आरबीआई ने बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए खरीदे 50,000 करोड़ रुपए के बॉन्ड

आरबीआई ने बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए खरीदे 50,000 करोड़ रुपए के बॉन्ड

आरबीआई ने बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए खरीदे 50,000 करोड़ रुपए के बॉन्ड

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IANS
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RBI buys bonds worth Rs 50,000 crore to inject more liquidity into banking system

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

मुंबई, 11 दिसंबर (आईएएनएस)। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को देश के बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने के लिए 50,000 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे। इसके जरिए केंद्रीय बैंक का उद्देश्य देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार को बढ़ाना है।

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यह खरीदारी आरबीआई द्वारा पिछले सप्ताह की गई मौद्रिक नीति की घोषणा का हिस्सा है, जिसके तहत सरकारी बॉन्ड की खरीद के माध्यम से बाजार में 1 लाख करोड़ रुपए और विदेशी मुद्रा अदला-बदली सुविधा के माध्यम से करीब 5 अरब डॉलर के बराबर की राशि बैंकिंग सिस्टम में डाली जाएगी।

केंद्रीय बैंक रुपए को अधिक गिरने से रोकने के लिए बाजार में अमेरिकी डॉलर बेच रहा है, जिसके कारण बैंकिंग प्रणाली से काफी नकदी बाहर निकल गई है और इससे बाजार में ब्याज दरों में वृद्धि होने की संभावना भी बढ़ जाती है।

मौद्रिक नीति के ऐलान के समय भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने कहा था कि आरबीआई शुद्ध मांग और समय देनदारियों (एनडीटीएल) के लगभग 1 प्रतिशत के अधिशेष स्तर को स्पष्ट रूप से लक्षित किए बिना बैंकिंग प्रणाली में पर्याप्त तरलता सुनिश्चित करेगा।

उन्होंने कहा, मौद्रिक संचरण हो रहा है और हम इसे समर्थन देने के लिए पर्याप्त तरलता प्रदान करेंगे।

मल्होत्रा ​​ने कहा कि बैंकिंग सिस्टम में वर्तमान लिक्विडिटी कभी-कभी एनडीटीएल के 1 प्रतिशत से अधिक हो जाती है, जो 0.6 प्रतिशत और 1 प्रतिशत के बीच रहती है, और कभी-कभी इससे भी अधिक हो जाती है।

उन्होंने आगे कहा, सटीक संख्या, चाहे 0.5, 0.6 या 1 प्रतिशत हो, मायने नहीं रखती। महत्वपूर्ण यह है कि बैंकों के पास सुचारू रूप से कार्य करने के लिए पर्याप्त भंडार हो।

केंद्रीय बैंक ने ओपन मार्केट ऑपरेशंस (ओएमओ) और फॉरेक्स बाय-सेल स्वैप के माध्यम से लिक्विडिटी उपायों की घोषणा की है। ओएमओ के तहत 1 लाख करोड़ रुपए मूल्य की सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद दो किस्तों में की जाएगी, प्रत्येक किस्त 50,000 करोड़ रुपए की होगी, जो 11 दिसंबर और 18 दिसंबर के बीच होगी। इसके अतिरिक्त, 16 दिसंबर को तीन साल के लिए 5 अरब डॉलर का यूएसडी/आईएनआर बाय-सेल स्वैप किया जाएगा।

--आईएएनएस

एबीएस/

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