शांति विधेयक मोदी सरकार का सबसे बड़ा वैज्ञानिक सुधार, परमाणु क्षेत्र में 60 साल की रुकावट टूटी : जितेंद्र सिंह

शांति विधेयक मोदी सरकार का सबसे बड़ा वैज्ञानिक सुधार, परमाणु क्षेत्र में 60 साल की रुकावट टूटी : जितेंद्र सिंह

शांति विधेयक मोदी सरकार का सबसे बड़ा वैज्ञानिक सुधार, परमाणु क्षेत्र में 60 साल की रुकावट टूटी : जितेंद्र सिंह

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IANS
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SHANTI Bill one of Modi govt's 'biggest science reforms', breaks six-decade stalemate in nuclear sector: Jitendra Singh

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। शांति विधेयक मोदी सरकार के सबसे बड़े वैज्ञानिक सुधारों में से एक है। इस विधेयक ने परमाणु क्षेत्र में पिछले करीब 60 साल से चली आ रही रुकावट को तोड़ दिया है। यह बात केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने रविवार को कही।

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उन्होंने कहा कि सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया यानी शांति (एसएचएएनटीआई) विधेयक भारत के परमाणु क्षेत्र में एक ऐतिहासिक सुधार है। इससे शांतिपूर्ण, स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा के लिए परमाणु शक्ति का बेहतर इस्तेमाल हो सकेगा। साथ ही, सुरक्षा, देश की संप्रभुता और जनहित से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि इतने बड़े सुधार के बारे में पिछले छह दशकों तक सोचना भी मुश्किल था। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच और नेतृत्व का ही परिणाम है कि पुराने डर और रुकावटों को हटाकर भारत की नीतियों को दुनिया के अच्छे उदाहरणों के अनुसार बदला गया।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल की पहचान ही बड़े और मजबूत सुधार हैं, जिनमें विज्ञान, नवाचार और उद्यमिता पर खास ध्यान दिया गया है। पहले के सुधार राजनीतिक और रणनीतिक फैसलों के लिए जाने जाते थे, जबकि मोदी 3.0 उन क्षेत्रों में बदलाव के लिए याद किया जाएगा, जो भारत के तकनीकी और आर्थिक भविष्य को तय करते हैं।

भारत की परमाणु नीति पर बात करते हुए मंत्री ने बताया कि डॉ. होमी जहांगीर भाभा के समय से ही भारत का परमाणु कार्यक्रम विकास, स्वास्थ्य और ऊर्जा सुरक्षा के लिए बनाया गया था। शांति बिल इसी सोच को आगे बढ़ाता है और साफ बिजली, चिकित्सा उपयोग और शोध के लिए परमाणु ऊर्जा के विस्तार की अनुमति देता है।

डॉ. सिंह ने कहा कि एआई, क्वांटम तकनीक और डेटा आधारित अर्थव्यवस्था के दौर में लगातार बिजली की जरूरत होती है। ऐसे में परमाणु ऊर्जा बहुत जरूरी है, क्योंकि यह दिन-रात भरोसेमंद बिजली देती है, जबकि कुछ नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत हमेशा उपलब्ध नहीं होते।

उन्होंने बताया कि जैसे-जैसे भारत कोयले और अन्य जीवाश्म ईंधनों से दूर जा रहा है, वैसे-वैसे परमाणु ऊर्जा उन्नत तकनीक, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और रणनीतिक क्षेत्रों को सहारा देगी।

मंत्री ने कहा कि 2014 में भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता लगभग 4.4 गीगावॉट थी, जो अब बढ़कर करीब 8.7 गीगावॉट हो गई है। सरकार का लक्ष्य है कि 2047 तक इसे लगभग 100 गीगावॉट तक पहुंचाया जाए, जिससे देश की करीब 10 प्रतिशत बिजली परमाणु ऊर्जा से मिले और नेट जीरो लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिले।

उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में परमाणु विज्ञान की बढ़ती भूमिका पर भी जोर दिया और कहा कि कैंसर की जांच और इलाज में न्यूक्लियर मेडिसिन और आइसोटोप का इस्तेमाल बढ़ रहा है, जिससे कई लोगों की जान बच रही है। इससे साफ है कि आज परमाणु विज्ञान मानव कल्याण और सामाजिक उन्नति के लिए एक महत्वपूर्ण शक्ति बनकर उभर रहा है।

भविष्य की तैयारियों का जिक्र करते हुए मंत्री ने कहा कि भारत छोटे मॉड्यूलर रिएक्टर की दिशा में भी आगे बढ़ रहा है। ये घनी आबादी वाले शहरों, औद्योगिक क्षेत्रों और नए आर्थिक क्षेत्रों के लिए उपयुक्त हैं और ऊर्जा सुरक्षा के साथ पर्यावरण की भी रक्षा करेंगे।

उन्होंने कहा कि शांति बिल को वैज्ञानिकों, उद्योग जगत, स्टार्टअप्स और नवाचार से जुड़े लोगों का व्यापक समर्थन मिला है। यह दिखाता है कि भारत के परमाणु क्षेत्र को आधुनिक बनाने की जरूरत पर देश में आम सहमति है। यह बिल मोदी सरकार 3.0 की उस सोच को दर्शाता है, जिसमें विज्ञान आधारित नीतियों से भारत को 2047 तक एक विकसित देश बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

--आईएएनएस

डीबीपी/एबीएम

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