नए अमेरिकी एच-1बी वीजा शुल्क से आईटी कंपनियों के मार्जिन पर कोई खास असर पड़ने की संभावना नहीं: रिपोर्ट

नए अमेरिकी एच-1बी वीजा शुल्क से आईटी कंपनियों के मार्जिन पर कोई खास असर पड़ने की संभावना नहीं: रिपोर्ट

नए अमेरिकी एच-1बी वीजा शुल्क से आईटी कंपनियों के मार्जिन पर कोई खास असर पड़ने की संभावना नहीं: रिपोर्ट

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IANS
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नए अमेरिकी एच-1बी वीजा शुल्क से आईटी कंपनियों के मार्जिन पर कोई खास असर पड़ने की संभावना नहीं: रिपोर्ट

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 22 सितंबर (आईएएनएस)। नए अमेरिकी एच-1बी वीजा शुल्क से भारत में बड़ी और मध्यम आकार की आईटी सेवा कंपनियों पर कुछ खास असर पड़ने की संभावना नहीं है। यह जानकारी सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नए एच-बी वीजा आवेदकों के लिए एक लाख डॉलर का शुल्क निर्धारित किया है। हालांकि, यह वन-टाइम फीस और रिन्यूएबल आदि की व्यवस्था पहले जैसी ही रहेगी।

फंड मैनेजमेंट फर्म इक्विरस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इन प्रतिबंधों को स्थानीय स्तर पर नियुक्तियों, उप-अनुबंधों या ऑफशोरिंग में वृद्धि के माध्यम से दूर किया जा सकता है।

इक्विरस का अनुमान है कि यदि यह शुल्क केवल नए एच-1बी पर लागू होता है, तो यह बड़ी-कैप आईटी कंपनियों के परिचालन लाभ मार्जिन को केवल 7 से 14 आधार अंकों तक कम करेगा, और यदि इसमें अमेरिका के बाहर के नए और मौजूदा वीजा धारक शामिल हैं, तो यह 26 से 49 आधार अंकों तक कम होगा।

मिड-कैप फर्मों पर नए आवेदकों के लिए 21 से 39 आधार अंकों का और अमेरिका के बाहर नए और मौजूदा वीजा धारकों के लिए 60 से 109 आधार अंकों का प्रभाव पड़ेगा।

विश्लेषकों ने कहा कि भारतीय आईटी विक्रेताओं ने पिछले छह से आठ वर्षों में अपने ऑन-साइट एच-1बी कर्मचारियों की संख्या कम कर दी है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि एक लाख डॉलर का भुगतान कई मामलों में कई भारतीय आईटी विक्रेताओं द्वारा एच1बी वीजा धारकों को दिए जाने वाले वेतन से भी अधिक है।

रिपोर्ट में कहा गया है, हमारा मानना ​​है कि स्थानीय लोगों, ग्रीन कार्ड धारकों या उप-ठेकेदारों की क्रमिक भर्ती और ऑफशोरिंग करके उन प्रभावित आवेदकों की जगह भरना अधिक अच्छा फैसला है।

हालांकि, फंड प्रबंधन फर्म का कहना है कि वित्त वर्ष 26 की दूसरी छमाही में बिक्री वृद्धि थोड़ी धीमी हो सकती है, क्योंकि आवश्यक बदलाव के लिए उचित योजना या ग्राहक अनुमोदन की आवश्यकता होगी।

लगभग 71 प्रतिशत एच-1बी वीजा धारक भारत से हैं, जो मुख्य रूप से इंफोसिस, विप्रो, कॉग्निसेंट और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज जैसी प्रौद्योगिकी कंपनियों में काम करते हैं।

--आईएएनएस

एबीएस/

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