यूएई अधिकारियों ने किया स्पष्ट, सरकारी नियमों और जांच प्रक्रिया के अधीन है गोल्डन वीजा

यूएई अधिकारियों ने किया स्पष्ट, सरकारी नियमों और जांच प्रक्रिया के अधीन है गोल्डन वीजा

यूएई अधिकारियों ने किया स्पष्ट, सरकारी नियमों और जांच प्रक्रिया के अधीन है गोल्डन वीजा

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IANS
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UAE authorities clarify that Golden Visa is govt-regulated

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 8 जुलाई (आईएएनएस)। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि गोल्डन वीजा एक सरकारी योजना है, जिसे तय नियमों और जांच प्रक्रिया के तहत ही मंजूरी दी जाती है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि चाहे आवेदन सीधे किया गया हो या किसी अधिकृत एजेंट के जरिए, अंतिम फैसला यूएई सरकार ही लेती है।

बयान के अनुसार, यूएई सरकार कई आधारों पर गोल्डन वीजा दे सकती है, जिसमें 2 मिलियन दिरहम तक के रियल एस्टेट निवेश, व्यवसाय स्वामित्व और विज्ञान, चिकित्सा, कला, संस्कृति, मीडिया और खेल जैसे क्षेत्रों में विशिष्ट योगदान शामिल हैं। हालांकि यह सिर्फ लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं हैं।

हाल ही में कुछ रियल एस्टेट कंपनियों ने यह भ्रम फैला दिया था कि कोई भी भारतीय नागरिक सिर्फ एक बार की फीस देकर प्रॉपर्टी खरीदने पर गोल्डन वीजा पा सकता है। सरकार ने अब यह स्पष्ट कर दिया है कि यह पात्रता स्वचालित नहीं है। इसके लिए सरकारी जांच और मंजूरी जरूरी है।

इंडिया सोथबी इंटरनेशनल रियल्टी के अंतरराष्ट्रीय निदेशक आकाश पुरी के अनुसार, इस बदलाव का भारतीय रियल एस्टेट निवेशकों पर दोहरा असर होगा। पहले लोग केवल लंबी अवधि की रेजीडेंसी के लिए प्रॉपर्टी में निवेश करते थे। इसलिए, भारतीय निवेशक पैसे को सुरक्षित रखने और वहां रहने का लाभ पाने के लिए इसमें दिलचस्पी दिखाते थे। लेकिन अब यह जरूरी नहीं रह गया है।

पुरी के अनुसार, अब जब वीजा अन्य तरीकों से भी आसानी से मिल रहा है, तो सिर्फ रहने के लिए निवेश करने की जल्दबाजी कम होने की संभावना है- खासकर मध्यम और शुरुआती स्तर की संपत्तियों में। इससे बेवजह की खरीदारी कम हो सकती है और लोग सोच-समझकर निवेश करेंगे।

हालांकि, बहुत अमीर लोग (अल्ट्रा-एचएनडब्ल्यूआई) अभी भी महंगी और खास संपत्तियां खरीदना पसंद करेंगे, क्योंकि उन पर नए नौकरी-केंद्रित नियमों का ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।

पुरी ने कहा, “भारतीय निवेशकों को अब रेजीडेंसी के बजाय प्रॉपर्टी के वास्तविक मूल्य और दीर्घकालिक लाभ को ध्यान में रखकर निवेश करना चाहिए। इससे यूएई का रियल एस्टेट बाज़ार और अधिक स्थिर और भरोसेमंद बनेगा।”

पुरी ने जोर देकर कहा कि भारतीय निवेशकों के लिए यह एक संकेत है कि वे अपनी रणनीति बदलें। भारतीय निवेशकों को अब रेजीडेंसी के बजाय प्रॉपर्टी के वास्तविक मूल्य और दीर्घकालिक लाभ को ध्यान में रखकर निवेश करना चाहिए। समय के साथ, यह बदलाव एक अधिक स्थिर और मजबूत रियल एस्टेट बाजार बना सकता है, जहां कम समय के फायदे की बजाय लंबी अवधि के लिए सोच-समझकर किए गए निवेश से फायदा मिलेगा।

यूएई का गोल्डन वीजा यह एक लंबी अवधि का निवास वीजा है, जिससे वीजा धारक यूएई में रह सकते हैं, काम कर सकते हैं या पढ़ाई कर सकते हैं। इसमें कई बार आने-जाने की सुविधा, किसी प्रायोजक की जरूरत नहीं होती और परिवार व घरेलू कर्मचारियों को साथ रखने की छूट भी मिलती है।

--आईएएनएस

एएस/

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