दिनों में जहां एक ओर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों पर भारत की भूमिका बढ़ी है, वहीं बांग्लादेश की राजनीति में उथल-पुथल भारत के लिए चिंता का विषय बनती दिख रही है.
प्रमुख कूटनीतिक उपलब्धियां
उच्च स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय दौरों की सफलता
सरकार के पहले 100 दिनों में भारत ने दुनिया के कई प्रमुख देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के लिए उच्च स्तरीय यात्राएं कीं.
- राष्ट्रपति की विदेश यात्राएं: माननीय राष्ट्रपति ने फिजी, न्यूजीलैंड और तिमोर-लेस्ते की यात्राएं कीं, जिससे इन देशों के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंध और प्रगाढ़ हुए.
- प्रधानमंत्री के दौरे: प्रधानमंत्री ने इटली (G7), रूस, ऑस्ट्रिया, पोलैंड, यूक्रेन, सिंगापुर और ब्रुनेई की यात्राएं कीं. इन यात्राओं के माध्यम से भारत ने वैश्विक मंचों पर अपनी उपस्थिति को और मजबूत किया.
- विदेश मंत्री के दौरे: विदेश मंत्री ने UAE, कतर, श्रीलंका, कजाकिस्तान, मॉरीशस, मालदीव, कुवैत और सऊदी अरब सहित कई देशों की यात्रा की, जिनसे व्यापार, सुरक्षा और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूती मिली.
बहुपक्षीय मंचों पर प्रभावी भूमिका
भारत ने बहुपक्षीय मंचों पर भी अपनी सक्रिय भागीदारी से वैश्विक नेतृत्व की ओर कदम बढ़ाए हैं जिनमें शामिल है -
- G-7 शिखर सम्मेलन: प्रधानमंत्री ने इटली में G-7 नेताओं की बैठक में भाग लिया, जहां वैश्विक मुद्दों पर भारत का दृष्टिकोण प्रस्तुत किया गया.
- शंघाई सहयोग संगठन (SCO) और क्वाड: विदेश मंत्री ने कजाकिस्तान में SCO और जापान में क्वाड देशों की विदेश मंत्रियों की बैठकों में भाग लिया, जो क्षेत्रीय सुरक्षा और सहयोग के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं.
- वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन: प्रधानमंत्री द्वारा आयोजित इस शिखर सम्मेलन में 122 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिसमें 21 राष्ट्राध्यक्ष शामिल थे. इस मंच ने विकासशील देशों के लिए भारत की बढ़ती भूमिका को और स्पष्ट किया.
कूटनीतिक विस्तार और सहयोग
MEA ने वैश्विक स्तर पर भारत की उपस्थिति को और सशक्त किया है. अल्बानिया, गैबॉन, जॉर्जिया, लातविया और तिमोर-लेस्ते में नए भारतीय मिशन खोले गए हैं. इसके साथ ही ऑकलैंड (न्यूजीलैंड) और बार्सिलोना (स्पेन) में नए काउंसलेट की स्थापना भी की गई है, जो कूटनीतिक पहुंच को और विस्तार देता है.
समुद्री और डिजिटल सहयोग
भारत ने समुद्री सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है. श्रीलंका में समुद्री बचाव समन्वय केंद्र (MRCC) की स्थापना और भारत-श्रीलंका फेरी सेवा की पुनः शुरुआत के साथ-साथ सेशेल्स को PS Zoroaster जहाज की सौगात महत्वपूर्ण रही है. डिजिटल भुगतान के क्षेत्र में, इंडिया स्टैक के तहत कई देशों के साथ समझौते किए गए हैं, जिनमें कोलंबिया, क्यूबा और त्रिनिदाद और टोबैगो प्रमुख हैं.
बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन भारत के लिए चुनौती
हालांकि मोदी सरकार के 100 दिनों में कई कूटनीतिक उपलब्धियां दर्ज की गई हैं, पड़ोसी देश बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन भारत के लिए एक बड़ी चिंता के रूप में सामने आ रहा है. शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार, जिसने भारत के साथ मजबूत संबंध बनाए उसका सत्ता से बाहर जाना भारत की पूर्वी सीमा पर रणनीतिक संतुलन को प्रभावित कर सकता है. वही बांग्लादेश में हुए विद्रोह के बाद हसीना का भारत में शरण लेना भी दोनो देशों के संबंधों पर भारी पड़ा.
स्वास्थ्य, ऊर्जा और विकास साझेदारी
भारत ने स्वास्थ्य क्षेत्र में भी बड़े कदम उठाए हैं. ब्राजील, अर्जेंटीना और अन्य देशों के साथ ड्रग रेगुलेटर सहयोग और भारतीय फार्माकोपिया की मान्यता के लिए समझौते किए गए हैं. इसके अलावा, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में, बोलीविया, डोमिनिकन गणराज्य और कोस्टा रिका के साथ ISA फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं.
विकास साझेदारी के अंतर्गत, भारत ने ज़िम्बाब्वे में डेका पम्पिंग स्टेशन और बुरुंडी में 20 मेगावाट हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट जैसी परियोजनाएं पूरी की हैं, जो भारत की वैश्विक विकास प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं.