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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
नई दिल्ली, 14 नवंबर (आईएएनएस)। हींग भारतीय रसोई का वो जायका है जो किसी भी खाने का स्वाद और खुशबू को दस गुना अधिक बढ़ा देता है। किसी भी दाल, सब्जी या खिचड़ी में बस एक चुटकी हींग डाल दो, और वो इतनी लजीज बन जाती है कि किसी के भी मुंह में पानी आ जाए, लेकिन क्या आपको पता है कि जिस हींग को आप बड़े चाव से खा रहे हैं, वो बनती कैसे है और क्या ये सेहत के लिए भी अच्छी है?
हींग एक जंगली वनस्पति की जड़ों से मिलने वाला रस (गोंद) है, जिसकी गंध बहुत तीव्र होती है। इसे खुरासान और मुल्तान में पैदा होने वाले पेड़ से लिया जाता था, इसलिए इसे बाल्हीक भी कहा गया। रामठ देश (अब इजरायल का दक्षिणी हिस्सा) में भी यह पाया जाता था। कहा जाता है कि बौद्धों के साथ यह भारत आया।
आज भारत में उपयोग होने वाली हींग को कंपाउंडेड हींग कहते हैं। इसमें शुद्ध हींग की मात्रा सिर्फ 30 प्रतिशत या उससे भी कम होती है। बाकी दो तिहाई में मैदा, आटा, गोंद और अन्य पदार्थ मिलाए जाते हैं ताकि इसकी तीव्र गंध हल्की हो जाए और रसोई में इस्तेमाल किया जा सके।
बाजार में मिलने वाली हींग की गंध इसी मिलावट पर निर्भर करती है-जितनी कम मिलावट, उतनी तेज गंध। विश्व में हींग की सबसे अधिक खपत भारत में होती है, लेकिन उत्पादन पहले भारत में नहीं होता था। इसलिए कच्ची हींग अफगानिस्तान, ईरान और खुरासान जैसे देशों से आयात की जाती थी।
हींग का इतिहास और व्यापार भी दिलचस्प है। मुगल काल में आगरा में हींग का बड़ा बाजार था। अफगानिस्तान से हींग भेड़ों की खाल में बंद होकर आती थी। आगरा पहुंचकर हींग और कच्चे चमड़े का अलग-अलग व्यापार होता था। यही कारण था कि आगरा में जूते का उद्योग भी फलने-फूलने लगा। आज हाथरस भारत में हींग शोधन का सबसे बड़ा केंद्र है। भारत में हींग की खेती भी शुरू हो चुकी है और 2016-17 में इसके बीज ईरान से मंगवाए गए।
हींग का इस्तेमाल सिर्फ खाने में ही नहीं बल्कि घरेलू उपायों में भी किया जाता है। अगर पेट में गैस की समस्या हो, तो थोड़ी सी हींग पाउडर का पानी में घोल बनाकर नाभि पर लगाकर सो जाएं, आधे घंटे में राहत मिल जाती है। छोटे बच्चों में भी यही उपाय तुरंत फायदा पहुंचाता है। यही वजह है कि हींग न केवल भारतीय मसालों का अनिवार्य हिस्सा बन गई है, बल्कि स्वास्थ्य और घरेलू इलाज में भी इसका महत्व बहुत बड़ा है।
--आईएएनएस
पीआईएम/एबीएम
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