सूडान : अल फशर शहर में लोग पशुओं का चारा खाने को मजबूर, संयुक्त राष्ट्र ने की संघर्ष विराम की मांग

सूडान : अल फशर शहर में लोग पशुओं का चारा खाने को मजबूर, संयुक्त राष्ट्र ने की संघर्ष विराम की मांग

सूडान : अल फशर शहर में लोग पशुओं का चारा खाने को मजबूर, संयुक्त राष्ट्र ने की संघर्ष विराम की मांग

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IANS
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UN seeks pause in Sudan hostilities to access trapped families in El Fasher

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 6 अगस्त (आईएएनएस)। सूडान के अल फशर शहर में भुखमरी का सामना कर रहे परिवारों तक सहायता पहुंचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के मानवतावादियों ने सूडान में युद्ध विराम पर जोर दिया है।

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संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के कार्यालय (ओसीएचए) ने मंगलवार को कहा कि वह बड़े पैमाने पर सहायता पहुंचाने के लिए क्षेत्र में जारी हिंसक संघर्ष में ढील चाहता है।

ओसीएचए के मुताबिक अल फशर शहर में छिटपुट गोलाबारी जारी है और स्थिति बेहद गंभीर है। सामान्य नागरिक सशस्त्र समूहों के बीच हालिया झड़पों का खामियाजा भुगत रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के अवर महासचिव टॉम फ्लेचर ने कहा कि उत्तरी दारफुर राज्य की राजधानी अल फशर में भुखमरी का खतरा बढ़ रहा है।

ओसीएचए कार्यालय ने कहा, सूडान में मानवीय जरूरतें बढ़ती जा रही हैं। सहायता के लिए हम दानदाताओं से आर्थिक मदद बढ़ाने का आग्रह करते हैं।

सिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, अल फशर में असुरक्षा, बीमारी, भूख, बाढ़ और विस्थापन के कारण मानवीय जरूरतें बढ़ रही हैं।

विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) ने कहा कि व्यापार मार्ग बंद होने और अल फशर में आपूर्ति लाइनें अवरुद्ध होने के कारण, पारंपरिक रोटी और दलिया बनाने में इस्तेमाल होने वाले ज्वार और गेहूं जैसे बुनियादी खाद्य पदार्थों की कीमत शहर में सूडान के बाकी हिस्सों की तुलना में 460 प्रतिशत तक अधिक हो गई है।

डब्ल्यूएफपी ने कहा कि युद्ध के दौरान भूखे लोगों को गर्म भोजन उपलब्ध कराने के लिए स्थानीय समूहों द्वारा स्थापित बहुत कम सामुदायिक रसोई अभी भी काम कर रही हैं। इसके बावजूद कुछ परिवार जीवित रहने के लिए पशुओं का चारा और खाद्य अपशिष्ट खा रहे हैं।

एजेंसी के मुताबिक शहर में हिंसा, लूटपाट और यौन उत्पीड़न की घटना में वृद्धि हुई है। इसका बड़ा खामियाजा महिलाओं को भुगतना पड़ रहा है।

अध्ययन से पता चलता है कि महिला-प्रधान परिवारों को पुरुष-प्रधान परिवारों की तुलना में गंभीर खाद्य असुरक्षा का तीन गुना अधिक जोखिम होता है। महिला-प्रधान परिवारों में से तीन-चौथाई बुनियादी खाद्य जरूरतें पूरी नहीं कर पाती हैं। केवल 1.9 प्रतिशत को ही भोजन उपलब्ध हो पाता है, जबकि पुरुष-प्रधान परिवारों में यह संख्या 5.9 प्रतिशत है।

अध्ययन यह भी दर्शाता है कि राष्ट्रीय स्तर पर 73 प्रतिशत महिलाएं न्यूनतम आहार जरूरतों का पालन नहीं करती हैं, जिससे मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य को खतरा है।

ओसीएचए ने कहा कि दारफुर क्षेत्र में हैजा का प्रसार जारी है। सिर्फ उत्तरी दारफुर में जून के अंत से 3,600 से अधिक मामलों की सूचना है। दक्षिणी दारफुर में, 1,200 से अधिक संदिग्ध मामले और 69 मौतें दर्ज की गई हैं। स्वच्छ जल, स्वच्छता और चिकित्सा आपूर्ति की सीमित पहुंच इस संकट को और बढ़ा रही है। इसलिए आंकड़ों की वास्तविकता इससे ज्यादा हो सकती है।

ओसीएचए ने कहा, हालिया सर्वेक्षणों से पता चलता है कि उत्तरी दारफुर के सर्वे किए गए क्षेत्रों में वैश्विक तीव्र कुपोषण दर आपातकालीन सीमा से ऊपर है। यह मेलिट इलाके में 34 प्रतिशत और अत तवाइशा में लगभग 30 प्रतिशत तक पहुंच गई है।

संयुक्त राष्ट्र और मानवता के क्षेत्र में उसके साथ काम करने वाली संस्थाएं अल फशर के बुरी तरह प्रभावित क्षेत्रों में चिकित्सीय सेवाओं का विस्तार कर रही हैं। लेकिन, इसके लिए उन्हें तत्काल धन की आवश्यकता है।

--आईएएनएस

पीएके/एबीएम

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

      
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