प्राइवेट कैपेक्स से भारत की मीडियम-टर्म ग्रोथ को मिलेगा बढ़ावा

प्राइवेट कैपेक्स से भारत की मीडियम-टर्म ग्रोथ को मिलेगा बढ़ावा

प्राइवेट कैपेक्स से भारत की मीडियम-टर्म ग्रोथ को मिलेगा बढ़ावा

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IANS
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Private capex boosts India’s medium‑term growth, 25 bps repo cut likely: Report

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

नई दिल्ली, 10 नवंबर (आईएएनएस)। बेहतर होते प्राइवेट कैपिटल एक्सपेंडीचर और मजबूत खपत के साथ भारत का मिड-टर्म ग्रोथ आउलुक पॉजिटिव बना हुआ है। सोमवार को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, इन कारकों के साथ बीते महीने अक्टूबर में भी इक्विटी में मजबूत रिकवरी दर्ज की गई।

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एचएसबीसी म्यूचुअल फंड की एक लेटेस्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि निफ्टी वैल्यूशन 10-ईयर एवरेज से ऊपर बना हुआ है, जिसके साथ हम भारतीय इक्विटी को लेकर सकारात्मक बने हुए हैं।

डेट मार्केट को लेकर एचएसबीसी फंड हाउस का कहना है कि 2 से 4 वर्ष के कॉरपोरेट बॉन्ड सेगमेंट आकर्षक अवसर पेश कर रहे हैं। वहीं महंगाई को लेकर आउटलुक और ग्रोथ को लेकर अनिश्चितता दिसंबर में 25 बेसिस प्वाइंट रेट कटौती का आधार बन सकते हैं।

इक्विटी को लेकर रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रोथ साइकल नीचे की ओर जा रही है और निचले स्तर पर पहुंच सकती है। इंटरेस्ट रेट, लिक्विडिटी साइकल, क्रूड ऑयल की कीमत में कमी और सामान्य मानसून ऊपर की ओर ग्रोथ को सपोर्ट करते हैं।

इसके अलावा, वैश्विक अनिश्चितता के बीच, जीएसटी रेट कटौती और आयकम में कटौती प्राइवेट कंज्प्शन को बढ़ावा देगी और प्राइवेट कैपेक्स को सपोर्ट करेगी।

सरकारी निवेश, मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा और रियल एस्टेट रिकवरी की वजह से मीडियम-टर्म इंवेस्टमेंट की गति जारी रह सकती है।

भारतीय बेंचमार्क सूचकांक ने अक्टूबर में बेहतर प्रदर्शन दर्ज करवाया, जहां एफआईआई की खरीदारी और घरेलू सेंटिमेंट में सुधार के साथ सेंसेक्स और निफ्टी ने 4 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज करवाई।

एनएसई मिडकैप इंडेक्स ने 4.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की और बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स 3.2 प्रतिशत चढ़ा।

सेक्टोरल परफॉर्मेंस को रियल एस्टेट ने लीड किया। जबकि ऑयल एंड गैस, मेटल, बैंक्स और आईटी ने निफ्टी से बेहतर प्रदर्शन किया। जबकि हेल्थकेयर, पावर, एफएमसीजी और ऑटो का प्रदर्शन कमजोर रहा।

केंद्रीय बैंक की आगामी मैक्रो फैक्टर्स जैसे नवंबर के सीपीआई आंकड़े, व्यापार घाटा, जीडीपी और जीएसटी संग्रह को लेकर रेट को लेकर नजर बनी रहेगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई के फॉरन-एक्सचेंज हस्तक्षेप के बावजूद टाइट लिक्विडिटी की स्थिति बनी हुई है। वहीं, मार्केट्स को ओपन मार्केट परचेस (ओएमओ) के जरिए लिक्विडिटी इंफ्यूजन की उम्मीद है।

--आईएएनएस

एसकेटी/

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