चीनी कंपनियों पर बिफरे जाम्बिया के किसान: आरोप 'पानी पीने लायक नहीं, फसल भी बर्बाद', मुकदमा दायर किया

चीनी कंपनियों पर बिफरे जाम्बिया के किसान: आरोप 'पानी पीने लायक नहीं, फसल भी बर्बाद', मुकदमा दायर किया

चीनी कंपनियों पर बिफरे जाम्बिया के किसान: आरोप 'पानी पीने लायक नहीं, फसल भी बर्बाद', मुकदमा दायर किया

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IANS
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Zambian farmers sue Chinese-linked mining firms for ecological catastrophe

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 17 सितंबर (आईएएनएस)। मध्य अफ्रीका के जाम्बिया में किसानों ने चीन से जुड़ी दो कंपनियों के खिलाफ 80 अरब डॉलर का मुकदमा दायर किया है। किसानों ने फरवरी में तांबे के खनन से निकले कचरे को संग्रहित करने वाले एक बांध के ढह जाने के बाद हुए पारिस्थितिक असंतुलन के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया है।

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कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, किसानों ने अदालती दस्तावेजों में कहा कि लाखों लीटर अत्यधिक अम्लीय पदार्थ जलमार्गों में फैल गया, जिससे मछलियों की बड़ी संख्या में मौत हो गई, पानी पीने योग्य नहीं रहा और फसलें नष्ट हो गईं।

यह मुकदमा ग्रामीण, जिनमें ज्यादातर किसान हैं, चीन की सरकारी कंपनियों की सहायक कंपनियों सिनो मेटल्स लीच जाम्बिया और एनएफसी अफ्रीका माइनिंग के खिलाफ लड़ रहे हैं।

किसानों ने अदालत को बताया कि इस रिसाव से तांबा खनन क्षेत्र के लगभग 3 लाख परिवार प्रभावित हुए हैं और ये जाम्बिया के इतिहास की सबसे बड़ी पर्यावरणीय आपदा है। किसानों ने तर्क दिया कि बांध टूटने के कई दिनों बाद तक उन्हें पानी की अत्यधिक विषाक्त प्रकृति के बारे में अनभिज्ञ रखा गया था।

अमेरिकी दूतावास ने अगस्त में एक स्वास्थ्य चेतावनी जारी की थी, जिससे क्षेत्र में पानी और मिट्टी के व्यापक प्रदूषण को लेकर लोग चिंतित हुए। 176 किसानों के एक समूह ने जाम्बिया की राजधानी लुसाका स्थित उच्च न्यायालय में अपने समुदाय की ओर से दस्तावेज दायर किए हैं।

यह बांध सिनो मेटल्स लीच जाम्बिया के स्वामित्व में था और एनएफसी अफ्रीका माइनिंग के भू-क्षेत्र में स्थित था। किसानों के अनुसार, बांध के ढहने के कई कारण थे। इनमें इंजीनियरिंग की खामियां, निर्माण संबंधी खामियां और संचालन संबंधी कुप्रबंधन शामिल थे।

कंपनियों ने अभी तक मुकदमे पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन सिनो मेटल्स लीच जाम्बिया ने पहले कहा था कि लगभग 50,000 घन मीटर रिसाव हुआ था।

कंपनी ने 3 सितंबर को एक बयान में कहा, पता चलने के कुछ ही घंटों के भीतर टेलिंग्स रिसाव और दरार पर तुरंत नियंत्रण पा लिया गया।

अदालत के दस्तावेजों में कहा गया है कि पीड़ितों ने पेशाब में खून और सीने में जकड़न सहित कई बीमारियों के लक्षण बताए हैं। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि कुएं प्रदूषित थे और फसलों का भी प्रयोग नहीं किया जा सकता था। यही वजह है कि उन्हें जलाना पड़ा।

इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं ने आपदा से प्रभावित लोगों को तत्काल और अति आवश्यक सहायता प्रदान करने और संपूर्ण स्वास्थ्य एवं पर्यावरणीय आकलन के लिए 2 करोड़ डॉलर के आपातकालीन कोष की मांग की।

--आईएएनएस

केआर/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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