भारत में ई-सेवाओं की कुल संख्या 22,000 के पार

भारत में ई-सेवाओं की कुल संख्या 22,000 के पार

भारत में ई-सेवाओं की कुल संख्या 22,000 के पार

author-image
IANS
New Update
Total number of e-Services in India crossed 22,000

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 9 अगस्त (आईएएनएस)। कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय ने शनिवार को कहा कि भारत में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा वितरण आकलन (एनईएसडीए) ढांचे के तहत 22,000 से अधिक ई-सेवाएं हैं।

Advertisment

एनईएसडीए के अंतर्गत लोक सेवा वितरण ढांचे को और सुदृढ़ करने के उद्देश्य से, मंत्रालय के अधीन प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) ने सेवा का अधिकार (आरटीएस) आयुक्तों के साथ बैठक की।

डीएआरपीजी के सचिव वी. श्रीनिवास की अध्यक्षता में हुई बैठक में चंडीगढ़, पंजाब, उत्तराखंड, मेघालय, असम, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और महाराष्ट्र के आठ आरटीएस आयुक्तों ने भाग लिया।

श्रीनिवास ने उन राज्यों में ई-सेवाओं में वृद्धि पर प्रकाश डाला जहां आरटीएस आयोग स्थापित हैं, जिससे आरटीएस ढांचे के माध्यम से एनईएसडीए के अंतर्गत ई-सेवा वितरण को बढ़ाने के लिए गहन सहयोग की नींव रखी जा सके।

उन्होंने आगे कहा, राज्य शिकायत अधिकारियों की प्रभावी पर्यवेक्षी निगरानी के लिए राज्य-विशिष्ट सेवा शिकायतों के रीयल-टाइम डेटा साझा करने हेतु सीपीजीआरएएमएस पोर्टल का आरटीएस आयोगों की वेबसाइटों के साथ एपीआई लिंकेज का कार्य पूरा हो रहा है।

मंत्रालय ने बताया कि विशेष रूप से, आरटीएस आयुक्त विनियमन के उद्देश्यों के अनुरूप जीवन में सुगमता और कारोबार में सुगमता के लिए सेवा का अधिकार अधिनियम के तहत भूमि, श्रम, वित्त और पर्यावरण के चार प्रमुख क्षेत्रों में ई-सेवाओं को बढ़ाने के लिए डीएआरपीजी के साथ सहयोग करेंगे।

इसके अलावा, इसमें कहा गया है कि सेवाओं तक पहुंच को आसान बनाने के लिए विभिन्न मानदंडों पर राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआईसी) द्वारा विकसित आकलन(AAKLAN) बेंचमार्किंग टूल के माध्यम से ई-सेवाओं का मूल्यांकन सुगम बनाया गया है।

मंत्रालय ने बताया कि आरटीएस आयोगों की सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने के लिए मासिक एनईएसडीए(NeSDA) वे फॉरवर्ड रिपोर्ट में शामिल किया गया है और सार्वजनिक सेवा वितरण और शिकायत निवारण पर आरटीएस आयोगों के प्रभाव की जांच के लिए एनसीजीजी द्वारा एक अध्ययन किया गया है।

बैठक में राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीजी) के महानिदेशक (डीजी) सुरेंद्रकुमार बागड़े भी उपस्थित थे।

उन्होंने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में आरटीएस अधिनियमों के लाभों पर एनसीजीजी के अध्ययन का अवलोकन प्रस्तुत किया और 9 महीनों में किए जाने वाले इस अध्ययन के दायरे और उद्देश्य के बारे में बताया।

आरटीएस आयुक्तों को सेवा वितरण में सुधार और शिकायतों के निवारण हेतु डिजिटल सेवाओं के विस्तार हेतु डीएआरपीजी की राज्य सहयोग पहल (एससीआई) के अंतर्गत प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए भी आमंत्रित किया गया था।

यह पहल डिजिटल परिवर्तन और कुशल सार्वजनिक सेवा वितरण के लिए सरकार के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप है, जो नागरिकों को सशक्त बनाने और शासन के परिणामों में सुधार के लिए चल रहे प्रयासों को दर्शाती है।

--आईएएनएस

जीकेटी/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

      
Advertisment