पाकिस्तान ने बलूच कार्यकर्ताओं को आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत किया सूचीबद्ध, मानवाधिकार संगठनों ने जताई आपत्ति

पाकिस्तान ने बलूच कार्यकर्ताओं को आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत किया सूचीबद्ध, मानवाधिकार संगठनों ने जताई आपत्ति

पाकिस्तान ने बलूच कार्यकर्ताओं को आतंकवाद विरोधी अधिनियम के तहत किया सूचीबद्ध, मानवाधिकार संगठनों ने जताई आपत्ति

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IANS
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Rights groups condemn listing of Baloch activists under Pakistan's Anti-Terrorism Act

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

क्वेटा, 22 अक्टूबर (आईएएनएस)। कई मानवाधिकार संगठनों ने बुधवार को बलूचिस्तान सरकार द्वारा तीन शांतिपूर्ण बलूच महिला कार्यकर्ताओं को पाकिस्तान के आतंकवाद विरोधी अधिनियम (एटीए) 1997 की चौथी अनुसूची में डालने के फैसले की कड़ी निंदा की।

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बलूचिस्तान गृह विभाग द्वारा 16 अक्टूबर को जारी अधिसूचना में बलूच महिला मंच (बीडब्ल्यूएफ) की केंद्रीय संयोजक शाली बलूच और बलूच यकजेहती समिति (बीवाईसी) की सदस्य नाज गुल और सैयद बीबी पर आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों में सहयोग करने और उनसे जुड़े होने का आरोप लगाया गया है और उन्हें एटीए के अंतर्गत सूचीबद्ध किया गया है।

इस फैसले की दुनिया भर के मानवाधिकार निकायों और कार्यकर्ताओं ने व्यापक आलोचना की और पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा बलूच कार्यकर्ताओं पर लगातार हो रहे अत्याचार की निंदा की।

इस फैसले की निंदा करते हुए, मानवाधिकार संस्था बलूच वॉयस फॉर जस्टिस (बीवीजे) ने इस कार्रवाई को बलूच महिलाओं को चुप कराने के उद्देश्य से डराने-धमकाने के एक व्यवस्थित अभियान का हिस्सा बताया, जो अहिंसक और लोकतांत्रिक तरीकों से साहसपूर्वक मानवाधिकारों की रक्षा कर रही हैं।

बीवीजे ने कहा, एटीए की चौथी अनुसूची और लोक व्यवस्था बनाए रखने (एमपीओ) जैसे औपनिवेशिक काल के कानूनों का बार-बार दुरुपयोग, बलूचिस्तान में असहमति को अपराध घोषित करने और वैध राजनीतिक अभिव्यक्ति को दबाने के जानबूझ कर किए गए प्रयास को दर्शाता है।

इसमें आगे कहा गया, ये कार्रवाइयां न केवल पाकिस्तान के संविधान, विशेष रूप से अनुच्छेद 19 और 25 का उल्लंघन करती हैं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून के तहत पाकिस्तान के दायित्वों का भी उल्लंघन करती हैं, जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, शांतिपूर्ण सभा और संगठन बनाने के अधिकारों की गारंटी देता है।

दूसरी ओर, बलूच राष्ट्रीय आंदोलन के मानवाधिकार विभाग, पांक ने इस कदम की निंदा करते हुए इसे शांतिपूर्ण सक्रियता को अपराध घोषित करने और जबरन गायब किए जाने और मानवाधिकारों के हनन के खिलाफ आवाज उठाने वाली बलूच महिलाओं को चुप कराने का एक जबरदस्त प्रयास बताया।

पांक ने अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार निकायों से हस्तक्षेप करने का आह्वान किया, महिला कार्यकर्ताओं के नाम चौथी अनुसूची से हटाने की मांग की और बलूचिस्तान में जारी दमन के लिए पाकिस्तान को जवाबदेह ठहराया।

अधिसूचना के बाद, शाली बलूच ने एक्स पर पोस्ट किया, नाज गुल और सैयद बीबी के साथ मेरा नाम शामिल करने संबंधी बलूचिस्तान सरकार के गृह विभाग की अधिसूचना का नया संस्करण मानवाधिकारों के लिए स्थानीय आवाजों को दबाने की कोई नई चाल नहीं है, बल्कि यह न केवल लोगों के मौलिक अधिकारों को कम करने, बल्कि उनका विरोध करने वाला कोई न बचे, इसका एक पुराना प्रयास है।

उन्होंने आगे कहा, हमने हमेशा कानून और संविधान के दायरे में रहकर संघर्ष किया है और अब अपने खिलाफ लगे झूठे आरोपों को चुनौती देने के लिए हर कानूनी मंच का सहारा लेंगे। इस तरह की कायरतापूर्ण हरकतें हमारे लंबे संघर्ष में ऊर्जा का संचार करेंगी।

--आईएएनएस

केआर/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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