अल्पसंख्यक अधिकार संगठन ने लगाया पाकिस्तान पर हिंदू और सिखों की विरासत की उपेक्षा का आरोप

अल्पसंख्यक अधिकार संगठन ने लगाया पाकिस्तान पर हिंदू और सिखों की विरासत की उपेक्षा का आरोप

अल्पसंख्यक अधिकार संगठन ने लगाया पाकिस्तान पर हिंदू और सिखों की विरासत की उपेक्षा का आरोप

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IANS
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Rights body accuses Pakistan of systematic neglect of Hindu and Sikh heritage

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

इस्लामाबाद, 6 दिसंबर (आईएएनएस)। एक प्रमुख अल्पसंख्यक अधिकार संगठन ने आरोप लगाया है कि पाकिस्तान सरकार ने हिन्दू और सिख समुदायों की धार्मिक विरासत को जानबूझकर नजरअंदाज किया है। संगठन का कहना है कि सरकार कई सालों से मंदिरों और गुरुद्वारों की रक्षा करने की जिम्मेदारी निभाने में असफल रही है।

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वॉइस ऑफ पाकिस्तान माइनॉरिटी (वीओपीएम) के अनुसार, पाकिस्तान में हिन्दू और सिख धर्मस्थलों में से लगभग 98 फ़ीसदी या तो बंद पड़े हैं, गैरकानूनी कब्जे में हैं, छोड़ दिए गए हैं या धीरे-धीरे नष्ट हो रहे हैं। संगठन का कहना है कि यह सरकार की साधारण लापरवाही नहीं, बल्कि पूरे प्रशासनिक ढांचे की सोच को दिखाता है।

ताज़ा जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान की संसद की अल्पसंख्यक समिति में बताया गया कि कागज़ों पर दर्ज 1,285 हिन्दू मंदिरों और 532 गुरुद्वारों में से केवल 37 ही अभी सही तरह से चल रहे हैं।

संगठन ने कहा कि यह स्थिति इसलिए और दुखद है क्योंकि इसके पीछे एक व्यवस्थित भेदभाव दिखाई देता है। जब मंदिर टूट रहे हैं, वहीं स्कूलों की किताबों में अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभावपूर्ण सामग्री अभी भी मौजूद है। अल्पसंख्यक छात्रों को कम अवसर मिलते हैं, मुस्लिम छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति या कोटा लाभ के बराबर कोई लाभ नहीं मिलता है। सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व बहुत कम है। यहां तक कि कई वरिष्ठ अधिकारी उन बैठकों में भी नहीं आते जहां अल्पसंख्यकों के मुद्दों पर चर्चा होती है। इससे यही संदेश जाता है कि अल्पसंख्यकों को महत्व नहीं दिया जाता।

संगठन ने कहा कि पाकिस्तान दुनिया को करतारपुर जैसे स्थल दिखाकर गर्व करता है, लेकिन देशभर में सैकड़ों मंदिर और गुरुद्वारे खंडहर बने पड़े हैं, जिनकी कोई सुध नहीं ली जा रही। एक अकेला अच्छी तरह से रखा गया तीर्थस्थल उन सैकड़ों टूटी हुई इमारतों की सच्चाई नहीं छिपा सकता, जहां कभी लोग पूजा करते थे। कई जगह तो पौधों-झाड़ियों ने मंदिरों को ढक लिया है या उन पर निजी लोगों ने कब्जा कर लिया है। यह नुकसान सिर्फ़ अल्पसंख्यकों का नहीं, बल्कि पाकिस्तान की विश्वसनीयता और उसकी सांस्कृतिक विरासत का भी है।

वीओपीएम का कहना है कि किसी देश का मूल्यांकन इस बात से होता है कि वह अपने सबसे छोटे और कमजोर समुदायों के साथ कैसा व्यवहार करता है। पाकिस्तान के सामने आज यह साफ आंकड़ा है-1,817 मंदिरों और गुरुद्वारों में से सिर्फ़ 37 ही चल रहे हैं, बाकी सब उपेक्षा के शिकार हो चुके हैं।

संगठन ने कहा कि ये इमारतें सिर्फ़ ढाँचे नहीं हैं, बल्कि वे पाकिस्तान के उस बहुलवादी अतीत की अंतिम आवाज़ें हैं, जिसकी रक्षा करने का वादा कभी देश ने किया था। हर बंद पड़ा मंदिर और हर टूटता गुरुद्वारा यही याद दिलाता है कि राज्य अपने संविधान में दिए समानता, न्याय और धार्मिक स्वतंत्रता के वादों को निभाने में असफल रहा है।

--आईएएनएस

एएस/

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

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