नई दिल्ली, 25 जुलाई (आईएएनएस)। पीएम नरेंद्र मोदी शुक्रवार को भारत के दूसरे सबसे लंबे समय तक रहने वाले प्रधानमंत्री बन गए हैं। उनके अब तक के कार्यकाल की प्रमुख योजनाओं में से एक जन धन स्कीम है, जिसने देश के गरीब परिवारों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ा है और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में मदद की है।
प्रधानमंत्री जन धन योजना की वेबसाइट के मुताबिक, अब तक इस योजना का फायदा 55.90 करोड़ लाभार्थियों को दिया जा चुका है और जनधन खातों में 2,63,954.98 करोड़ रुपए की राशि जमा है।
जन धन खातों ने बड़े पैमाने पर वित्तीय समावेशन को बढ़ावा दिया है और महिलाओं को भी सशक्त बनाया है।
जन धन खातों में महिलाओं की हिस्सेदारी 56 प्रतिशत है, जो इसकी पुष्टि भी करता है।
भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने कहा था, प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) का शुभारंभ भारत के वित्तीय समावेशन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। जन धन योजना-आधार-मोबाइल (जेएएम) ट्रिनिटी ने सभी वयस्कों के लिए बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के हमारे प्रयास में बड़ी मदद की है, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय समावेशन कार्यक्रम बन गया है।
वित्त मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, जेएएम ट्रिनिटी ने डायरेक्ट बेनिफिटि ट्रांसफर (डीबीटी) कार्यक्रम को बढ़ावा दिया है। मनरेगा वेतन से लेकर उज्ज्वला योजना सब्सिडी और कोविड के दौरान आम लोगों को पैसा उपलब्ध कराने तक, इस योजना ने एक प्रमुख भूमिका निभाई है।
बयान में आगे कहा गया कि आज, सभी गांवों में 99.95 प्रतिशत लोगों को बैंकिंग टचपॉइंट्स (बैंक शाखाओं, एटीएम, बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट (बीसी) और भारतीय डाक भुगतान बैंकों सहित) के माध्यम से 5 किलोमीटर के दायरे में बैंकिंग सुविधाओं तक पहुंच प्राप्त है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार, प्रधानमंत्री जन धन योजना दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहलों में से एक है और चालू वर्ष के लिए ऐसे 3 करोड़ और खाते खोलने का लक्ष्य रखा गया है।
वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2015 में प्रति खाता औसत बैंक बैलेंस 1,065 रुपए था, जो अब बढ़कर 4,352 रुपए हो गया है। लगभग 80 प्रतिशत खाते सक्रिय हैं।
66.6 प्रतिशत जन धन खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं और 29.56 करोड़ खाते महिला खाताधारकों के हैं।
जब मोदी सरकार 11 साल पहले पहली बार सत्ता में आई थी, तो उसने प्रत्येक नागरिक को वित्तीय और बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने का लक्ष्य रखा था।
इसके लिए 28 अगस्त 2014 को ‘प्रधानमंत्री जन धन योजना’ लॉन्च की गई थी, जिसमें शून्य बैलेंस वाले खाते खोलकर बड़ी संख्या में गरीब लोगों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ा गया था।
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