श्रीलंका में बौद्ध धर्म से जुड़ी प्रतिकृतियों की लगाई गई प्रदर्शनी, भारतीय उच्चायुक्त ने किया उद्घाटन

श्रीलंका में बौद्ध धर्म से जुड़ी प्रतिकृतियों की लगाई गई प्रदर्शनी, भारतीय उच्चायुक्त ने किया उद्घाटन

श्रीलंका में बौद्ध धर्म से जुड़ी प्रतिकृतियों की लगाई गई प्रदर्शनी, भारतीय उच्चायुक्त ने किया उद्घाटन

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IANS
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Reaffirming cultural ties: Indian envoy inaugurates Ashoka pillar replica, Buddha relics at Sri Lanka temple

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

कोलंबो, 22 जुलाई (आईएएनएस)। भारत और श्रीलंका की साझा विरासत को मजबूत करते हुए श्रीलंका में राजा गुरु श्री सुबुथी महा विहार मंदिर में सम्राट अशोक के वैशाली स्तंभ की प्रतिकृति और कपिलवस्तु के पवित्र अवशेषों की विशेष प्रदर्शनी लगाई गई है। श्रीलंका में भारत के उच्चायुक्त संतोश झा ने मंगलवार को इसका उद्घाटन किया।

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भारतीय उच्चायोग ने इस आयोजन को भारत-श्रीलंका के गहरे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों का प्रतीक बताया।

यह कार्यक्रम श्रीलंका के तटीय शहर वास्काडुवा में स्थित राजा गुरु श्री सुबुथी महाविहार में हुआ। यह कार्यक्रम श्रीलंका के तटीय शहर वास्काडुवा में राजा गुरु श्री सुबुथी महा विहार मंदिर में हुआ। यह एक महत्वपूर्ण बौद्ध मंदिर है, जहां भगवान बुद्ध और उनके दो प्रमुख शिष्यों सारिपुत्र और मौद्गल्यायन के पवित्र अवशेष रखे गए हैं।

झा ने अमरपुरा संबुद्ध सासनोदया महानिकाय के प्रमुख वास्कादुवावे महिंदावांसा महानायके थेरो के साथ मंदिर में कपिलवस्तु की पवित्र अस्थियों की विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।

भारतीय उच्चायोग ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, उच्चायुक्त ने थेरो को उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएं दीं और उनकी लंबी उम्र के लिए प्रार्थना की।

बौद्ध धर्म भारत और श्रीलंका की सभ्यताओं को जोड़ने वाले सबसे मजबूत स्तंभों में से एक है, उस समय से जब अशोक ने श्रीलंका के राजा देवानामपिया तिस्सा के अनुरोध पर भगवान बुद्ध की शिक्षाओं का प्रसार करने के लिए अपने बच्चों अर्हत महिंदा और थेरी संगमित्रा को भेजा था।

इससे पहले, अप्रैल में श्रीलंका की अपनी यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के साथ अनुराधापुरा स्थित जया श्री महाबोधि मंदिर में जाकर आशीर्वाद लिया।

यह मंदिर भारत और श्रीलंका दोनों के लिए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। इस मंदिर में एक बोधि वृक्ष भी है, जिसके बारे में माना जाता है कि इसे सम्राट अशोक की पुत्री थेरी संघमित्रा द्वारा भारत से लाए गए एक पौधे से उगाया गया था।

भारत और श्रीलंका के बीच सदियों पुराने आध्यात्मिक संबंधों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने इस यात्रा के दौरान घोषणा की कि गुजरात के अरावली क्षेत्र में 1960 में मिले भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों को प्रदर्शनी के लिए श्रीलंका भेजा जा रहा है।

भारत और श्रीलंका के बीच गहरे लोगों के रिश्ते और साझा बौद्ध विरासत को दिखाते हुए कपिलवस्तु (भारत) में 1970 में मिले भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष दो बार श्रीलंका में प्रदर्शित किए गए।

पहली बार ये अवशेष 1978 में श्रीलंका ले जाए गए थे, जहां करीब 1 करोड़ लोगों ने इन्हें देखा और श्रद्धांजलि दी। दूसरी बार 2012 में श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के अनुरोध पर बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति के 2600 साल पूरे होने पर ये अवशेष फिर श्रीलंका भेजे गए।

इसी तरह श्रीलंका के वस्काडुवे विहार के पवित्र अवशेष भी अक्टूबर 2015 में भारत में प्रदर्शित किए गए थे। यह प्रदर्शनी डॉ. आंबेडकर के बौद्ध धर्म ग्रहण करने की 60वीं वर्षगांठ पर हुई थी, जहां 80 लाख से ज्यादा लोगों ने आकर इन अवशेषों के दर्शन किए और श्रद्धांजलि अर्पित की।

--आईएएनएस

पीएसके/केआर

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