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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)
क्वेटा, 18 अक्टूबर (आईएएनएस)। मानवाधिकार संगठन, बलूच यकजेहती समिति (बीवाईसी) ने शनिवार को बलूचिस्तान में पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा जबरन गायब किए जाने, न्यायेतर हत्याओं और यातनाओं में वृद्धि पर प्रकाश डाला।
बीवाईसी ने कहा कि बलूच नागरिकों के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन में तेजी आई है क्योंकि पाकिस्तान ने बल प्रयोग और कानूनी उपायों का इस्तेमाल करके अपना नियंत्रण कड़ा कर दिया है।
बलूचिस्तान में मानवाधिकारों की स्थिति शीर्षक वाली अपनी रिपोर्ट में, मानवाधिकार संगठन ने जुलाई और अगस्त के बीच पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा किए गए व्यापक उल्लंघनों का विवरण दिया है।
रिपोर्ट में कहा गया है, जबरन गुमशुदगी की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है और 182 लोग लापता हुए हैं, जिनमें से 80 जुलाई में और 102 अगस्त में हुए। इनमें से 38 को रिहा कर दिया गया है। एक व्यक्ति हिरासत में मारा गया और 142 अभी भी लापता हैं, जिनका कोई अता-पता नहीं है और न ही उनका कोई पता है। पीड़ितों में 40 छात्र, 15 नाबालिग और एक महिला शामिल हैं।
निष्कर्षों के अनुसार, क्वेटा, केच और अवारन सहित बलूचिस्तान के कई जिलों में जबरन गुमशुदगी के सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें पाकिस्तान की फ्रंटियर कोर कथित तौर पर मुख्य अपराधी है।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है, न्यायिक हत्याएं बेरोकटोक जारी हैं और जुलाई और अगस्त के दौरान 29 लोग मारे गए। इनमें से ज्यादातर मामले लक्षित हत्याओं, हिरासत में हत्याओं और हत्या करके फेंक देने के थे। केच, अवारन और खुजदार जिलों में क्रमशः सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए।
रिपोर्ट में बताया गया है कि दर्ज उल्लंघनों में से 59 प्रतिशत पाकिस्तान समर्थित मौत दस्तों द्वारा और 21 प्रतिशत सशस्त्र बलों द्वारा किए गए, जबकि नाबालिगों को भी निशाना बनाया गया, जिसमें नागरिक आबादी पर दागे गए मोर्टार के गोले से दो बच्चों की मौत हो गई।
बीवाईसी ने कहा, पीड़ितों के साथ अत्याचार, अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार दर्ज किया गया क्योंकि बलूच युवाओं के कई शव क्षत-विक्षत हालत में सड़क किनारे फेंके हुए पाए गए। ये लोग जबरन गायब किए गए थे और उन्हें भारी यातना का सामना करना पड़ा, जो उनके शरीर पर साफ दिखाई दे रहा था। केच और अवारन में लोगों को प्रताड़ित करने की सबसे ज्यादा खबर आई और क्षत-विक्षत शव भी मिले।
इसमें आगे कहा गया है, बलूचिस्तान में सामूहिक दंड का प्रचलन बढ़ा है। यहां राज्य के अधिकारी राजनीतिक कार्यकर्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के परिवारों को निशाना बनाते हैं। गंभीर मानवाधिकार उल्लंघनों के खिलाफ प्रतिरोध को कुचलने के लिए बल और कानून का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा, नागरिक आबादी पर बमबारी के मामले भी सामने आए हैं।
बीवाईसी के अनुसार, रिपोर्ट में दर्ज पाकिस्तान की कार्रवाइयां अंतर्राष्ट्रीय संधियों के प्रावधानों का उल्लंघन करती हैं, जिनमें नागरिक और राजनीतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय वाचा (आईसीसीपीआर), यातना के विरुद्ध कन्वेंशन (सीएटी) और जिनेवा कन्वेंशन शामिल हैं - जिनमें से सभी का पाकिस्तान एक पक्ष है।
--आईएएनएस
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