त्रिपुरा के दो और जिलों में खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़त: कृषि मंत्री

त्रिपुरा के दो और जिलों में खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़त: कृषि मंत्री

त्रिपुरा के दो और जिलों में खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़त: कृषि मंत्री

author-image
IANS
New Update
Two more districts set to achieve self-sufficiency in food grain production: Tripura Minister

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

अगरतला, 11 अक्टूबर (आईएएनएस)। त्रिपुरा के दो और जिले धलाई और खोवाई जल्द ही खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाएंगे। राज्य सरकार शहरों में भी अर्बन फार्मिंग (शहरी खेती) को बढ़ावा दे रही है। यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री रतन लाल नाथ ने शनिवार को दी।

Advertisment

मंत्री ने बताया कि राज्य के कुल आठ जिलों में से दक्षिण त्रिपुरा, सिपाहीजाला और गोमती जिले पहले से ही खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुके हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कृषि क्षेत्र में दो महत्वाकांक्षी योजनाओं के शुभारंभ और संबोधन को वर्चुअल रूप से सुनने के बाद नाथ ने कहा कि त्रिपुरा में पर्याप्त वर्षा होती है, जिससे उत्पादन अच्छा रहता है, लेकिन फसलों पर कीट हमले एक बड़ी समस्या हैं।

नाथ ने कहा, “पहले हमें आलू बाहर से मंगवाने पड़ते थे, लेकिन अगले तीन वर्षों में हम आलू और प्याज उत्पादन में भी आत्मनिर्भर हो जाएंगे। हम किसानों को अधिक दालें उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। साथ ही ऑर्गेनिक खेती पर भी जोर दिया जा रहा है और उत्पादन धीरे-धीरे बढ़ रहा है।”

उन्होंने बताया कि राज्य में कृषि योग्य भूमि सीमित है, जिसके कारण उत्पादन सीमित रहता है। उन्होंने कहा, “अगर हमारे पास अधिक भूमि होती तो हम और अधिक उत्पादन कर सकते थे। हमारे किसान बहुत मेहनती हैं। अगर वर्षा अनुकूल रही तो धलाई और खोवाई जिले भी खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर हो जाएंगे। पश्चिम त्रिपुरा जिले में जनसंख्या अधिक और भूमि कम होने के कारण हम शहरी खेती, विशेष रूप से बागवानी पर ध्यान दे रहे हैं।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कृषि क्षेत्र में दो प्रमुख योजनाएं पीएम धन धान्य कृषि योजना और दलहन आत्मनिर्भरता मिशन 35,440 करोड़ रुपये के बजट के साथ लॉन्च कीं।

इस कार्यक्रम में कृषि मंत्री नाथ के अलावा मुख्यमंत्री माणिक साहा और वरिष्ठ अधिकारी भी अगरतला से वर्चुअल रूप से जुड़े।

नाथ ने बताया कि पीएम धन धान्य कृषि योजना का उद्देश्य उन 100 जिलों को लाभ पहुंचाना है, जिनमें खाद्यान्न उत्पादन कम है। इनमें उत्तर त्रिपुरा जिला भी शामिल है। उत्तर त्रिपुरा जिला कई फसलों के उत्पादन में पीछे है, जबकि दक्षिण त्रिपुरा, सिपाहीजाला और गोमती जिले पहले ही आत्मनिर्भर हैं। खोवाई, धलाई, उनीकोटी और पश्चिम त्रिपुरा जिले भी अभी पीछे चल रहे हैं।

उन्होंने कहा, “देश में धान उत्पादन में त्रिपुरा छठे स्थान पर है। राष्ट्रीय औसत 2,882 किलो प्रति हेक्टेयर है, जबकि त्रिपुरा में यह 3,299 किलो प्रति हेक्टेयर है।”

दाल उत्पादन में राष्ट्रीय औसत 881 किलो प्रति हेक्टेयर है, जबकि त्रिपुरा में यह 856 किलो प्रति हेक्टेयर है, जो थोड़ा कम है।

नाथ ने बताया कि कृषि ऋण वितरण में सिपाहीजाला जिला पहले स्थान पर है, इसके बाद दक्षिण और फिर पश्चिम जिला है, जबकि उत्तर त्रिपुरा में सबसे कम कृषि ऋण वितरित हुआ है। इन सभी पहलुओं की निगरानी राष्ट्रीय स्तर पर की जा रही है।

उन्होंने यह भी बताया कि कृषि विभाग दाल उत्पादन पर विशेष जोर दे रहा है।

--आईएएनएस

डीएससी

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Advertisment