दक्षिण कोरिया: विवादास्पद प्रसारण विधेयक को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने

दक्षिण कोरिया: विवादास्पद प्रसारण विधेयक को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने

दक्षिण कोरिया: विवादास्पद प्रसारण विधेयक को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने

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IANS
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South Korea: Ruling, main opposition parties gear for clash over contentious broadcasting bill

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

सोल, 21 अगस्त (आईएएनएस)। दक्षिण कोरिया की सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक पार्टी (डीपी) और मुख्य विपक्षी दल पीपल्स पावर पार्टी (पीपीपी) के बीच गुरुवार को टकराव की आशंका है, क्योंकि डीपी ने सार्वजनिक प्रसारकों पर सरकार के प्रभाव को कम करने के उद्देश्य से तीन विवादास्पद प्रसारण विधेयकों में से एक का प्रस्ताव रखने की योजना बनाई है।

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यह विधेयक तीन विवादास्पद प्रसारण विधेयकों में से एक है, जो अंततः तीन सार्वजनिक प्रसारकों - केबीएस, एमबीसी और ईबीएस - के बोर्ड निदेशकों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि और मीडिया एवं प्रसारण संघों को अनुदान देकर उनके ढांचे में बदलाव लाएगा।

फाउंडेशन फॉर ब्रॉडकास्ट कल्चर एक्ट में संशोधन का उद्देश्य सार्वजनिक प्रसारक एमबीसी के एक प्रमुख शेयरधारक, फाउंडेशन फॉर ब्रॉडकास्ट कल्चर के बोर्ड सदस्यों की संख्या नौ से बढ़ाकर 13 करना है।

डीपी और पीपीपी के बीच इस कानून को लेकर खींचातानी है। पीपीपी का तर्क है कि ये विधेयक सार्वजनिक प्रसारकों के बोर्ड में कुछ खास प्रभावशाली हस्तियों को शामिल करेगा।

योनहाप समाचार एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, पीपीपी इसे पारित होने से रोकने के लिए फिलिबस्टर (विघ्न डालने की रणनीति) करेगी। जिसके बाद, 5 अगस्त की मध्यरात्रि को जुलाई का असाधारण सत्र समाप्त होने पर यह विधेयक स्वतः ही रद्द हो जाएगा।

पीपीपी ने चेतावनी दी है कि वह गुरुवार के पूर्ण सत्र में भी एक और बाधा डालने की रणनीति के तहत काम करेगी।

विधेयक पारित होने के बाद, डेमोक्रेटिक पार्टी, जिसके पास वर्तमान में 298 में से 167 सीटों के साथ संसदीय बहुमत है, शेष प्रसारण विधेयक, तथाकथित पीले लिफाफे विधेयक, जो श्रम सुरक्षा को व्यापक बनाने का प्रयास करता है, और वाणिज्यिक अधिनियम में संशोधन, को प्रस्तुत करने की योजना बना रही है।

डेमोक्रेटिक पार्टी द्वारा नियंत्रित राष्ट्रीय सभा ने इस महीने की शुरुआत में ही प्रसारण अधिनियम में संशोधन, जो तीन प्रसारण विधेयकों में से पहला है, पारित कर दिया है।

फिलिबस्टर में सांसदों द्वारा संसदीय मतदान को रोकने या किसी विधेयक के पारित होने में देरी करने के लिए लंबे समय तक सदन में उपस्थित रहना शामिल है। राष्ट्रीय सभा अधिनियम के तहत, यदि संसद के सभी सदस्यों के कम से कम 180 सांसद इसकी सहमति देते हैं, तो 24 घंटे के बाद फिलिबस्टर को रोका जा सकता है।

--आईएएनएस

केआर/

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