आरबीआई 2025 की चौथी तिमाही में ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कर सकता है कटौती : रिपोर्ट

आरबीआई 2025 की चौथी तिमाही में ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कर सकता है कटौती : रिपोर्ट

आरबीआई 2025 की चौथी तिमाही में ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कर सकता है कटौती : रिपोर्ट

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IANS
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RBI likely to cut rates by 25 bps in Q4 CY25 as inflation stays benign: Report

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

मुंबई, 15 सितंबर (आईएएनएस)। एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा वर्ष 2025 की चौथी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में ब्याज दरों में 25 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद है। निर्यात ऑर्डर में गिरावट और सरकारी खर्च में कमी के कारण विकास दर में गिरावट की आशंका को देखते हुए यह कदम उठाया जा सकता है।

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एचएसबीसी ग्लोबल रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अनाज का मजबूत उत्पादन, पर्याप्त भंडार, तेल की कम कीमतें और चीन से सस्ता निर्यात जैसे कारक मुद्रास्फीति को लंबे समय तक कम बनाए रख सकते हैं।

ब्रोकिंग फर्म ने कहा कि चालू तिमाही के लिए औसत मुद्रास्फीति 1.8 प्रतिशत है, जो आरबीआई के 2.1 प्रतिशत के अनुमान से कम है। इसी के साथ, सितंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 1 प्रतिशत से 1.5 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है।

बयान में कहा गया है कि सोना एक महत्वपूर्ण कारक बना हुआ है, जो मुख्य मुद्रास्फीति को उच्च बनाए हुए है। अगस्त में कीमतों में सालाना आधार पर 40 प्रतिशत की वृद्धि ने उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में लगभग 43 आधार अंकों की वृद्धि की है।

एचएसबीसी ने अनुमान लगाया है कि हाल ही में जीएसटी दरों में कटौती से आने वाले महीनों में व्यक्तिगत देखभाल की वस्तुओं की कीमतों में तेजी की गति धीमी पड़ जाएगी।

अगस्त में बारिश से संबंधित सप्लाई बाधाओं के कारण सब्जियों और फलों की कीमतों में वृद्धि हुई, जबकि अनाज और दालों की कीमतों में गिरावट जारी रही।

कंपनी ने बताया कि खाद्य, ईंधन, आवास और सोने को छोड़कर, कोर मुद्रास्फीति सालाना आधार पर 3.2 प्रतिशत दर्ज की गई, जो आरबीआई के लक्ष्य से काफी कम है।

हालांकि, कंपनी ने कहा कि उत्तर-पश्चिम भारत, विशेष रूप से पंजाब में अत्यधिक बारिश और बाढ़ चिंता का विषय बनी हुई है।

सरकारी खर्च, विशेष रूप से पूंजीगत व्यय, जो अप्रैल से जुलाई की अवधि में सालाना आधार पर 33 प्रतिशत बढ़ रहा है, वित्त वर्ष 2026 की दूसरी छमाही में धीमा पड़ना शुरू हो सकता है और 10 प्रतिशत की बजटीय वृद्धि के करीब आ सकता है।

इस शोध फर्म ने इस महीने की शुरुआत में भारतीय इक्विटी पर तटस्थ रुख अपनाया था, हालांकि फर्म ने यह भी कहा था कि भारतीय बाजारों के लिए नौ में से पांच जोखिम कारकों में सुधार हो रहा है।

--आईएएनएस

एसकेटी/

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