वार्षिक मैमोग्राम से बेहतर रिस्क-बेस्ड स्क्रीनिंग, 46,000 महिलाओं के ट्रायल में साबित

वार्षिक मैमोग्राम से बेहतर रिस्क-बेस्ड स्क्रीनिंग, 46,000 महिलाओं के ट्रायल में साबित

वार्षिक मैमोग्राम से बेहतर रिस्क-बेस्ड स्क्रीनिंग, 46,000 महिलाओं के ट्रायल में साबित

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IANS
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Study finds risk-based approach better for breast cancer screening

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 27 दिसंबर (आईएएनएस)। हाल ही में एक बड़े अध्ययन ने दिखाया है कि स्तन कैंसर की जांच करने का तरीका अब ज्यादा स्मार्ट हो सकता है। पहले, डॉक्टर आमतौर पर 40 साल की उम्र से हर साल मैमोग्राम (एक तरह की एक्स-रे जांच) कराने की सलाह देते थे, चाहे महिला का खतरा कम हो या ज्यादा। लेकिन अब एक नए अध्ययन से पता चला है कि हर महिला के व्यक्तिगत जोखिम को ध्यान में रखकर जांच करना बेहतर और सुरक्षित है।

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यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, सैन फ्रांसिस्को (यूसीएसएफ) की 46,000 अमेरिकी महिलाओं पर किए गए ट्रायल में रिस्क-बेस्ड स्क्रीनिंग (जेनेटिक, जैविक और जीवनशैली कारकों पर आधारित) को वार्षिक मैमोग्राम जितना प्रभावी पाया गया, लेकिन यह कम जांचों के साथ एडवांस कैंसर का पता लगाने में सुरक्षित साबित हुआ। अध्ययन जेएएमए में प्रकाशित हुआ और एसीआर ने भी प्रतिक्रिया दी। सुझाव संक्षिप्त, आकर्षक और तटस्थ रखे गए हैं, जो स्वास्थ्य लाभ, व्यक्तिगत दृष्टिकोण और पारंपरिक विधि से तुलना को उजागर करते हैं।

यूसीएसएफ ब्रेस्ट केयर सेंटर की डायरेक्टर लॉरा जे. एस्सरमैन ने कहा, इन नतीजों से स्पष्ट होता है कि ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग के लिए क्लिनिकल गाइडलाइंस बदलनी चाहिए और क्लिनिकल प्रैक्टिस बदलनी चाहिए।

एस्सरमैन ने आगे कहा, पर्सनलाइज्ड तरीका रिस्क असेसमेंट से शुरू होता है, जिसमें जेनेटिक, बायोलॉजिकल और लाइफस्टाइल फैक्टर शामिल होते हैं, जो फिर असरदार रोकथाम की स्ट्रेटेजी को गाइड कर सकते हैं।

ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में होने वाला सबसे आम कैंसर है। एक आंकड़े के अनुसार (2022 का), दुनिया भर में एक साल में लगभग 2.3 मिलियन नए मामले सामने आए, जबकि 6,70,000 पीड़ित जिंदगी की जंग हार गए।

दशकों से, स्क्रीनिंग में यह माना जाता था कि सभी महिलाओं को एक जैसा रिस्क है, और दिशानिर्देश उम्र पर आधारित थे, जबकि इस बात के पक्के सबूत हैं कि हर महिला का रिस्क बहुत अलग-अलग होता है।

जेएएमए में पब्लिश हुई एक नई स्टडी में मैमोग्राम की तुलना हर व्यक्ति के व्यक्तिगत जोखिम पर आधारित तरीके से की गई है।

नतीजों से पता चला कि रिस्क-बेस्ड स्क्रीनिंग अप्रोच से हायर-स्टेज कैंसर के मामले नहीं बढ़े।

यूसीएसएफ में मेडिसिन के प्रोफेसर और को-ऑथर जेफरी ए. टाइस ने कहा, कम रिस्क वाली महिलाओं से ज्यादा रिस्क वाली महिलाओं को संसाधन उपलब्ध कराना ब्रेस्ट कैंसर की स्क्रीनिंग और रोकथाम के लिए एक कुशल और असरदार तरीका है।

जरूरी बात यह है कि स्टडी में पाया गया कि जिन 30 फीसदी महिलाओं का जेनेटिक वैरिएंट पॉजिटिव आया और जिससे उनके ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क बढ़ गया, उन्होंने ब्रेस्ट कैंसर की फैमिली हिस्ट्री नहीं बताई।

--आईएएनएस

केआर/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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