अमेरिकी विदेश विभाग ने 'कश्मीर मध्यस्थता' के मामले को उठाया, भारत कर चुका बाहरी हस्तक्षेप की बात को खारिज

अमेरिकी विदेश विभाग ने 'कश्मीर मध्यस्थता' के मामले को उठाया, भारत कर चुका बाहरी हस्तक्षेप की बात को खारिज

अमेरिकी विदेश विभाग ने 'कश्मीर मध्यस्थता' के मामले को उठाया, भारत कर चुका बाहरी हस्तक्षेप की बात को खारिज

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IANS
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US State Department rakes up claims of Trump mediating on Kashmir despite India’s firm dismissal

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

वाशिंगटन, 11 जून (आईएएनएस)। भारत के द्विपक्षीय कश्मीर विवाद में बाहरी हस्तक्षेप की बात को बार-बार खारिज करने के बावजूद अमेरिका ने एक बार फिर कश्मीर मामले पर मध्यस्थता की बात दोहराई है।

अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा है कि अगर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप मध्यस्थता करने की कोशिश करते हैं, तो इसमें कोई हैरानी नहीं होगी।

मंगलवार को अपनी नियमित ब्रीफिंग में रिपोर्टर ने ट्रंप की मध्यस्थता की पेशकश के बारे में सवाल किया। इसके जवाब में टैमी ब्रूस ने कहा, जाहिर है, मैं यह नहीं बता सकती कि राष्ट्रपति के दिमाग में क्या है, या उनकी क्या योजना है। हम सभी मानते हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप अपने हर कदम में देशों के बीच पीढ़ीगत मतभेदों और पीढ़ीगत युद्ध को सुलझाने की कोशिश करते हैं। इसलिए किसी को भी हैरत में नहीं पड़ना चाहिए कि ट्रंप इस तरह की किसी चीज (कश्मीर विवाद) को मैनेज करना चाहते हैं।

ब्रूस ने कहा कि जब शशि थरूर के नेतृत्व में भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में डिप्टी सेक्रेटरी क्रिस्टोफर लैंडौ से मुलाकात की, तो अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के मजबूत समर्थन और उन दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी की पुष्टि की।

ब्रूस ने कहा, मैं उनकी (ट्रंप) योजनाओं के बारे में बात नहीं कर सकती। दुनिया उनके स्वभाव को जानती है। मैं इस बारे में कोई विस्तृत जानकारी नहीं दे सकती कि उनके पास इस संबंध में क्या हो सकता है। आप व्हाइट हाउस को कॉल कर सकते हैं। मुझे लगता है कि उनके पास कहने के लिए बहुत कुछ होगा। यह एक रोमांचक समय है कि अगर हम उस विशेष संघर्ष (भारत-पाकिस्तान मामला) में किसी बिंदु पर पहुंच सकते हैं, तो भगवान का शुक्र है, लेकिन सचिव (विदेश मंत्री मार्को) रुबियो और राष्ट्रपति ट्रंप और उपराष्ट्रपति का भी शुक्रिया अदा करना चाहिए।

ब्रूस ने इस दावे को दोहराया है कि अमेरिका ने पिछले महीने भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिवसीय संघर्ष में युद्ध विराम लाने के लिए हस्तक्षेप किया था। हालांकि, भारत इसे खारिज कर चुका है।

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री कह चुके हैं कि अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान युद्ध विराम में मध्यस्थता नहीं की थी। उन्होंने एक भारतीय संसदीय समिति को बताया कि दोनों देशों ने सैन्य कार्रवाई रोकने के लिए द्विपक्षीय स्तर पर निर्णय लिया।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि ऑपरेशन सिंदूर में भारत की सैन्य शक्ति के कारण ही पाकिस्तान को युद्ध विराम के लिए मजबूर होना पड़ा, न कि बाहरी हस्तक्षेप के कारण।

जायसवाल ने कश्मीर पर भारत के रुख पर कहा, हमारा लंबे समय से राष्ट्रीय रुख रहा है कि जम्मू और कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश से संबंधित किसी भी मुद्दे को भारत और पाकिस्तान को द्विपक्षीय रूप से हल करना होगा। यह नीति नहीं बदली है। लंबित मामला पाकिस्तान के अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करना है।

उन्होंने कहा, मैं स्पष्ट कर दूं कि यह भारतीय हथियारों की ताकत थी, जिसने पाकिस्तान को अपनी गोलीबारी रोकने के लिए बाध्य किया। आप निश्चित तौर पर इस बात को समझेंगे कि 10 (मई) की सुबह, हमने पाकिस्तानी वायुसेना के प्रमुख ठिकानों पर अत्यंत प्रभावी हमला किया था।

एक रिपोर्टर ने ब्रूस से पूछा कि क्या पाकिस्तान ने कोई आश्वासन दिया था कि वह आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करेगा, जब पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व में उनके प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में राजनीतिक मामलों के लिए अवर सचिव एलिसन हुकर से मुलाकात की थी।

इसके जवाब में ब्रूस ने संक्षेप में कहा, मैं उन बातचीत के विवरण पर चर्चा नहीं करने जा रही हूं।

--आईएएनएस

आरएसजी/केआर

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