यूएस टैरिफ का असर कम करने के लिए भारत अन्य देशों को बढ़ा सकता है निर्यात, यूके एफटीए से भी मिलेगा फायदा : रिपोर्ट

यूएस टैरिफ का असर कम करने के लिए भारत अन्य देशों को बढ़ा सकता है निर्यात, यूके एफटीए से भी मिलेगा फायदा : रिपोर्ट

यूएस टैरिफ का असर कम करने के लिए भारत अन्य देशों को बढ़ा सकता है निर्यात, यूके एफटीए से भी मिलेगा फायदा : रिपोर्ट

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IANS
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US tariff impact: India can increase exports to other countries, leverage UK FTA benefits

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 20 अगस्त (आईएएनएस)। सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) पर अमेरिकी टैरिफ के असर को कम करने के लिए भारत अन्य देशों को निर्यात बढ़ा सकता है। इसके साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) का भी फायदा उठाकर ब्रिटेन को भी निर्यात बढ़ा सकता है। यह जानकारी बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।

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क्रिसिल इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका द्वारा हाई टैरिफ लगाए जाने से एमएसएमई प्रभावित होंगे, जो भारत के कुल निर्यात का 45 प्रतिशत हिस्सा है।

वर्तमान में अमेरिका भारतीय वस्तुओं पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाता है। साथ ही, उसने 27 अगस्त से 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जिससे भारतीय उत्पादों पर कुल टैरिफ बढ़कर 50 प्रतिशत हो जाएगा।

रिपोर्ट में कहा गया कि अगर अतिरिक्त टैरिफ लागू किया जाता है, तो इसका कुछ क्षेत्रों पर काफी प्रभाव पड़ेगा।

क्रिसिल इंटेलिजेंस की एसोसिएट डायरेक्टर एलिजाबेथ मास्टर ने कहा, भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता कपड़ा, रत्न एवं आभूषण, समुद्री भोजन, चमड़ा और फार्मास्यूटिकल्स जैसे निर्यात केंद्रित क्षेत्रों में एमएसएमई के लिए सहायक है।

मास्टर ने आगे कहा कि रेडीमेड गारमेंट्स या आरएमजी को छोड़कर, अन्य का हिस्सा यूके के आयात में 3 प्रतिशत से भी कम है, फिर भी इस समझौते से बांग्लादेश, कंबोडिया और तुर्की के मुकाबले एमएसएमई की प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार होगा और आरएमजी में चीन और वियतनाम पर बढ़त मिलेगी।

कपड़ा, रत्न एवं आभूषण और सीफूड इंडस्ट्री, जिसकी भारत से अमेरिका को होने वाले कुल निर्यात में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी है, सबसे अधिक प्रभावित होने की संभावना है। इन क्षेत्रों में एमएसएमई की हिस्सेदारी 70 प्रतिशत से अधिक है। रसायन क्षेत्र भी इससे प्रभावित हो सकता है, जहां एमएसएमई की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत है।

क्रिसिल इंटेलिजेंस के निदेशक पुशन शर्मा के अनुसार, हाई टैरिफ के कारण बढ़ी हुई उत्पाद कीमतों का आंशिक अवशोषण एमएसएमई पर दबाव डालेगा और यह उनके पहले से ही कम मार्जिन को और कम करेगा, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी हो जाएगी।

रिपोर्ट में बताया गया कि रत्न एवं आभूषण क्षेत्र में सूरत के एमएसएमई टैरिफ का झटका महसूस करेंगे, जिनकी हीरा निर्यात में 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है।

ऑटो कंपोनेंट्स इंडस्ट्री पर टैरिफ का प्रभाव थोड़ कम होगा, क्योंकि अमेरिका की भारत के कुल उत्पादन में केवल 3.5 प्रतिशत ही हिस्सेदारी है।

रिपोर्ट में कहा गया कि हालांकि, कुछ क्षेत्र अभी तक अछूते हैं। उदाहरण के लिए, दवा उत्पाद, जिनकी अमेरिका को निर्यात में 12 प्रतिशत हिस्सेदारी है, वर्तमान में टैरिफ से मुक्त हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्टील के मामले में अमेरिकी टैरिफ का एमएसएमई पर नगण्य प्रभाव पड़ने की उम्मीद है क्योंकि ये मुख्य रूप से री-रोलिंग और लंबे उत्पादों के उत्पादन में लगे हुए हैं, जबकि अमेरिका मुख्य रूप से भारत से फ्लैट उत्पादों का आयात करता है। भारत के स्टील निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी केवल 1 प्रतिशत है।

--आईएएनएस

एबीएस/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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