बलूचिस्तान के नागरिकों को पाकिस्तानी सेना कर रही गायब? मानवाधिकार संगठन ने लगाया बड़ा आरोप

बलूचिस्तान के नागरिकों को पाकिस्तानी सेना कर रही गायब? मानवाधिकार संगठन ने लगाया बड़ा आरोप

बलूचिस्तान के नागरिकों को पाकिस्तानी सेना कर रही गायब? मानवाधिकार संगठन ने लगाया बड़ा आरोप

author-image
IANS
New Update
Rights body alleges Pakistani forces behind enforced disappearances of civilians in Balochistan

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

क्वेटा, 3 नवंबर (आईएएनएस)। एक मानवाधिकार संगठन ने सोमवार को आरोप लगाया कि पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने बलूचिस्तान में तीन और बलूच नागरिकों को जबरन गायब कर दिया। इसकी वजह से इस अस्थिर प्रांत में लोगों के गायब होने की बढ़ती संख्या में इजाफा हो गया है।

Advertisment

यह ताजा घटना बलूच नागरिकों को जबरन गायब करने, न्यायेतर हत्याओं और यातनाओं के बढ़ते मामलों के साथ उत्पीड़न की निरंतर घटनाओं के बीच हुई है।

बलूच राष्ट्रीय आंदोलन के मानवाधिकार विभाग, पांक ने बताया कि 30 और 31 अक्टूबर के बीच, पाकिस्तानी सुरक्षा बलों ने बलूचिस्तान के केच जिले में स्थित तुर्बत शहर के बहामन इलाके में एक घर पर छापा मारा। इस कार्रवाई के दौरान, तीन लोगों को उनके घरों से जबरन गायब कर दिया गया।

पीड़ितों की पहचान यासिर, वहीद अहमद और ज़रीफ़ अहमद के रूप में हुई है। इस बीच, पांक ने तुम्प जिले में पाकिस्तान समर्थित मौत दस्तों द्वारा एक युवा बलूच छात्र अब्दुल रहमान की दिनदहाड़े नृशंस हत्या की स्पष्ट रूप से निंदा की।

मानवाधिकार संस्था ने कहा, हमें बेहद परेशान करने वाली रिपोर्टें मिली हैं जो दर्शाती हैं कि यह अज्ञात लोगों द्वारा की गई कोई आकस्मिक हिंसा नहीं थी, बल्कि पाकिस्तानी सेना द्वारा समर्थित राज्य-प्रायोजित मौत दस्तों द्वारा किया गया एक लक्षित, न्यायेतर हत्याकांड था। एक छात्र को उसकी ही दुकान में, उसके पिता के सामने जानबूझकर मार डालना, बलूच जनता को चुप कराने, डराने और सामूहिक रूप से दंडित करने के लिए रची गई आतंक की एक रणनीति है।

पांक ने कहा कि यह घटना पाकिस्तान की उस नीति का एक स्पष्ट उदाहरण है जिसमें वह बलूच लोगों के खिलाफ छद्म मिलिशिया का इस्तेमाल करके हिंसा को बढ़ावा देती है और इसे कानून-व्यवस्था की स्थिति का नाम देती है।

अधिकार संस्था ने जोर देकर कहा, जब राज्य-समर्थित तत्व इतनी बेरहमी से हत्या कर सकते हैं, तो यह कानून-व्यवस्था की विफलता नहीं, बल्कि उसका कार्यान्वयन है। यह कृत्य जीवन के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है और बलूचिस्तान में न्याय व्यवस्था के पूर्ण पतन को उजागर करता है।

--आईएएनएस

केके/एएस

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Advertisment