बेंगलूरू भगदड़: कर्नाटक के मुख्यमंत्री के आवास पर सुरक्षा कड़ी की गई; भाजपा ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए

बेंगलूरू भगदड़: कर्नाटक के मुख्यमंत्री के आवास पर सुरक्षा कड़ी की गई; भाजपा ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए

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IANS
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B'luru stampede: Security tightened at K'taka CM’s residence; BJP questions action on police

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

बेंगलूरू, 6 जून (आईएएनएस)। विपक्षी भाजपा और जद (एस) कार्यकर्ताओं द्वारा चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास भगदड़ की घटना को रोकने में राज्य सरकार की विफलता की निंदा के बाद शुक्रवार को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के आधिकारिक आवास कावेरी पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई। इस घटना में 11 लोगों की मौत हो गई थी और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है।

भाजपा ने तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों और सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) और एक पुलिस निरीक्षक के रैंक के दो अन्य अधिकारियों को निलंबित करने के फैसले पर नाराजगी जताई है।

पूर्व भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा ने बेंगलूरू में कहा कि सरकार ने जीत का जश्न मनाने की अनुमति देकर आरसीबी प्रबंधन के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। पुलिस विभाग ने इन वर्षों में हाई-वोल्टेज मैचों के आयोजन के दौरान स्थिति को अच्छी तरह से संभाला और सुनिश्चित किया कि कोई अप्रिय घटना न हो। पुलिस अधिकारियों के निलंबन से पुलिस विभाग का मनोबल गिरा है।

बेंगलुरु के पूर्व पुलिस कमिश्नर और भाजपा नेता भास्कर राव ने सोशल मीडिया पर लिखा, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पैनिक मोड में आ गए हैं। बेंगलुरु सिटी पुलिस कमिश्नर का निलंबन कर्नाटक पुलिस के इतिहास का सबसे काला दिन है। सच बोलने का इनाम और उन्होंने और उनकी टीम ने बेंगलुरु को सुरक्षित रखने के लिए पूरी रात काम किया।

राव ने कहा, कर्नाटक में हर कोई जानता है कि बेकाबू उपमुख्यमंत्री (डी.के. शिवकुमार) ही मुख्य अपराधी हैं, जिन्होंने डेथ मार्च का आयोजन किया। कोई भी मुख्यमंत्री इतना असहाय, कायर और घबराया हुआ नहीं हुआ है। सरकार के हाथ खून से रंगे हैं और अब वह अपना दिमाग भी खो चुकी है। सरकार अब संकट में है।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने कहा कि मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री को नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है।

उन्होंने एक्स पर लिखा, आरसीबी की जीत के जश्न की आड़ में एक कार्यक्रम के स्वार्थी शोषण के कारण 11 निर्दोष लोगों की मौत और हजारों लोगों की पीड़ा एक दुखद परिणाम है। उच्च न्यायालय ने इस मामले पर एक जनहित याचिका दायर की है। इस मोड़ पर, नैतिक जिम्मेदारी लेने और इस्तीफा देने के बजाय, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री ने बेशर्मी से बेंगलुरु शहर के पुलिस आयुक्त और अन्य अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई जवाबदेही से बचने का एक कायराना प्रयास है।

उन्होंने कहा कि कर्नाटक के लोग बहुत दुखी हैं, उनका गुस्सा चरम पर है और अपने बच्चों को खोने वाले माता-पिता का रोना किसी भी इंसानियत के लिए दिल दहला देने वाला है।

विजयेंद्र ने कहा, भगदड़ की घटना कर्नाटक के इतिहास में एक बड़ी त्रासदी के रूप में दर्ज की गई है। राजधानी के बीचों-बीच लोकतंत्र के मंदिर विधान सौध की सीढ़ियों पर बिना किसी उचित मानकों, राष्ट्रीय या राज्य महत्व के और स्थिति का फायदा उठाने के लालच में आयोजित इस जश्न ने इलाके को कब्रिस्तान में बदल दिया। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को कर्नाटक की जनता कोस रही है। ऐसे में नैतिकता को बनाए रखने और अपना सम्मान बचाने के लिए इस्तीफा देने के बजाय मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री ने पुलिस अधिकारियों की बलि दे दी है, जो वास्तव में तुगलक शासन की याद दिलाता है। विजयेंद्र ने कहा कि कांग्रेस सरकार इस सोच के साथ सत्ता से चिपकी हुई है कि किसे परवाह है। उन्होंने कहा, ...चाहे कोई मरे या पीड़ित हो, हमें बस सत्ता में रहना है, यह दुखद है। वह अपरिहार्य स्थिति आ रही है, जहां लोग खुद इस सरकार को उखाड़ फेंकेंगे।

विजयेंद्र ने मांग की, पुलिस अधिकारियों को बलि का बकरा बनाकर, बकरी को खाने और मुंह पोंछने वाले बंदर की तरह काम करके मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार और गृह मंत्री जी. परमेश्वर जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। मैं उन तीनों से आग्रह करता हूं कि वे तुरंत अपने पदों से इस्तीफा दें और अपना सम्मान बनाए रखें।

--आईएएनएस

आरआर/

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