दोहा, 26 मई (आईएएनएस)। कतर के विदेश मंत्री मोहम्मद बिन अब्दुल अजीज बिन सालेह अल खुलैफी ने सोमवार को एनसीपी (एसपी) सांसद सुप्रिया सुले के नेतृत्व में यहां पहुंचे भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की। इस दौरान पश्चिम एशियाई देश ने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की।
सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने पाकिस्तान प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद और ऑपरेशन सिंदूर के महत्व पर भारत के एकीकृत रुख की पुष्टि की।
कतर में भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, सोमवार सुबह, बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल ने विदेश मामलों के राज्य मंत्री मोहम्मद बिन अब्दुल अजीज बिन सालेह अल खुलैफी से मुलाकात की और पहलगाम आतंकवादी हमले, ऑपरेशन सिंदूर और आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस के लिए देश की राष्ट्रीय सहमति पर भारत के दृष्टिकोण से अवगत कराया।
दूतावास ने उल्लेख किया कि खुलैफी ने भारत के साथ कतर की एकजुटता और क्षेत्रीय स्थिरता तथा समृद्धि के लिए आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति से अवगत कराया।
सुप्रिया सुले के नेतृत्व वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में राजीव प्रताप रूडी, अनुराग ठाकुर और वी. मुरलीधरन, कांग्रेस नेता मनीष तिवारी और आनंद शर्मा, तेलुगु देशम पार्टी के लवू कृष्ण देवरायलु, आम आदमी पार्टी के नेता विक्रमजीत सिंह साहनी और पूर्व राजनयिक सैयद अकबरुद्दीन शामिल हैं।
प्रतिनिधिमंडल ने कतर की शूरा परिषद के साथ भी सफल और रचनात्मक वार्ता की और अपनी संप्रभुता की रक्षा करने के भारत के अधिकार से अवगत कराया।
शूरा परिषद की बैठक के बाद मीडिया को जानकारी देते हुए सुले ने बताया कि कतर की संसद के सभी सदस्य भारत के समर्थन में खड़े हैं और आतंक को उसके मूल से उखाड़ फेंकने के लिए उन्होंने एक साझा दृष्टिकोण व्यक्त किया।
उन्होंने कहा कि कतर के सांसद आतंकवाद को रोकने और भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति बनाए रखने में भारत के समान विचार रखते हैं।
प्रतिनिधिमंडल के सदस्य कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, कतर की शूरा परिषद की उपाध्यक्ष शेखा हमदा बिन्त हसन अल सुलैती और शूरा परिषद के उनके सहयोगियों के साथ विचारों का सफल और रचनात्मक आदान-प्रदान हुआ। उन्हें बताया कि भारत पांच हजार साल पुरानी सनातन सभ्यता है और विविध धर्मों तथा संस्कृतियों का संगम है।
पोस्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को सरकार की नीति के रूप में इस्तेमाल करके कम लागत वाले छद्म युद्ध को भारत बर्दाश्त नहीं करेगा और हम अपनी संप्रभुता और सभ्यतागत लोकाचार की रक्षा के लिए उचित कदम उठाने का अधिकार रखते हैं।
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