मुंबई, 11 जुलाई (आईएएनएस) भारत का पुरानी कारों का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और इस वित्त वर्ष में इसके 60 लाख यूनिट को पार कर जाने की उम्मीद है। इसकी वजह वैल्यू के प्रति सचेत खरीदारों की बढ़ती मांग, डिजिटल तकनीक अपनाने में तेजी और फंडिंग की आसान पहुंच है। शुक्रवार को जारी एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
क्रिसिल रेटिंग्स द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, पुरानी कारों की बिक्री 8-10 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है, जो नई कारों की बिक्री की वृद्धि दर से दोगुनी से भी ज्यादा है।
यूज्ड कार मार्केट में इस तेजी ने पुरानी कारों की तुलना में नई कारों की बिक्री के अनुपात को इस साल 1.4 तक पहुंचा दिया है, जो पांच साल पहले 1 से भी कम था, जो उपभोक्ता व्यवहार में एक बड़े बदलाव का संकेत है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पुरानी कारों का अनुमानित बाजार मूल्य अब लगभग 4 लाख करोड़ रुपए है, जो देश में नई कारों की बिक्री के मूल्य के लगभग बराबर है।
क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी ने कहा कि पुरानी कारों और नई कारों का बढ़ता अनुपात खरीदारों की प्राथमिकताओं में दीर्घकालिक बदलाव का संकेत देता है।
उन्होंने आगे कहा कि पुरानी कारों की औसत आयु अब घट रही है और लगभग 3.7 वर्ष तक पहुंचने की उम्मीद है, जो दर्शाता है कि लोग अपने वाहनों को तेजी से अपग्रेड कर रहे हैं।
इस बदलाव के पीछे एक मुख्य कारण यह है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म द्वारा बेहतर पारदर्शिता और सुविधा प्रदान करने के कारण है जिससे अब ज्यादा लोग पुरानी कारें खरीदने में विश्वास दिखा रहे हैं।
इसके अलावा, वैश्विक स्तर पर रेयर अर्थ मिनरल और सेमीकंडक्टर की कमी के कारण नई कारों की डिलीवरी में देरी के कारण, कई खरीदार तेज पहुंच के लिए पुरानी कारों की ओर रुख कर रहे हैं।
क्रिसिल द्वारा छह प्रमुख ऑनलाइन पुरानी कार प्लेटफॉर्म, जिनमें निर्माताओं द्वारा समर्थित प्लेटफॉर्म भी शामिल हैं, के विश्लेषण से पता चलता है कि ये कंपनियां, जो संगठित पुरानी कारों के बाजार का लगभग आधा हिस्सा बनाती हैं, तेजी से विस्तार कर रही हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुल पुरानी कारों की बिक्री में इन प्लेटफॉर्म की हिस्सेदारी लगभग एक-तिहाई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के पुरानी कारों के बाजार में अभी भी विकास की काफी गुंजाइश है। पुरानी कारों की बिक्री में वृद्धि का एक अन्य कारक वित्तपोषण की बढ़ती उपलब्धता है।
क्रिसिल रेटिंग्स की निदेशक पूनम उपाध्याय ने कहा कि उच्च लागत के कारण मार्जिन पर दबाव बना हुआ है, लेकिन निरीक्षण, घर-घर डिलीवरी, बीमा और फाइनेंस जैसी एकीकृत सेवाओं की पेशकश का चलन समय के साथ कंपनियों को अपने मुनाफे में सुधार करने में मदद करेगा।
उपाध्याय ने कहा, लागत नियंत्रण और निरंतर मांग के साथ, इस क्षेत्र की अधिकांश कंपनियों के जल्द ही परिचालन स्तर पर लाभदायक होने की उम्मीद है।
--आईएएनएस
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