चालू वित्त वर्ष में निजी डिफेंस कंपनियों की आय में हो सकती है 18 प्रतिशत की वृद्धि : रिपोर्ट

चालू वित्त वर्ष में निजी डिफेंस कंपनियों की आय में हो सकती है 18 प्रतिशत की वृद्धि : रिपोर्ट

चालू वित्त वर्ष में निजी डिफेंस कंपनियों की आय में हो सकती है 18 प्रतिशत की वृद्धि : रिपोर्ट

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IANS
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Private defence firms poised to clock 18 pc revenue growth in 2025-26: Report

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

मुंबई, 23 सितंबर (आईएएनएस)। निजी डिफेंस कंपनियों की आय में चालू वित्त वर्ष में 16-18 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। इसकी वजह घरेलू स्तर पर मांग मजबूत रहना है। यह जानकारी मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।

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क्रिसिल की रिपोर्ट में कहा गया कि यह वित्त वर्ष 22 और 25 के बीच 20 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) दर्ज किए जाने के बाद है। इस वृद्धि दर को गति सरकार द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण नीतिगत कदमों से मिली है, जिससे बड़े पैमाने पर निजी निवेश आकर्षित हुआ है। अनुसंधान एवं विकास और पूंजीगत व्यय में निवेश ने कंपनियों की क्षमताओं को मजबूत किया है, जिससे उन्हें बड़े ऑर्डर हासिल करने में मदद मिली है। परिचालन मार्जिन 18-19 प्रतिशत के दायरे में रहने के साथ मुनाफा स्थिर रहा है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पिछले तीन वित्तीय वर्षों में इक्विटी निवेश से कार्यशील पूंजी ऋण और पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) योजनाओं में वृद्धि के बावजूद, बैलेंस शीट स्वस्थ बनी हुई है।

यह विश्लेषण क्रिसिल रेटिंग्स द्वारा रेटिंग प्राप्त 25 से अधिक निजी रक्षा कंपनियों के आंकड़ों पर आधारित है, जो मिलकर उद्योग के राजस्व में लगभग आधे का योगदान करती हैं।

रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत की डिफेंस इंडस्ट्री में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का दबदबा है, लेकिन निजी कंपनियों का राजस्व हिस्सा बढ़ रहा है और उन्हें घरेलू खरीद और आत्मनिर्भरता के लिए सरकार के मजबूत प्रोत्साहन का लाभ मिल रहा है, जो भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं से बढ़े सैन्य खर्च के अलावा, उच्च पूंजीगत व्यय से स्पष्ट होता है।

इसके परिणामस्वरूप, आरंभिक सार्वजनिक निर्गमों और निजी इक्विटी निवेशों के माध्यम से निजी डिफेंस कंपनियों पूंजी प्रवाह आकर्षित हुआ है।

रिपोर्ट में बताया गया कि इस वित्तीय वर्ष के अंत तक कुल ऑर्डर बुक लगभग 55,000 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है, जो वित्तीय वर्ष 24 के अंत तक 40,000 करोड़ रुपए थी।

--आईएएनएस

एबीएस/

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