बुजुर्गों में डिमेंशिया का खतरा बढ़ा सकती हैं कुछ एंटी-एलर्जी दवाएं: अध्ययन

बुजुर्गों में डिमेंशिया का खतरा बढ़ा सकती हैं कुछ एंटी-एलर्जी दवाएं: अध्ययन

बुजुर्गों में डिमेंशिया का खतरा बढ़ा सकती हैं कुछ एंटी-एलर्जी दवाएं: अध्ययन

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IANS
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Some anti-allergy drugs may raise dementia risk in elderly: Study

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। बुधवार को एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि कुछ एंटीहिस्टामाइन यानी एलर्जी रोधी दवाएं- बुजुर्गों में मनोभ्रंश का खतरा बढ़ा सकती हैं।

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एक अनुमान के मुताबिक दुनिया भर में 57.4 मिलियन से ज्यादा लोग डिमेंशिया से जूझ रहे हैं। आशंका है कि यह संख्या 2050 तक लगभग तीन गुना बढ़कर 152.8 मिलियन हो जाएगी।

लक्षणों की बात करें तो शुरुआत में स्मृति हानि, शब्दों को समझने में कठिनाई, भ्रम, और मनोदशा व व्यवहार में बदलाव महसूस किया जा सकता है।

जर्नल ऑफ द अमेरिकन जेरिएट्रिक्स सोसाइटी में प्रकाशित एक विश्लेषण से पता चला है कि अस्पताल में भर्ती जिन वृद्ध रोगियों को फर्स्ट जेनरेशन एंटीहिस्टामाइन अधिक मात्रा में दी जाती रही है, वे अचानक भ्रम की गंभीर स्थिति में पहुंच गए।

टोरंटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा, फर्स्ट जेनरेशन एंटीहिस्टामाइन, जैसे कि डाइफेनहाइड्रामाइन, बुजुर्गों में दवाओं की वजह से होने वाले नुकसान में से एक हैं।

टीम ने 65 वर्ष और उससे अधिक आयु के 328,140 रोगियों के आंकड़ों का विश्लेषण किया, जिन्हें 2015-2022 के दौरान कनाडा के ओंटारियो के 17 अस्पतालों में 755 उपस्थित चिकित्सकों द्वारा भर्ती कराया गया था।

उन्होंने पाया कि उनमें डिलीरियम (अचानक उत्पन्न होने वाली अत्यधिक भ्रम की स्थिति या भावनाओं का उतार-चढ़ाव) की कुल संभावना 34.8 प्रतिशत थी। जिन चिकित्सकों ने आमतौर पर फर्स्ट जेनरेशन एंटीहिस्टामाइन लिखे थे, उनके मरीजों के मनोभावों में औचक बदलाव की आशंका उन चिकित्सकों के पास भर्ती मरीजों की तुलना में 41 प्रतिशत अधिक थी, जिन्होंने शायद ही कभी फर्स्ट जेनरेशन एंटीहिस्टामाइन लिखे थे।

डिलिरियम, जो अस्पताल में भर्ती 50 प्रतिशत तक वृद्ध वयस्कों में होता है।

टोरंटो विश्वविद्यालय और महिला कॉलेज अस्पताल के संवाददाता लेखक आरोन एम. ड्रकर ने कहा, हमें उम्मीद है कि हमारे अध्ययन से अस्पताल के चिकित्सक जागरूक होंगे। उन्हें समझ में आएगा कि बेहोश करने वाली एंटीहिस्टामाइन हानिकारक हो सकती हैं, और इन्हें सावधानी से लिखा जाना चाहिए।

टीम ने कहा कि हिस्टामाइन-मिडियेटेड स्थितियों (हिस्टामाइन की वजह से दिखने वाले लक्षण) के लिए निर्धारित होने पर भी, फर्स्ट जेनरेशन एंटीहिस्टामाइन गैर-निद्राकारी (जिससे नींद न आए) एंटीहिस्टामाइन की तुलना में ज्यादा लाभ नहीं देते हैं।

--आईएएनएस

केआर/

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