अफगानिस्तान-पाकिस्तान तनाव के बीच तोरखम सीमा बंद होने से ट्रांसपोर्टर्स को नुकसान

अफगानिस्तान-पाकिस्तान तनाव के बीच तोरखम सीमा बंद होने से ट्रांसपोर्टर्स को नुकसान

अफगानिस्तान-पाकिस्तान तनाव के बीच तोरखम सीमा बंद होने से ट्रांसपोर्टर्स को नुकसान

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IANS
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Afghan people are seen on Afghan side of the border near the border crossing point of Torkham between Pakistan and Afghanistan on Sept. 5, 2021,

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

इस्लामाबाद, 27 अक्टूबर (आईएएनएस)। तोरखम बॉर्डर की ओर जाने वाली सड़क पर फंसे अफगान और पाकिस्तानी ट्रांसपोर्टर्स ने अधिकारियों से अपील की है कि दोनों देशों के बीच राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों से द्विपक्षीय व्यापार को अलग रखा जाए। दोनों देशों के बीच जारी तनाव के कारण 13 अक्टूबर से सीमा पार आवागमन पूरी तरह से बाधित है।

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ट्रांसपोर्टर्स ने लोकल मीडिया को बताया कि उन्हें बहुत परेशानी हो रही है, पैसों की कमी हो रही है, और साथ ही शारीरिक और मानसिक तौर पर वो खुद को काफी बेबस महसूस कर रहे हैं।

फंसे हुए ट्रांसपोर्टर्स के हवाले से, पाकिस्तान के बड़े अखबार डॉन ने बताया कि कई तरह का सामान ले जा रही लगभग 4000 से 5000 गाड़ियां बॉर्डर खुलने का इंतजार कर रही हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच व्यापारिक रिश्ते फिर से शुरू होने की कोई पक्की तारीख अभी नजर नहीं आ रही है। उन्होंने कहा कि उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें निजी और सामान की सुरक्षा से लेकर पैसों का नुकसान और खाने और पानी की कमी के कारण हो रहा मानसिक उत्पीड़न शामिल है।

एक स्थानीय ट्रांसपोर्टर ने अखबार को बताया कि उनके कई साथियों के पिछले दो हफ्तों में खाना-पानी, दवाइयों और अपनी भरी हुई गाड़ियों के रखरखाव में पैसे खत्म हो गए हैं। उन्होंने कहा कि तथाकथित ट्रांसपोर्टर यूनियनों में से किसी ने भी उनकी समस्याओं के बारे में नहीं पूछा, जबकि ब्रोकर और सामान के मालिक उनकी वित्तीय दिक्कतों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं क्योंकि वे उन्हें और नुकसान से बचाने के लिए मौजूदा कंसाइनमेंट (रवाना किए गए माल) को उतारने से मना कर रहे हैं। उनके लिए अपनी भरी हुई गाड़ियों की सुरक्षा करना, खाने और पानी का इंतजाम करना और सड़क की सख्त सतह पर सोना मुश्किल हो रहा है, लेकिन दिक्कत ये है कि विकल्प भी नहीं है।

उनकी चिंताएं 11 अक्टूबर को अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के बाद सामने आईं, जब काबुल में धमाके हुए और अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी भारत में थे। इसके जवाब में, तालिबान ने पाकिस्तान से सटे बॉर्डर पर जानलेवा हमला किया।

एक हफ्ते से ज्यादा समय तक चली जबरदस्त लड़ाई के बाद दोनों देश सीजफायर पर सहमत हुए। इस दौरान कई लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए थे।

पाकिस्तान ने तालिबान पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) समेत कई समूहों को अफगानिस्तान में सुरक्षित जगहों से संचालन करने की इजाजत देने का आरोप लगाया है, हालांकि काबुल ने इसे सिरे से खारिज किया। तालिबान ने पाकिस्तान की आक्रामक कार्रवाइयों, जिसमें काबुल पर एयरस्ट्राइक भी शामिल है, को संघर्ष बढ़ने का कारण बताया।

--आईएएनएस

केआर/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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