बांग्लादेश में यूएन मानवाधिकार कार्यालय खोलने के फैसले का राजनीतिक दलों ने किया विरोध

बांग्लादेश में यूएन मानवाधिकार कार्यालय खोलने के फैसले का राजनीतिक दलों ने किया विरोध

बांग्लादेश में यूएन मानवाधिकार कार्यालय खोलने के फैसले का राजनीतिक दलों ने किया विरोध

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IANS
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Political parties unite to oppose interim govt's move to allow UN Human Rights office in B'desh

(source : IANS) ( Photo Credit : IANS)

ढाका, 29 जुलाई (आईएएनएस)। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार द्वारा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (ओएचसीएचआर) की स्थापना को मंजूरी दिए जाने के फैसले का कई राजनीतिक दलों ने कड़ा विरोध किया है। यह घोषणा कट्टर इस्लामी संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान की गई।

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ढाका रिपोर्टर्स यूनिटी में सोमवार दोपहर आयोजित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग कार्यालय पर समझौते का मूल्यांकन विषयक एक गोलमेज चर्चा में कई राजनीतिक दलों और संगठनों ने इस कदम की आलोचना की।

हिफाजत-ए-इस्लाम के महासचिव साजिदुर इस्लाम ने कहा कि ढाका में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) की स्थापना इस्लामी मूल्यों के खिलाफ है और पश्चिमी वर्चस्व को बढ़ावा देती है।

संयुक्त सचिव ममूनुल हक ने कहा, “इस कार्यालय को खोलने से पहले सभी राजनीतिक दलों से खुली चर्चा होनी चाहिए। देश और इस्लाम के हित में हम किसी के नाम पर चुप नहीं रह सकते।”

बैठक में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की स्थायी समिति के सदस्य सलाहुद्दीन अहमद ने इस फैसले को “अनुचित” बताया और कार्यवाहक सरकार से इस पर पुनर्विचार करने की अपील की, ताकि बांग्लादेश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी का सामना न करना पड़े।

अमर बांग्लादेश पार्टी के अध्यक्ष मुजीबुर रहमान मंनु ने संयुक्त राष्ट्र महिला संगठन पर बांग्लादेश में “पश्चिमी मूल्यों को बढ़ावा देने” का आरोप लगाया।

गण अधिकार परिषद के अध्यक्ष नुरुल हक नूर ने कहा, “अमेरिका समर्थित सरकार देश चला रही है। बिना किसी चर्चा के ऐसे फैसले लेना तानाशाही का रूप है।”

पिछले सप्ताह भी हिफाजत-ए-इस्लाम समेत कई कट्टर इस्लामी दलों ने इस प्रस्तावित कार्यालय का विरोध किया था। संगठन के प्रमुख शाह मुहीबुल्लाह बाबुनगरी और महासचिव साजिदुर रहमान ने कहा था कि अमेरिकी हितों के लिए इस देश में मानवाधिकार मिशन को अनुमति नहीं दी जाएगी। यह बांग्लादेश के मुस्लिम पारिवारिक कानून, इस्लामी शरिया और धार्मिक मूल्यों में हस्तक्षेप का प्रयास है।

गौरतलब है कि 18 जुलाई को अंतरिम सरकार और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय के बीच तीन वर्ष के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसका उद्देश्य देश में मानवाधिकारों के संरक्षण और संवर्धन को समर्थन देना है।

--आईएएनएस

डीएससी/

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