अमेरिका-भारत के बीच व्यापार वार्ता नवंबर के अंत तक हो सकती है सफल : नीति आयोग सीईओ

अमेरिका-भारत के बीच व्यापार वार्ता नवंबर के अंत तक हो सकती है सफल : नीति आयोग सीईओ

अमेरिका-भारत के बीच व्यापार वार्ता नवंबर के अंत तक हो सकती है सफल : नीति आयोग सीईओ

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IANS
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US-India trade negotiations may see breakthrough by Nov end: Niti Aayog CEO

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

मुंबई, 7 नवंबर (आईएएनएस)। नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिका-भारत व्यापार वार्ता महीने के अंत तक सफल हो सकती है। साथ ही कहा कि देश को अपनी निवेश दर को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 35-36 प्रतिशत तक बढ़ाना होगा।

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उन्होंने देश की आर्थिक राजधानी में एक मीडिया इवेंट में कहा कि बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ रही है और उम्मीद है कि महीने के अंत तक हमें इस मोर्चे पर कुछ खबर मिलेगी।

इसके अतिरिक्त नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि नेशनल मैन्युफैक्चरिंग मिशन नवंबर तक चालू हो जाएगा, जिसमें 15 सेक्टर्स पर केंद्रित वैश्विक स्तर के प्रतिस्पर्धी मैन्युफैक्चरिंग हब स्थापित करने के लिए 75 स्थानों पर सेक्टोरल क्लस्टर बनाने का प्रस्ताव है।

उन्होंने कहा कि भारत को 8-9 प्रतिशत की विकास दर बनाए रखने के लिए अपनी निवेश दर को हर साल जीडीपी के 35-36 प्रतिशत तक बढ़ाने की आवश्यकता है, जो वर्तमान में लगभग 30-31 प्रतिशत है।

उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि इसे वैश्विक अर्थव्यवस्था में सबसे उज्ज्वल स्थान बनाती है। आकार, बाजार की गहराई, इनोवेशन क्षमता और टैलेंट पूल जैसी अनूठी खूबियों के कारण अन्य देश भारत के साथ जुड़ने के लिए बाध्य होंगे।

नीति आयोग के सीईओ ने विकसित राष्ट्र का दर्जा हासिल करने के लिए निरंतर खुलेपन, नीतियों में निरंतरता और कौशल विकास पर फोकस को जरूरी बताया।

उन्होंने कहा, भले ही अन्य देश टैरिफ लगाएं, लेकिन भारत को एक विश्वस्तरीय, खुली अर्थव्यवस्था बने रहना चाहिए।

सुब्रह्मण्यम ने नीतिगत प्राथमिकताओं पर जोर दिया और नेशनल मैन्युफैक्चरिंग मिशन को पिछले बजट की सबसे बड़ी घोषणा बताया।

सुब्रह्मण्यम ने कहा कि विदेशी निवेशक भारत के बाजार और लागत प्रतिस्पर्धात्मकता की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं। हालांकि, उन्होंने आगाह किया कि व्यापार करने में आसानी बढ़ाने के लिए नौकरशाही को कम करना जरूरी है, और न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन के सिद्धांत पर फोकस रखना चाहिए।

मानव पूंजी के महत्व पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, अगर मेरे पास निवेश करने के लिए सिर्फ एक रुपया होता, तो मैं उसे कौशल विकास और शिक्षा पर लगाता।

वरिष्ठ अधिकारी ने आगे कहा कि कि भारतीय छात्र औसतन छह से सात साल की स्कूली शिक्षा लेते हैं, जबकि दक्षिण कोरिया में यह अवधि 13 से 14 साल है।

-आईएएनएस

एबीएस/

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