भारत के पावर मिक्स में रिन्यूएबल एनर्जी की हिस्सेदारी बढ़कर वित्त वर्ष 2030 तक 35 प्रतिशत से अधिक होने का अनुमान

भारत के पावर मिक्स में रिन्यूएबल एनर्जी की हिस्सेदारी बढ़कर वित्त वर्ष 2030 तक 35 प्रतिशत से अधिक होने का अनुमान

भारत के पावर मिक्स में रिन्यूएबल एनर्जी की हिस्सेदारी बढ़कर वित्त वर्ष 2030 तक 35 प्रतिशत से अधिक होने का अनुमान

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IANS
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(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 20 नवंबर (आईएएनएस)। भारत के एनर्जी उत्पादन में रिन्यूएबल एनर्जी की क्षमता से पैदा होने वाली बिजली की हिस्सेदारी बढ़कर वित्त वर्ष 30 तक 35 प्रतिशत से अधिक होने का अनुमान है। यह आंकड़ा वित्त वर्ष 25 में 22.1 प्रतिशत था। यह जानकारी गुरुवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।

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रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 2025 से वित्त वर्ष 30 के बीच क्षमता में लगभग 200 गीगावाट की वृद्धि होने का अनुमान है।

रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की रिपोर्ट में बताया गया कि यह बदलाव कई कारकों पर निर्भर करेगा, जिसमें मौजूद प्रोजेक्ट्स का क्रियान्वयन और इनके पीपीए (पावर परचेज एग्रीमेंट) का होना, नए रिन्यूएबल एनर्जी प्रोजेक्ट के लिए समय पर टेंडर का जारी होना आदि शामिल है।

आईसीआरए के मुताबिक, मजबूत नीतिगत समर्थन, बेहतर टैरिफ प्रतिस्पर्धात्मकता और बड़े वाणिज्यिक और औद्योगिक (सी एंड आई) ग्राहकों द्वारा स्थिरता संबंधी पहलों के कारण रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र का दृष्टिकोण स्थिर बना हुआ है।

हालांकि, क्रियान्वयन के मोर्चे पर चुनौतियां बनी हुई हैं, जिनमें जमीन और ट्रांसमिशन इन्फ्रास्ट्रक्चर, पीपीए पर हस्ताक्षर करने में देरी, उपकरणों की कीमतों और डिस्ट्रीब्यूशन यूटिलिटी फाइनेंस शामिल हैं।

रिपोर्ट में चैनल चेक के माध्यम से बताया गया कि वित्त वर्ष 24 में 47.3 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता के कॉन्ट्रैक्ट दिए गए थे। वहीं, वित्त वर्ष 25 में यह आंकड़ा घटकर 40.6 गीगावाट हो गया था। चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों में केवल 5.8 गीगावाट के कॉन्ट्रैक्ट दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त 40-45 गीगावाट क्षमता के पीपीए अभी साइन नहीं हुए हैं।

आईसीआरए के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीश कुमार कदम ने कहा, नए प्रोजेक्ट ट्रेंडर्स में गिरावट और केंद्रीय नोडल एजेंसियों द्वारा बड़ी रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता के लिए पीपीए पर हस्ताक्षर करने में देरी, रिन्यूएबल एनर्जी क्षेत्र के लिए उपलब्ध ट्रांसमिशन कनेक्टिविटी से संबंधित एग्जीक्यूशन पर चिंताओं को स्पष्ट रूप से दर्शाती है। राज्य के भीतर और साथ ही अंतर-राज्य स्तर पर समयबद्ध तरीके से भंडारण क्षमता और ग्रिड सुदृढ़ीकरण दोनों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि एनर्जी मिक्स में रिन्यूएबल एनर्जी का हिस्सा बढ़ रहा है।

--आईएएनएस

एबीएस/

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