केंद्रीय कैबिनेट ने रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 7,280 करोड़ रुपए की योजना को मंजूरी दी

केंद्रीय कैबिनेट ने रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 7,280 करोड़ रुपए की योजना को मंजूरी दी

केंद्रीय कैबिनेट ने रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 7,280 करोड़ रुपए की योजना को मंजूरी दी

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IANS
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Union Cabinet okays Rs 7,280 crore scheme for manufacturing Rare Earth Permanent Magnets

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 26 नवंबर (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को 7,280 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय से सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट की मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने की योजना को मंजूरी दी।

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इस योजना का उद्देश्य भारत में प्रतिवर्ष 6 हजार मीट्रिक टन एकीकृत रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (आरईपीएम) मैन्युफैक्चरिंग क्षमता स्थापित करना है। इससे आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और भारत वैश्विक आरईपीएम बाजार में प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग देश के रूप में स्थापित होगा।

सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट सबसे शक्तिशाली स्थायी चुंबक होते हैं जो नियोडिमियम और सैमरियम जैसी दुर्लभ-पृथ्वी तत्वों के मिश्रधातुओं से बनाए जाते हैं। सिंटरिंग एक निर्माण प्रक्रिया है जिसमें पाउडर को गर्म कंप्रेस्ड किया जाता है जिससे ठोस चुंबक को बनाया जा सके। इसमें दुर्लभ मृदा ऑक्साइड को धातुओं में, धातुओं को मिश्र धातुओं में और मिश्र धातुओं को आरईपीएम में परिवर्तित करना शामिल है।

सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट इलेक्ट्रिक वाहनों, नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स, एयरोस्पेस और रक्षा अनुप्रयोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

सरकार ने बयान में कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों, नवीकरणीय ऊर्जा, औद्योगिक अनुप्रयोगों और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स की तेजी से बढ़ती मांग को देखते हुए भारत में आरईपीएम की खपत 2025 से 2030 में बढ़कर दोगुनी होने की संभावना है। अभी भारत की आरईपीएम की मांग मुख्यत: आयात से पूरी होती है।

सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम का कुल वित्तीय परिव्यय 7,280 करोड़ रुपए है, जिसमें पांच वर्षों के लिए आरईपीएम बिक्री पर 6,450 करोड़ रुपए का प्रोत्‍साहन और प्रति वर्ष कुल 6 हजार मीट्रिक टन, आरईपीएम मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स स्थापित करने के लिए 750 करोड़ रुपए की पूंजीगत सहायता दिया जाना शामिल है।

सरकार के मुताबिक, इस योजना के तहत वैश्विक प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया द्वारा पांच सफल आवेदकों को कुल क्षमता आवंटित करने का लक्ष्य है। प्रत्येक सफल बोली लगाने वाले को प्रति वर्ष 1,200 मीट्रिक टन मैन्युफैक्चरिंग क्षमता आवंटित की जाएगी।

योजना की कुल अवधि कार्य सौंपे जाने की तिथि से 7 वर्ष की होगी। इसमें एकीकृत आरईपीएम विनिर्माण इकाई स्थापित करने के लिए 2 वर्ष की अवधि और आरईपीएम की बिक्री पर प्रोत्साहन राशि वितरण के लिए 5 वर्ष शामिल हैं।

--आईएएनएस

एबीएस/

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