वित्तीय सशक्तिकरण के माध्यम से महिलाएं स्वायत्तता प्राप्त कर सकती हैं : वूमेन लीडरशिप सीरीज में दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता

वित्तीय सशक्तिकरण के माध्यम से महिलाएं स्वायत्तता प्राप्त कर सकती हैं : वूमेन लीडरशिप सीरीज में दिल्ली सीएम रेखा गुप्ता

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IANS
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Jitan Ram Manjhi

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 26 मई (आईएएनएस)। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने महिलाओं की आत्मनिर्भरता के लिए उनके वित्तीय सशक्तिकरण पर जोर दिया है।

वुमेन लीडरशिप सीरीज के पहले व्याख्यान में उन्होंने ‘पहुंच से स्वायत्तता तक - महिला नेतृत्व पर वित्तीय स्वतंत्रता का प्रभाव’ शीर्षक से उन्होंने कहा, “महिलाओं का आर्थिक रूप से मजबूत होना बहुत जरूरी है। जब महिलाएं अपनी क्षमता को पहचानकर आगे बढ़ती हैं और आर्थिक रूप से सक्षम बनती हैं, तभी वे स्वयं निर्णय लेने में समर्थ होती हैं और नेतृत्व की भूमिका निभा सकती हैं।”

इस कार्यक्रम में यूनिसेफ की संस्था युवाह की प्रमुख जॉर्जिया वारिस्को और ग्लोबल वुमन फ़ाउंडेशन की वैष्णवी जैन ने भी हिस्सा लिया।

यह व्याख्यान ग्लोबल वुमन फ़ाउंडेशन द्वारा ओ. पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी और सेंटर फॉर एडवांसिंग रिसर्च इन मैनेजमेंट एंड लॉ (सीएआरएमएल) के साथ मिलकर आयोजित किया गया था।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा, हमने अतीत में देखा है कि ‘सत्ता’ अक्सर परिवार में मुख्य कमाने वाले से जुड़ी होती थी, और यह भूमिका ज्यादातर पुरुषों की होती थी। महिलाएं उन पर निर्भर रहती थीं। आज का यह संवाद महिलाओं को एक नया रास्ता दिखाने के लिए है। एक लीडर के तौर पर मेरा कर्तव्य है कि मुझे राज्य की महिलाओं को इस दिशा में प्रोत्साहित करना चाहिए और उनके संकल्प को मजबूत करना चाहिए।”

उन्होंने कहा – “हमारे देश में समाज सुधारकों ने महिलाओं के हक़ में आवाज़ उठाई है। हमने बालिका हत्या, विधवा पुनर्विवाह के विरोध और महिलाओं की शिक्षा जैसे मुद्दों से जूझते हुए धीरे-धीरे समाज की सोच बदली है। हमने लड़कियों को विकास, प्रगति और उन्नति की ओर बढ़ावा देने के उद्देश्य का समर्थन किया है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, लेकिन यह सब आसानी से नहीं हुआ। सामाजिक और सांस्कृतिक मानसिकता को बदलने में समय लगा है। हमें अभी भी मिलकर उन रुकावटों को हटाना है जो महिलाओं की तरक्की में बाधा हैं।”

ओ.पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) और ग्लोबल वूमेन फाउंडेशन ने महिलाओं के लिए अकादमिक सहयोग, शोध और नेतृत्व के अवसरों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

इस साझेदारी के अंतर्गत शोध कार्यों का आदान-प्रदान, परियोजनाओं पर मिलकर काम, लाइव प्रोजेक्ट्स को सुविधाजनक बनाने, छात्रों को इंटर्नशिप के अवसर, और संयुक्त रूप से कॉन्फ्रेंस, कार्यशालाएं व सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे।

जेजीयू यूनिवर्सिटी अपनी पढ़ाई को दुनिया भर में पहुंचाने की क्षमता और ग्लोबल वुमेन फाउंडेशन की महिलाओं को सशक्त बनाने की कोशिश को मिलाकर, यह साझेदारी एक ऐसा मंच बनाएगी जहां नई सोच को बढ़ावा मिलेगा, नेतृत्व का प्रशिक्षण दिया जाएगा और अलग-अलग क्षेत्रों के लोग आपस में बातचीत कर सकेंगे।

इस साझेदारी से कई बड़ी कॉन्फ्रेंस और सेमिनार भी आयोजित किए जाएंगे। इनमें बड़े-बड़े विचारक, नीति-निर्माता और उद्योग विशेषज्ञ एक साथ आकर जरूरी मुद्दों पर चर्चा करेंगे और बेहतरीन तरीकों को साझा करेंगे। वर्कशॉप और लीडरशिप से जुड़ी कार्यक्रम महिलाओं की अगली पीढ़ी को नेतृत्व के लिए तैयार करने के लिए लगातार अवसर देंगे और उन्हें आगे बढ़ने में मदद करेंगे।

इस पहल का उद्देश्य महिलाओं के लिए नेतृत्व प्रशिक्षण, नवाचार और विभिन्न क्षेत्रों में संवाद का एक सशक्त मंच तैयार करना है।

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति प्रो. (डॉ.) सी. राजकुमार ने कहा – “जब हम आर्थिक स्वतंत्रता और महिला नेतृत्व के प्रभाव की बात करते हैं, तो हमारी मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता स्वयं इस सोच की प्रतीक हैं। किसी भी समतामूलक और समावेशी समाज की नींव महिलाओं के अधिकार और उन्हें सशक्त बनाने के प्रयासों पर टिकी होती है।”

उन्होंने कहा, हमने महिलाओं से जुड़े कई अहम कानूनों को बनते और लागू होते देखा है, जिसमें 1976 का समान पारिश्रमिक अधिनियम; 2005 का हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, जो बेटियों के लिए समान उत्तराधिकार अधिकारों की वकालत करता है; 2017 का मातृत्व लाभ (संशोधन) अधिनियम; और निश्चित रूप से 2013 का कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न अधिनियम शामिल है। भारत सरकार ने महिलाओं की आर्थिक ताकत बढ़ाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें प्रधानमंत्री जन धन योजना; एससी/एसटी और महिला उद्यमियों के लिए ऋण; महिला ई-हाट, महिलाओं के नेतृत्व वाले उद्यमों के लिए एक ऑनलाइन मंच; महिलाओं के सूक्ष्म उद्यमों के लिए मुद्रा योजना; और हिंसा से बचे लोगों के लिए कानूनी, मनोवैज्ञानिक और आर्थिक सहायता प्रदान करने पर केंद्रित वन-स्टॉप केंद्र शामिल हैं।

उन्होंने आगे कहा, यह आयोजन एक ऐसे समाज के निर्माण की आवश्यकता को रेखांकित करता है जहां महिलाएं अच्छी शिक्षा पाएँ, अपने पैरों पर खड़ी हों, नौकरी करें, अपना व्यवसाय शुरू कर सकें, ज़मीन या घर की मालिक बनें और राजनीति, कानून, चिकित्सा और तकनीक जैसे क्षेत्रों में नेतृत्व करें। महिलाएं केवल अपवाद नहीं, बराबरी के हक की हिस्सेदार बनें। असली स्वतंत्रता सिर्फ व्यक्तिगत आजादी नहीं, बल्कि बराबर अधिकारों, सामाजिक बदलाव और न्याय की बात है।

जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल की कार्यकारी डीन प्रोफेसर दीपिका जैन ने कहा कि अगर किसी महिला के पास अपने वित्त पर अधिकार नहीं है, तो वह अपने परिवार, समाज या कार्यस्थल पर दूसरों के फैसलों पर निर्भर रहती है। आर्थिक आज़ादी का मतलब सिर्फ पैसा कमाना नहीं, बल्कि अपने फैसले खुद लेने की ताकत, गरिमा से जीने का हक़, और हिंसा या शोषण से बाहर निकलने की हिम्मत है। जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल में, हम कानून को न केवल न्याय के साधन के रूप में देखते हैं, बल्कि परिवर्तन के एक शक्तिशाली एजेंट के रूप में भी देखते हैं। हमारी संस्था ने महिलाओं की लीडरशिप को आगे बढ़ाने के लिए लगातार काम किया है। हमें महिला विद्वानों द्वारा संचालित अपने कई शोध केंद्रों पर गर्व है। हमारे रिसर्च सेंटरों की अगुवाई अधिकतर महिला प्रोफेसर करती हैं, और हमारे 70 नेतृत्व के पदों पर महिलाएं हैं।

ग्लोबल वीमेन फाउंडेशन (जीडब्ल्यूएफ) की वैष्णवी जैन ने कहा कि हम दुनिया भर की महिलाओं की ताकत, हिम्मत और क्षमता का उत्सव मना रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि हर चुनौती को मौके में बदला जाए और हर सपना साकार हो। चाहे वह वित्तीय साक्षरता में महारत हासिल करना हो, नए उद्यम शुरू करना हो, नेतृत्व की सीढ़ी चढ़ना हो या करियर को आगे बढ़ाना हो। जीडब्ल्यूएफ में, हम अपनी विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से समुदाय की भावना को बढ़ावा देकर महिलाओं की मदद करते हैं। जीडब्ल्यूएफ सदस्यों को जुड़ने, प्रेरित करने और सामूहिक सफलता की दिशा में काम करने और एक सुरक्षित, समावेशी वातावरण बनाने के हमारे मिशन में शामिल होने के लिए एक मंच प्रदान करता है जहां हर आवाज मायने रखती है।

यूनिसेफ की युवाह प्रमुख जॉर्जिया वारिस्को ने अपने भाषण में कहा, इस तरह के कार्यक्रम यह दिखाते हैं कि हम सब मिलकर लैंगिक समानता और समाज में बदलाव के लिए संकल्पित हैं। यह एक ऐसा समागम है जहां विचार, अनुभव और उद्देश्य एक दूसरे से जुड़ते हैं और हमें याद दिलाते हैं कि जब हम सामूहिक रूप से कार्य करते हैं तो क्या संभव है। आर्थिक आजादी का मतलब सिर्फ कमाई नहीं, बल्कि अपने फैसले खुद लेने और समाज में बदलाव लाने की ताकत है। वित्तीय स्वतंत्रता के साथ परिवार और समुदाय के भीतर एक नई भूमिका आती है। यह बदलाव तभी सच होता है जब महिलाएं अदृश्य रहने के बजाय प्रभावशाली बनें। हालांकि बहुत तरक्की हुई है, लेकिन अभी भी बहुत काम बाकी है- विशेष रूप से हाशिए की पृष्ठभूमि से आने वाली महिलाएं, औपचारिक वित्तीय प्रणालियों तक सीमित पहुंच, लिंग मानदंडों या सीमित गतिशीलता से बाधाओं का सामना करना जारी रखती हैं।

जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल में एसोसिएट प्रोफेसर प्रोफेसर (डॉ) मनमीत कौर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पहुंच से स्वायत्तता तक: महिला नेतृत्व पर वित्तीय स्वतंत्रता का प्रभाव थीम वित्तीय स्वतंत्रता को महिला सशक्तिकरण, आत्मविश्वास बढ़ाने, निर्णय लेने, नेतृत्व करने और उनकी पूरी क्षमता को अनलॉक करने के लिए एक शक्तिशाली उत्प्रेरक के रूप में रेखांकित करती है।

--आईएएनएस

एएस/

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