सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायाधीश केंद्रित न्यायालय है, इसमें बदलाव की जरूरत : न्यायमूर्ति अभय एस ओका

सुप्रीम कोर्ट मुख्य न्यायाधीश केंद्रित न्यायालय है, इसमें बदलाव की जरूरत : न्यायमूर्ति अभय एस ओका

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IANS
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SC a Chief Justice-centric court, requires change: Justice Abhay S. Oka (Photo courtesy Supreme Court website)

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 23 मई (आईएएनएस)। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभय एस. ओका ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में अपना विदाई भाषण देते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय मुख्य न्यायाधीश-केंद्रित अदालत है, जिसमें बदलाव की जरूरत है।

शनिवार को पद छोड़ने जा रहे न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि देश के विभिन्न भागों से 34 न्यायाधीशों वाले सर्वोच्च न्यायालय की विविधता इसकी कार्यप्रणाली में झलकनी चाहिए।

उन्होंने पारदर्शिता पहल के लिए पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की सराहना करते हुए कहा कि खन्ना ने सभी को विश्वास में लेकर निर्णय लिए।

न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि वर्तमान मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई के खून में लोकतांत्रिक मूल्य समाहित हैं।

अपने भाषण में न्यायमूर्ति ओका ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की सहायता से शीर्ष न्यायालय में मामलों की लिस्टिंग का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि जब तक मैनुअल हस्तक्षेप को कम नहीं किया जाता, तब तक बेहतर लिस्टिंग नहीं हो सकती।

पिछले 21 साल और नौ महीने से न्यायाधीश के रूप में कार्यरत न्यायमूर्ति ओका ने कहा कि वह अपने न्यायिक कार्य में इतने व्यस्त हो गए कि न्यायाधीश का पद जीवन बन गया और जीवन न्यायाधीश का पद बन गया।

उन्होंने कहा कि जब कोई व्यक्ति बेंच में शामिल होता है, तो उसे वकील जितनी आय नहीं मिलती, लेकिन काम से मिलने वाली संतुष्टि की तुलना वकील के रूप में करियर से नहीं की जा सकती।

न्यायमूर्ति ओका ने कहा, न्यायालय एक सुंदर अवधारणा है। जब आप वकील होते हैं, तो आपके सामने कई तरह की बाधाएं हो सकती हैं, लेकिन जब आप न्यायाधीश होते हैं, तो संविधान, कानून और आपकी अंतरात्मा के अलावा कोई भी आपको नियंत्रित नहीं कर सकता।

अपने विदाई भाषण में न्यायमूर्ति ओका ने अपने परिवार के बलिदानों को याद किया, जिसमें उनके पिता भी शामिल थे, जिन्होंने अपने बेटे के बेंच में पदोन्नत होने के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट में सिविल प्रैक्टिस छोड़ दी थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि जिला न्यायालयों या ट्रायल कोर्ट को अधीनस्थ न्यायालय नहीं कहा जाना चाहिए।

उन्होंने कहा, कोई भी न्यायालय अधीनस्थ नहीं होता। न्यायालय को अधीनस्थ कहना हमारे संवैधानिक मूल्यों के विरुद्ध है।

--आईएएनएस

एससीएच/एकेजे

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