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भारत पर अगले 24 घंटे में टैरिफ में होगी भारी वृद्धि : डोनाल्ड ट्रंप
(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
वाशिंगटन, 5 अगस्त (आईएएनएस)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि वह अगले 24 घंटों में भारत पर टैरिफ और बढ़ाएंगे। इससे पहले ट्रंप भारतीय निर्यात पर 7 अगस्त से 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान कर चुके हैं।
सीएनबीसी के साथ एक इटरव्यू में, ट्रंप ने कहा कि वह भारत पर टैरिफ बढ़ाएंगे और पहले तय की गई 25 प्रतिशत की दर में संशोधन करेंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, भारत में सबसे ज्यादा टैरिफ हैं। हम भारत के साथ बहुत कम व्यापार करते हैं। हमने 25 प्रतिशत पर समझौता किया था, लेकिन मुझे लगता है कि मैं अगले 24 घंटों में इसे काफी बढ़ा दूंगा।
उन्होंने दावा किया कि भारत रूसी तेल खरीद रहा है और रूसी वार मशीन को बढ़ावा दे रहा है।
दूसरी तरफ, भारत ने अतिरिक्त टैरिफ की धमकी को अनुचित बताया है।
वहीं, रूस ने भी मंगलवार को कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए अमेरिका की इस तरह की दबाव बनाने की रणनीति को अवैध करार दिया। उसने भारत का समर्थन किया और मॉस्को से तेल खरीदने पर नई दिल्ली पर टैरिफ बढ़ाने की ट्रंप की धमकियों की आलोचना करते हुए कहा, संप्रभु राष्ट्रों को अपने व्यापारिक साझेदार चुनने का अधिकार होना चाहिए।
रूसी राष्ट्रपति के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव के हवाले से रूस की सरकारी समाचार एजेंसी टीएएसएस ने कहा, रूस भारत के खिलाफ अमेरिकी धमकियों को जानता है और ऐसे बयानों को जायज नहीं मानता। संप्रभु देशों को अपने व्यापारिक साझेदार, व्यापार और आर्थिक सहयोग में साझेदार चुनने और किसी विशेष देश के हित में व्यापार और आर्थिक सहयोग व्यवस्था चुनने का अधिकार होना चाहिए।
ट्रंप द्वारा नई दिल्ली पर भारी टैरिफ लगाने की धमकी के बाद, भारत सरकार ने सोमवार को कहा कि रूसी तेल खरीद को लेकर अमेरिका द्वारा भारत को निशाना बनाना अनुचित और अविवेकपूर्ण है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था की तरह, भारत अपने राष्ट्रीय हितों और आर्थिक सुरक्षा की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।
सरकार के अनुसार, यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद रूस से तेल आयात करने के कारण भारत अमेरिका और यूरोपीय संघ के निशाने पर है।
आगे कहा, दरअसल, भारत ने रूस से आयात इसलिए शुरू किया क्योंकि संघर्ष शुरू होने के बाद पारंपरिक आपूर्ति यूरोप की ओर मोड़ दी गई थी। उस समय अमेरिका ने वैश्विक ऊर्जा बाजारों की स्थिरता को मजबूत करने के लिए भारत द्वारा इस तरह के आयात को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया था।
--आईएएनएस
एबीएस/
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