कनानास्किस, 18 जून (आईएएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कनानास्किस में 51वें जी7 शिखर सम्मेलन में एनर्जी सिक्योरिटी पर आउटरीच सेशन में हिस्सा लिया।
विदेश मंत्रालय (एमईए) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया कि अपने संबोधन के दौरान, पीएम मोदी ने सभी लोगों के लिए एक स्थायी और हरित मार्ग के जरिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने की जरूरत पर प्रकाश डाला।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने भारत की वैश्विक पहलों जैसे कि इंटरनेशनल सोलर एलायंस (सौर ऊर्जा पर केंद्रित एक संधि-आधारित अंतरराष्ट्रीय संगठन), डिजास्टर रेसिलिटेंट इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए गठबंधन (सीडीआरआई) और ग्लोबल बायोफ्यूल्स एलायंस के बारे में विस्तार से बताया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, एआई अपने आप में एक एनर्जी-इंटेंसिव टेक्नोलॉजी है। अगर टेक्नोलॉजी-ड्रिवन सोसायटी की ऊर्जा आवश्यकताओं को स्थायी रूप से पूरा करने का कोई तरीका है, तो वह रिन्यूएब एनर्जी के जरिए है। सस्ती, विश्वसनीय और टिकाऊ ऊर्जा सुनिश्चित करना भारत की प्राथमिकता है।
पीएम मोदी ने बताया कि भारत का मानना है कि कोई भी टेक्नोलॉजी तभी मूल्यवान है, जब उसका लाभ हर व्यक्ति तक पहुंचे। ग्लोबल साउथ का कोई भी देश पीछे नहीं रहना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ने टेक्नोलॉजी का लोकतंत्रीकरण किया है। डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के जरिए अर्थव्यवस्था के साथ-साथ आम लोगों को सशक्त बनाया है, जबकि सार्थक और गुणात्मक डेटा समावेशी, सक्षम और जिम्मेदार एआई की गारंटी है।
प्रधानमंत्री ने कहा, हमें ग्लोबल गवर्नेंस पर काम करना होगा। एआई से संबंधित चिंताओं को दूर करना होगा। इनोवेशन को बढ़ावा देना होगा। एआई के युग में, जरूरी मिनरल्स और टेक्नोलॉजी के बीच सहयोग जरूरी है। हमें उनकी सप्लाई चेन को सुरक्षित बनाना होगा। डीप फेक बहुत बड़ी चिंता का विषय है। इसलिए, एआई-जनरेटेड कंटेंट पर वॉटर-मार्किंग या स्पष्ट घोषणा की जानी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा, पिछली शताब्दी में, हमने ऊर्जा के लिए प्रतिस्पर्धा देखी। इस सदी में, हमें टेक्नोलॉजी के लिए सहयोग करना होगा। उपलब्धता, पहुंच, सामर्थ्य, स्वीकार्यता के मूलभूत सिद्धांतों पर आगे बढ़ते हुए, भारत ने समावेशी विकास का रास्ता चुना है। दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होने के बावजूद, भारत एक ऐसा देश है, जिसने समय से पहले पेरिस कमिटमेंट्स को पूरा किया है। हम 2070 तक नेट जीरो के लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। वर्तमान में, रिन्यूबल एनर्जी हमारी कुल इंस्टॉल्ड कैपेसिटी का लगभग 50 प्रतिशत है।
पीएम मोदी ने कहा, दुर्भाग्य से, ग्लोबल साउथ के देश अनिश्चितता और संघर्षों से सबसे अधिक पीड़ित हैं। वह फूड, फ्यूल, फर्टिलाइजर और फाइनेंस से संबंधित संकटों से सबसे पहले प्रभावित होते हैं। भारत ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं और चिंताओं को विश्व मंच पर लाना अपनी जिम्मेदारी समझता है।
प्रधानमंत्री ने कहा, आतंकवाद पर दोहरे मापदंड के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। 22 अप्रैल को हुआ आतंकवादी हमला सिर्फ पहलगाम पर हमला नहीं था, बल्कि हर भारतीय की आत्मा, पहचान और सम्मान पर भी था। यह पूरी मानवता पर हमला था। आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। यह लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने वाले सभी देशों के खिलाफ है। वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए हमारी सोच और नीति स्पष्ट होनी चाहिए। अगर कोई देश आतंकवाद का समर्थन करता है, तो उसे इसकी कीमत चुकानी होगी।
वैश्विक दक्षिण की चिंताओं और प्राथमिकताओं पर ध्यान देने पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने ग्लोबल साउथ की आवाज को विश्व मंच पर लाने की जिम्मेदारी ली है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स पर बताया, प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के रुख को दोहराया और जी7 शिखर सम्मेलन में ग्लोबल लीडर्स को पहलगाम आतंकी हमले की निंदा करने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने उनसे आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक कार्रवाई को गति देने का आग्रह किया है। इसके साथ ही आतंकवाद को बढ़ावा देने और उसका समर्थन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की जरूरत को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को लोकतांत्रिक बनाने और इसे लागू करने में मानव-केंद्रित दृष्टिकोण में भारत के अनुभव पर भी प्रकाश डाला।
यह प्रधानमंत्री की एक दशक के बाद पहली कनाडा यात्रा थी। उन्होंने तीसरी बार सत्ता में आने के बाद कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कॉर्नी से मुलाकात की है।
--आईएएनएस
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