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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
संयुक्त राष्ट्र, 27 अगस्त (आईएएनएस)। सुरक्षा परिषद सुधारों को लेकर संयुक्त राष्ट्र महासभा में लगातार गतिरोध बना हुआ है। नतीजन संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 17वीं बार सुरक्षा परिषद सुधारों को स्थगित किया। इसका कारण यह है कि सदस्य देशों के बीच चर्चा के लिए कोई एजेंडा तय करने पर सहमति नहीं बन पाई।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद सुधार और नए स्थायी सदस्यों को जोड़ने की चर्चा को अगले सत्र में भेजने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया।
जी-4 संगठन (भारत, ब्राजील, जर्मनी और जापान देशों का ग्रुप) की ओर से बोलते हुए जापान ने कहा कि सुरक्षा परिषद की विफलता संयुक्त राष्ट्र में विश्वास और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था बनाए रखने की उसकी क्षमता को कमजोर करती है। संयुक्त राष्ट्र में जापान के स्थायी मिशन के राजनीतिक अनुभाग के मंत्री इरिया ताकायुकी ने कहा, सुरक्षा परिषद सुधार की लगातार विफलता सिर्फ परिषद से जुड़ा मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे संयुक्त राष्ट्र की विश्वसनीयता और बहुपक्षीय प्रणाली पर प्रश्नचिह्न लगाता है।
उन्होंने कहा, इस वास्तविकता को देखते हुए कि संयुक्त राष्ट्र में विश्वास डगमगा गया है और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था अस्थिर है, परिषद सुधार न सिर्फ संयुक्त राष्ट्र को मजबूत करने के लिए, बल्कि पूरी अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बनाए रखने के लिए जरूरी है। मंत्री इरिया ताकायुकी ने कहा कि यह एक ऐसा मुद्दा है जो सिर्फ कुछ देशों की चिंता नहीं, बल्कि सभी सदस्य देशों से जुड़ा है।
जी-4 के चारों देश लंबे समय से सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यों की संख्या बढ़ाने और एक-दूसरे का समर्थन करने की मांग करते रहे हैं। इरिया ने कहा, गंभीर अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों और उनसे निपटने में सुरक्षा परिषद की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए परिषद में तत्काल सुधार की जरूरत है और इसे बिना किसी देरी के आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
इंटर-गवर्नमेंटल नेगोशिएशन (आईजीएन), जो सुरक्षा परिषद सुधारों की एक प्रक्रिया है, उसमें एक प्रगति के रूप में इरिया ने सह-अध्यक्षों की ओर से तैयार किए गए संशोधित एलिमेंट्स पेपर का जिक्र किया, जो अलग-अलग देशों और संगठनों के रुख को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि दस्तावेज में यह स्वीकार नहीं किया गया है कि संयुक्त राष्ट्र के अधिकतर सदस्य परिषद में स्थायी और अस्थायी सदस्यों को जोड़ना चाहते हैं।
आईजीएन प्रक्रिया 2009 में शुरू हुई थी। हालांकि, सुधारों को रोकने वाले देशों का एक ग्रुप यूएफसी (यूनाइटिंग फॉर कंसेंसस) खड़ा हुआ, जिसमें इटली और पाकिस्तान शामिल हैं। ये देश बिना किसी आम सहमति या सुधारों के टेक्स्ट-आधारित बातचीत का विरोध करते हैं और इसी कारण प्रक्रिया बार-बार रुक जाती है। हालांकि, जी4 और अधिकतर देश टेक्स्ट-आधारित बातचीत के पक्ष में हैं।
इस बीच, महासभा अध्यक्ष फिलोमेना यांग की प्रवक्ता शेरोन बिर्च का कहना है कि सत्र के दौरान आईजीएन प्रक्रिया में प्रगति हुई है। सुधार वार्ताओं में नई ऊर्जा आई है और सदस्य देश पहले से कहीं अधिक सक्रियता से चर्चा में शामिल हुए हैं।
बता दें कि सुरक्षा परिषद की संरचना आज भी द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के परिदृश्य पर आधारित है, जिसमें विजेता देशों को स्थायी सदस्यता मिली।
परिषद में आखिरी सुधार 57 साल पहले हुआ, जब चार अस्थायी सदस्य जोड़े गए। इससे उनकी संख्या 10 हो गई, लेकिन स्थायी सदस्यों की सूची में कोई नया सदस्य नहीं जोड़ा गया। उस समय संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता 113 थी, लेकिन अब 193 है, जबकि परिषद में अब भी सिर्फ 15 सदस्य (5 स्थायी और 10 अस्थायी) हैं, जिसमें ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका पांच स्थायी सदस्य हैं।
--आईएएनएस
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