श्रीलंका में अफ्रीकी स्वाइन बुखार को रोकने के लिए सरकार ने उठाया कदम, उपायों को लेकर अधिसूचना जारी

श्रीलंका में अफ्रीकी स्वाइन बुखार को रोकने के लिए सरकार ने उठाया कदम, उपायों को लेकर अधिसूचना जारी

श्रीलंका में अफ्रीकी स्वाइन बुखार को रोकने के लिए सरकार ने उठाया कदम, उपायों को लेकर अधिसूचना जारी

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IANS
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Sri Lanka issues extraordinary gazette on measures to prevent spread of swine fever

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

कोलंबो, 8 अक्टूबर (आईएएनएस)। श्रीलंका के स्वास्थ्य अधिकारियों ने देश में अफ्रीकी स्वाइन बुखार (एएसएफ) के प्रसार को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं। विभाग ने एक असाधारण गजट अधिसूचना जारी की है, जिसमें सभी जिलों को एएसएफ जोखिम क्षेत्र घोषित किया गया है। इसके साथ ही सूअरों को रोग जोखिम वाले जानवरों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

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अधिसूचना के अनुसार, सूअरों का मांस बेचने, भंडारण करने, आपूर्ति करने, वितरण करने या प्रसंस्करण करने के लिए बिना अनुमति के कोई भी गतिविधि करना प्रतिबंधित है।

इसके अलावा, किसी भी मांस प्रसंस्करण केंद्र, भंडारण सुविधा या मांस प्रसंस्करण केंद्र में सूअरों की हत्या, भंडारण या प्रसंस्करण करना जो अधिकृत अधिकारी द्वारा अनुमोदित नहीं है, प्रतिबंधित है।

सिन्हुआ न्यूज एजेंसी के अनुसार श्रीलंका में 2024 में पहली बार अफ्रीकी स्वाइन बुखार का प्रकोप देखा गया था। यह बीमारी सूअरों में गंभीर बीमारी का कारण बनती है। यह संक्रमित जानवरों के सीधे संपर्क में आने से या फिर उनके शारीरिक तरल पदार्थों, दूषित चारे और कभी-कभी टिक के काटने से फैलती है।

श्रीलंका के स्वास्थ्य अधिकारियों ने इस बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं और लोगों को सूअरों और उनके उत्पादों के साथ सावधानी बरतने की सलाह दी है।

बता दें कि स्वाइन फ्लू मनुष्यों में होता है, जबकि सुअरों में अफ्रीकी स्वाइन बुखार होता है। मनुष्यों में इसके शुरुआती लक्षणों में कभी-कभी तेज बुखार, खांसी, गले में खराश, मांसपेशियों में दर्द और शरीर में दर्द, थकान और कमजोरी, सिरदर्द, बहती नाक या नाक भरा होना, दस्त और उल्टी, सांस लेने में तकलीफ के अलावा सीने में दर्द भी महसूस हो सकता है।

स्वाइन फ्लू, जो इन्फ्लूएंजा ए (एच1एन1) वायरस के कारण होता है, एक अलग बीमारी है जो मुख्य रूप से इंसानों से ही इंसानों में फैलती है। यह वायरस खांसी या छींकने से निकलने वाले श्वसन बूंदों के माध्यम से फैलता है, या दूषित सतहों को छूने और फिर चेहरे को छूने से फैलता है।

अफ्रीकी स्वाइन के लक्षणों में जानवरों को तेज बुखार, अवसाद और सुस्ती, भूख न लगना, कान, पेट और पैरों की त्वचा का लाल होना या बैंगनी पड़ना, उल्टी और दस्त, खांसी और सांस लेने में कठिनाई, सूअरों में गर्भपात और अचानक मृत्यु शामिल हैं।

--आईएएनएस

केके/डीएससी

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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