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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
ढाका, 17 नवंबर (आईएएनएस)। बांग्लादेश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (आईसीटी) ने सोमवार को अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि अपदस्थ पूर्व पीएम शेख हसीना कठोरतम सजा की पात्र हैं जबकि इसी मामले में दोषी ठहराए गए पूर्व आईजीपी ममून पर नरमी बरती गई। उन्हें महज पांच साल की सजा सुनाई गई।
कोर्ट ने हसीना के साथ उनके दो करीबियों को भी दोषी माना था। इनमें से पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक यानी आईजीपी चौधरी अब्दुला अल ममून शामिल थे। ममून सरकारी गवाह बन गए और उन्हें माफी मिल गई।
बांग्लादेश के पूर्व आईजीपी ममून ने माफी मांगते हुए कहा कि मैंने कोर्ट का पूरा साथ दिया। उन्होंने माना कि वह हिंसा में शामिल थे। ये भी कहा कि 4 लोगों ने मिलकर साजिश की और सभी पीएम के आवास पर रोज बैठक भी करते थे।
ममून ने अपनी नौकरी की दुहाई दी। कहा कि उन्होंने 36 साल की सर्विस में कोई जुर्म नहीं किया, लेकिन इस घटना ने उनकी छवि खराब कर दी।
2010 में न्यायाधिकरण की स्थापना के बाद माफी मांगकर गवाह बनने वाले ममून पहले अभियुक्त बन गए।
बांग्लादेश टेलीविजन (बीटीवी) ने आईसीटी अदालत कक्ष से इस फैसले का सीधा प्रसारण किया, जहां न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मजूमदार की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण-1 ने फैसला सुनाया था।
हसीना को ढाका की इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने हत्या के लिए उकसाने और हत्या का आदेश देने में दोषी माना।
उन्हें जुलाई 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान रची गई साजिश और हत्याओं का मास्टरमाइंड बताया गया। दूसरे आरोपी, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान को भी 12 लोगों की हत्या का दोषी मानते हुए ट्रिब्यूनल ने मौत की सजा सुनाई।
कोर्ट ने हसीना और असदुज्जमान कमाल की संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया है।
शेख हसीना के अलावा, पूर्व गृहमंत्री असदुज्जमान ने 5 अगस्त 2024 को तख्तापलट के बाद देश छोड़ दिया था।
--आईएएनएस
केआर/
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