पाकिस्तान में वकीलों की आवाज को दबाने के लिए कोर्ट को बनाया जा रहा हथियार, मानवाधिकार संगठनों से हस्तक्षेप की मांग

पाकिस्तान में वकीलों की आवाज को दबाने के लिए कोर्ट को बनाया जा रहा हथियार, मानवाधिकार संगठनों से हस्तक्षेप की मांग

पाकिस्तान में वकीलों की आवाज को दबाने के लिए कोर्ट को बनाया जा रहा हथियार, मानवाधिकार संगठनों से हस्तक्षेप की मांग

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IANS
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Rights body slams trial of Pakistani human rights lawyers as ‘weaponisation of law’

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

क्वेटा, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। एक प्रमुख मानवाधिकार समूह बलूच यकजेहती कमेटी (BYC) ने पाकिस्तानी वकीलों के खिलाफ ट्रायल की निंदा की है और आरोप लगाया है कि उन्हें ऐसे अपराध के लिए निशाना बनाया जा रहा है जो उन्होंने किया ही नहीं है। कमेटी ने कहा कि यह कार्रवाई पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा निर्दोष नागरिकों के खिलाफ कानून का हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने का एक और उदाहरण है।

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मानवाधिकार समूह और बीवाईसी ने कहा कि जैनब और हादी अली के खिलाफ ऐसी कार्रवाई पाकिस्तानी अधिकारियों द्वारा बेगुनाह नागरिकों के खिलाफ कानून का गलत इस्तेमाल करना है।

मानवाधिकार समूह ने आरोप लगाया कि कानूनी तरीकों का इस्तेमाल इंसाफ को बनाए रखने के लिए नहीं, बल्कि सच बोलने की हिम्मत करने वालों को चुप कराने के लिए किया जा रहा है।

मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील इमान मजारी और उनके पति वकील हादी अली चट्ठा पर अक्टूबर में इस्लामाबाद की एक कोर्ट ने कथित तौर पर विवादित सोशल मीडिया पोस्ट से जुड़े एक मामले में आरोप लगाया था।

बीवाईसी ने कहा, “वकील इमान मजारी और वकील हादी अली लंबे समय से मानवाधिकार की सुरक्षा के लिए समर्पित हैं। उनकी कोशिशों में ईशनिंदा कानूनों के पीड़ितों के लिए इंसाफ की वकालत करना, जबरदस्ती गायब किए गए लोगों की आवाज उठाना और मिलिट्री कोर्ट में गैर-संवैधानिक तरीकों के साथ कानून के राज को कमजोर करने की बड़ी कोशिशों को चुनौती देना शामिल है। जो लोग मौजूदा सिस्टम की आलोचना करते हैं या उस पर सवाल उठाते हैं, उन्हें कानूनी जुल्म का सामना करना पड़ रहा है।”

बीवाईसी ने आगे कहा कि उसके अपने नेताओं को पिछले नौ महीनों से बिना किसी वजह के हिरासत में रखा गया है, जबकि पश्तून तहफुज अभियान के नेता अली वजीर को दो साल से एक ऐसे जुर्म के लिए जेल में रखा गया है जो उन्होंने किया ही नहीं।

बीवाईसी ने जोर देकर कहा, “पाकिस्तान में चल रहे मानवाधिकार उल्लंघन को रोकने के लिए मानवाधिकार संगठनों को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए।”

इस हफ्ते की शुरुआत में विमेन इन लॉ इनिशिएटिव (डब्ल्यूआईएल) पाकिस्तान ने भी देश के प्रिवेंशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक क्राइम्स एक्ट 2016 (पीईसीए) के तहत इमान मजारी और हादी अली चट्ठा के खिलाफ चलाए जा रहे ट्रायल को गैरकानूनी और गलत तरीका बताया।

डब्ल्यूआईएल ने कहा, वकील इमान और हादी के साथ गैरकानूनी व्यवहार का न सिर्फ उन पर बल्कि पाकिस्तान में कानूनी समुदाय की आजादी और सुरक्षा पर भी गंभीर असर पड़ेगा। ऐसा व्यवहार हमारी संवैधानिक प्रणाली की बुनियाद पर हमला करता है और एक खतरनाक संदेश देता है कि जो लोग अधिकारों की रक्षा करते हैं, संवैधानिक सिद्धांतों को बनाए रखते हैं या ताकत के ज्यादा इस्तेमाल को चुनौती देते हैं, उन्हें खुद निशाना बनाया जा सकता है और उन पर गैरकानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

--आईएएनएस

केके/वीसी

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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